कर्नल समरजीत सिंह बड़े ही देशभक्त और अनुशासनप्रिय व्यक्ति थे। देश की मिट्टी की महक उनके रगों में खून की तरह बहती थी। और हो भी क्यों ना,दादा – परदादाओं के समय से ही फौज में जाने की इच्छा बलवती होती रही थी। उनके दादा जी भारत – पाकिस्तान की लड़ाई में शहीद हो गए थे। पिताजी भी लेफ्टिनेंट रहे। […]
HAPPY NEW YEAR 2021
BlogHappy New Year 2021 नई जोश,नई उमंग और एक नए उत्साह के साथ फिर से नए साल का स्वागत कितनी खुशी देता है। पिछले साल की यादों को अपने मानस पटल से धुंधला करने को जी करता है।जो गमजदा हैं, उनके लिए तो नया साल उम्मीद की एक नई […]
खुद की तलाश
कविताअगर मगर और काश में हूं,मैं खुद अपनी तलाश में हूंदिन के उजालों को सहने की नही है ताकत,इसलिये मैं बुझते हुए दीये की प्रकाश में हूं खेलती है दुखों के साथ,ज़िन्दगी बड़ी शरारती है,सताती है, तड़पाती हैै, गिराती और उठाती है,नासमझ सा हो गया हूं मैं,अब ना किसी की अह्सास में हूं,अगर मगर और काश में ,मैं खुद अपनी […]
काला टीका🌑🌑
कहानीऑफिस के लिए जब भी निकलती,मां एक काला टीका हमेशा कान के पीछे लगा दिया करती ।लाख मना करने के बावजूद ये उनका रोज का काम था।कहती कि बुरी बला से तुम्हारी रक्षा हो।उनका प्रेम देखकर मैं भी चुप हो जाया करती थी।बाबूजी पीछे अख़बार पढ़ते हुए मां की बातों पर चुटकी लिया करते। खैर, इसी तरह से हंसते- खेलते […]
आईना और चेहरा
कविताएक रोज सुबह जब मैं उठा,मेरा घमंड जैसे पल भर में टूटा,जब देखा मैने आईना,मेरी नजर फिर आईने की नजर से टकराई ना, कल रात जिस चेहरे को देखा था मैं,जिस चेहरे पर कभी घमंड करता था मैं,वो तो मुझे आईना में दिखा ही नही,बदला सा अन्जाना सा जैसे कभी मेरा था ही नहीं, अजनबी चेहरे को देखकर बिजली सी […]
छोटी – सी भूमिका
Blogमेरी जिन्दगी में थोड़ी- सी ही सही,मेरी भी है छोटी-सी भूमिका,फिर ऐसा क्यों लगता है सबको,कि मैं नहीं हूं किसी काम का, मैं सांस भी लेता हूँ और मेरा दिल धड़कता भी है,मैं उदास हो जाता हूं लेकिन मेरा चेहरा हँसता भी है,ये सच है कि आज मैं बेकार हूँ,पर ऐसा नहीं कि मैं लाचार हूँ, एक दिन मैं फिर […]
कलंकिनी
Blogशहर की बाहरी सीमा से सटा हुआ था वो विधवाश्रम,जहां के नए इंचार्ज बनकर आए थे विनय बाबू।अपने जीवन की एक महत्वपूर्ण तलाश का ये अंतिम पड़ाव शायद यही हो,यही सोच मन में रखकर शहर के सारे विधवाश्रमो को खंगाल डाला और अपना तबादला करवाते रहे।बड़े – बड़े ओहदों को ठुकराकर विधवा आश्रम की खाक छानने में पता नहीं क्यूं […]
सोच
Blogअपने हालात के बारे में,कुछ सोच रही थी मैं समंदर के किनारे में,एक तेज लहर का झोंका आया,पानी की फुहारों ने भी मेरे गालों को नहीं सहलाया, मेरी उदासी अब मायूसी मे बदलती जा रही थी,मेरी बेबसी भी मेरा मज़ाक उड़ा रही थी,आंखों के आंसू भी फुहारों में छिप गए थे,नजरें भी दूर किसी के इन्तज़ार में खो गए थे, […]
थक गया हूं मैं
Blogथक गया हूं मैं, हाँ! थक गया हूं मैं,केवल एक सुकून की तलाश मेंकहां से चला था और आज कहां हूं मैं,मुझे तो यह भी पता नहीं किजिंदगी मुझे ले जा रही है कहाँ, थक गया हूं मैं, हाँ! थक गया हूं मैं,हर गम समेटे अपने में, सभी की खुशी के लिएजिंदा हूँ मैं केवल अपनों की हंसी के लिए,हर […]
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