मनाली की वो रातें😳😱😳😱(Part –3)
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रात के सन्नाटे को चीरते हुए सुषमा के कदम बदहवास से बढ़ते ही जा रहे थे। अभी बस कुछ दिन पहले ही तो उसकी शादी हुई थी और आज मेंहदी का रंग भी नहीं छूटा पर ससुराल से भागना पड़ गया उसे। बार-बार पीछे मुड़कर देखती, मानो कोई उसका पीछा कर रहा हो। चेहरे पर डर का साया फैला हुआ था। सामने से आती गाड़ी की आवाज़ भी उसे सुनाई नहीं दी। गाड़ी ने अचानक से ब्रेक लगाई,वरना सुषमा का तो आज अंत ही हो जाता।
गाड़ी में बैठे शख्स को देखते ही सुषमा वहीं बेहोश होकर गिर पड़ी। गाड़ी चालक भी सुषमा को देखकर हैरान रह गया। सालों पहले के रिश्ते जागृत हो उठे। उसने सुषमा को अपनी गाड़ी में बैठाया और अपने घर की ओर गाड़ी बढ़ा दी। एक चलचित्र की भांति उस शख्स की आंखों के सामने पहले की सारी घटनाएं घटने लगीं। बार– बार वो पीछे मुड़कर सुषमा की मासूम चेहरे पे नज़र डालता। आखिर ऐसा क्या हुआ होगा,जिसके कारण सुषमा भागी जा रही थी,यही सब सोच उस शख्स के दिमाग में चल रही थी।
कुछ साल पहले की ही तो बात है सब कुछ नॉर्मल था सुषमा की जिंदगी में। वह और सुषमा दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। बहुत ही सुंदर और संजीदा लड़की थी सुषमा। हर किसी के साथ अदब से पेश आना और सबकी मदद करना उसके स्वभाव में शामिल था। उसकी ये खासियत पूरे कॉलेज में मशहूर थी। कितने लड़के उसके साथ दोस्ती करना चाहते पर इन सब बातों पे उसका ध्यान नहीं जाता।
दूसरी तरफ ऐसी भी लड़कियां थीं,जो उससे जला करतीं। उनमें से एक थी–उसी के साथ पढ़ने वाली लड़की जया, जिसकी आंखों में सुषमा किरकिरी की भांति खटकती। नाटी और सांवली जया हीन भावना की शिकार थी। पर पैसे का रौब उस पर हमेशा छाया रहता। इसी को अपना हथियार बनाकर मिडिल क्लास से ताल्लुकात रखने वाली सुषमा को आड़े हाथों वह लेते रहती।
जया की हमेशा कोशिश रहती कि किसी तरह से सुषमा को नीचा दिखाए। सुषमा के पिता एक साधारण से कर्मचारी थे और मां हाउसवाइफ। एक छोटी बहन थी, जो अभी स्कूल में पढ़ रही थी। सुषमा के पहनावे भी साधारण होते,वहीं दूसरी तरफ जया का परिवार रईस था। उसके पिता की एक बड़ी फैक्ट्री थी जिसमें हजारों लोग काम करते। इस बात की भी धौंस हमेशा सुषमा को देती रहती कि तुम्हारे पिता जैसे हजारों कर्मचारी मेरे पिता के साए में काम करते हैं।
उस दिन तो हद ही हो गई, सुषमा ने जैसे ही कॉलेज में प्रवेश किया, तभी जया ने सामने आकर टोका कि, अरे यार! आज फिर से तुमने परसों वाली ड्रेस पहन ली। यह सुनकर जया के साथ वाली लड़कियां खिल– खिलाकर हंस पड़ी। सुषमा को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई पर उसने कुछ कहा नहीं। जया एक मौका भी नहीं छोड़ती सुषमा को शर्मिंदा करने में।
सुषमा कभी– कभी एकांत में जाकर रो पड़ती। उसी के कॉलेज में राजवीर नाम का एक लड़का पढ़ता था। जया की हरकतें खुद उसे भी पसंद नहीं आती।बहुत दिनों से वह सुषमा पर ध्यान दे रहा था। सुषमा के स्वभाव से वह उसकी तरफ खींचा चला आया।
जब भी सुषमा अकेले में बैठी होती,वह उसके पास चला आता। कभी सहानुभूति के तौर पर तो कभी नोट्स के बहाने। सुषमा को भी धीरे– धीरे वह अच्छा लगने लगा। राजवीर और सुषमा अक्सर एक– दूसरे के साथ नज़र आते रहते। पूरे कॉलेज में उनकी दोस्ती की चर्चा होने लगी।
ये बात जया को बिल्कुल पसंद नहीं आ रही थी। सुषमा को वो खुश कैसे देखती? कभी किसी लड़के ने उसके साथ दोस्ती तक नहीं की थी। एक षड्यंत्र उसके शातिर दिमाग में दस्तक देने लगा। उसके कॉलेज में एक कमरा था, जो सालों से बंद पड़ा था। सभी का यह मानना था कि वहां पर किसी आत्मा का वास है। डर के कारण कोई आसपास भी नहीं फटकता। ये बात कितनी सच थी,ये कोई नहीं जानता। पूरे कॉलेज में ये बात फैली हुई थी कि जो गलती से उस कमरे में चला जाए तो वापस जिंदा नहीं लौटता।
उस कमरे में ही एक खिड़की भी थी जो खुली थी, पर अंदर इतना अंधेरा था कि कुछ दिखाई नहीं देता।उस कमरे की चाभी कॉलेज के गार्ड के पास रहती थी। जया ने अपने प्लान में कॉलेज के कुछ छात्रों को भी शामिल कर लिया। उन लड़कों ने चाभी किसी तरह से हासिल कर ली।
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उधर सुषमा आने वाली आशंकाओं से बेखबर राजवीर के साथ खुश थी। कॉलेज में वार्षिकोत्सव की तैयारी चल रही थी। रात का समारोह था। सुषमा और राजवीर एक नाटक का मंचन कर रहे थे। जब फंक्शन खत्म हुआ तो जया सुषमा को बहला-फुसलाकर उस कमरे के पास ले आई। वहां से पहले छिपे हुए लड़कों ने उसे कमरे के अंदर धक्का दे दिया और बाहर से ताला लटका दिया।
फिर सब आपस में हंसने लगे। उनकी योजना सुषमा को बस कुछ घंटे के लिए ही बंद करने की थी। उधर राजवीर ने जब अपने आस– पास सुषमा को नहीं देखा तो खोजने लगा। तभी उसे जया कुछ लड़कों के साथ नज़र आई। मन में थोड़ा संदेह तो हुआ। जया ने जैसे ही राजवीर को देखा,सकपका गई वह। सुषमा के बारे में पूछने पर जया ने बोला कि वह घर चली गई है। उसकी तबीयत थोड़ी ठीक नहीं लग रही थी।
राजवीर के जाने के बाद जया की जान में जान आई। सुषमा को कमरे से बाहर भी निकालना है,ये बात फंक्शन की व्यस्तता में सभी के ध्यान से उतर गया।
जब जया घर पहुंची तो अचानक से उसे सुषमा का ध्यान आ गया। पर कॉलेज तो अब बंद हो चुका था, अब क्या करें? चलो छोड़ो, थोड़ी अक्ल तो ठिकाने आ जाएगी। सोचकर मन ही मन हंस पड़ी वह। मेरी नाक के नीचे प्यार की पींगे बढ़ा रही थी। शायद अपनी औकात भूल गई थी कि एक मिडिलक्लास को आसमां में उड़ने का कोई हक़ नहीं होता। सुषमा को कोसते हुए कब जया की आंख लग गई,स्वयं उसे भी पता नहीं चला। जब अगले दिन जया कॉलेज पहुंची तो जल्दी से उस कमरे की तरफ अपने पैर बढ़ाएं।
100 का नोट
जैसे ही उसने दरवाजे को छुआ, वह अपने आप ही खुल गया। बहुत ही आश्चर्यचकित रह गई वह। तभी अंदर से सुषमा बिल्कुल अस्त-व्यस्त कपड़े में बाहर निकली। उसके चेहरे पे हवाइयां उड़ रही थी। आंखें सुर्ख लाल हो गईं थी। जया को उसने ऐसे देखा,मानों उसे जानती ही ना हो। उसकी हालत देखकर जया को सांप सूंघ गया। उसे डर सताने लगा कि कहीं सुषमा प्रिंसिपल से उसकी शिकायत ना कर दें।
करीब एक हफ्ते तक सुषमा कॉलेज नहीं आई। जया अंदर ही अंदर परेशान हो रही थी कि आखिर उस रात सुषमा के साथ क्या हुआ होगा ?तभी उसे दूर से सुषमा आती दिखाई दी। एकदम खिली– खिली,पहले जैसी। पर जैसे ही उसने जया को देखा तो अचानक से सुषमा के चेहरे का रंग ही बदल गया । आंखें सुर्ख लाल हो गई और जोर-जोर से हांफने लगी।
आसपास की लड़कियों ने उसे संभाला और जया को हटने को कहा। राजवीर सुषमा के लिए बहुत चिंतित हो रहा था। उस रात की जया की हरकतें पूरी कॉलेज में फैल गई । बात प्रिंसिपल तक भी पहुंची।इसके लिए जया को बहुत फटकार मिली और साथ में चेतावनी भी। पैसे के रुतबे ने आगे की कार्यवाही को वहीं पे रोक दिया। इसी तरह से दिन बीतते गए। सुषमा सबके साथ नॉर्मल रहती पर जया को देखते ही पता नहीं उसे क्या हो जाता।
पर सुषमा के साथ कुछ तो हुआ था।उसके स्वभाव में भी परिवर्तन होने लगे। कभी वो ऐसा बर्ताव करती मानों वह लड़की नहीं लड़का हो। फिर अचानक से लड़की की छवि उसमें आ जाती। राजवीर में भी अब उसकी कोई दिलचस्पी नहीं रही। मानों कभी उसने राजवीर को चाहा ही ना हो।
पर जया के साथ तो उसका रूप ही अलग हो जाता। कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने वाली थी। यहां से निकलने के बाद सभी के रास्ते अलग– अलग हो जाएंगे। राजवीर सुषमा से बहुत प्यार करता था और अपने जीवन का हिस्सा भी बनाना चाहता था। पर सुषमा अब पहले जैसी सुषमा नहीं रही।
पता नहीं किन खयालों में खोई रहती। कभी अपने आप से तो कभी ऐसे बात करती मानों सामने कोई बैठा हो। पूछने पर सकपका जाती। उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं लग रही थी। उसके माता– पिता बहुत चिंतित रहा करते। आखिर उनकी फूल जैसी बेटी को किसकी नज़र लग गई। फिर उन्होंने सोचा कि अगर इसकी शादी कर दी जाए तो हो सकता है कि ये अपनी पहले वाली जिंदगी में फिर से वापस लौट जाए।
कुछ दिनों के बाद राजवीर को सुषमा के शादी की ख़बर मिली। सुनकर निराश तो बहुत हुआ,पर कर भी क्या सकता था। शायद सुषमा की हंसी फिर से वापस लौट आए,यही सोचकर राजवीर संतुष्ट रहा।
आखिर सुषमा के साथ उस रात क्या हुआ होगा? जया अपनी जिन्दगी में क्या कर रही है?राजवीर ने शादी की या नहीं?सुषमा अपनी शादी के दूसरे दिन ही क्यों अपने ससुराल से भाग गई?कौन उसका पीछा कर रहा था?ये जानने लिए मेरी कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें………
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Jabardust…next part kab aayega…
Just wait and read sure….
Can’t wait for the next part…Pls upload soon…👍👍👍
Bahut shaandàr …..Waiting for next part…Upload soon