मनाली की वो रातें😳😱😳😱(Part –3)
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अब तक आपने पढ़ा––––
उस रात राजवीर की मुलाकात सुषमा से अनायास ही हो जाती है।कॉलेज के दिनों में सुषमा और राजवीर एक दूसरे से प्यार करते थे और यह बात उनके साथ पढ़ने वाली जया को बिल्कुल पसंद नहीं थी। बस जया ने बदला लेने के उद्देश्य से सुषमा को एक भूतिया कमरे में रात भर के लिए बंद कर दिया। अगले दिन जब सुषमा वहां से बाहर निकली तो उसके साथ अजीबोगरीब घटनायें घटित होने लगी। इसी क्रम में राजवीर से उसकी दूसरी बार मुलाकात होती है जब वह रात के सन्नाटे को चीरते हुए भाग रही होती है। राजवीर उसे अपने घर लेकर आता है और उस रात सुषमा ने जो देखा, उसकी दास्तां सुनता है। अब आगे––––––
सुषमा ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि उस रात जब मुझे जया ने बंद कमरे में धक्का दिया था, उस खौफनाक पल को मैं कभी नहीं भूल सकती। अंदर कमरे में पूरा अंधेरा फैला हुआ था। हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था। अचानक किसी के बुदबुदाने की आवाज़ आई।
मैंने अंधेरे में ही हाथ मारने की कोशिश की,ताकि किसी की उपस्थिति महसूस हो सके। तभी एक पल में कमरा दूधिया रोशनी से नहा उठा। आसपास देखा,पर कोई नज़र नहीं आया। तभी मुझे कहीं से एक लड़की के रोने की आवाज आई, पर वह मुझे कहीं दिखी नहीं। दूसरे पल में अचानक से एक छोटे बच्चे का क्रंदन सुनाई दिया। मेरी तो सांस ही अटकी हुई थी। सोचो उस समय मुझपे क्या घटित हो रही होगी, जब मैं उन आवाजों को सुन रही थी जो वास्तविक में थी भी या नहीं भी।
अचानक से कमरे में फिर अंधेरा छा गया। दूसरे ही पल कमरा फिर रोशनी से नहा उठा। कौन था, जो मेरे साथ इस तरह का खेल खेल रहा था। मैंने कौन है? कौन है? की आवाज भी लगाई, पर कोई सामने नहीं आया। मैं आगे बढ़ने लगी तभी कोने में मैंने एक लड़की को खड़ा देखा। उसके बाल कंधे तक बिखरे हुए थे और वह आगे की ओर मुड़ी हुई थी, मतलब उसकी पीठ मेरी तरफ थी।
अचानक से उसे देखकर मैं सिहर उठी। मैंने धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाए, उसके पास जाने के लिए, तभी वह पलटी। उस रोशनी में मैंने देखा कि गोरे रंग और सामान्य कद काठी की थी वो। मैंने उसे ऊपर से नीचे तक देखा। एक बात तो मैं यह जरूर कह सकती थी कि वह प्रेग्नेंट थी। उससे कुछ पूछने के लिए मैंने मुंह खोला ही था कि वह हवा में लहराने लगी।
कमरे में फिर अंधेरा छा गया, मगर उसके रोने की आवाज मेरे कानों को फाड़ रही थी। रोशनी का जलना– बुझना मेरे दिल को बैठा रहा था। कमरे में फिर रोशनी आ गई। मैंने अपनी आंखें कस कर बंद कर ली। धीरे से जब आंखें खोलने की कोशिश की तो ठीक मेरे सामने वह लड़की खड़ी थी। मैं घबराकर पीछे हट गई।
अचानक से वो रोने लगी। फिर हठात दीवाल पर चढ़ गई। यह सब देखकर मैं बस गिरने ही वाली थी कि तभी मेरी नजर उसके पेट पे पड़ी, जिस पर छोटे छोटे पंजे के निशान उभर कर आ रहे थे,मानों वहां से निकलना चाह रहे हों। यह किसी बच्चे के पंजे के निशान थे। फिर कमरे में रोने– हंसने की आवाज लगातार आने लगी। डर के कारण मेरी आत्मा मेरा साथ छोड़ने लगी और मैं वहीं पर गिर पड़ी।
फिर क्या हुआ कमरे में, मुझे नहीं पता। अगले दिन जब जया ने दरवाजा खोला, मेरे कदम बहके से आगे बढ़ने लगे। मेरा खुद पर नियंत्रण नहीं रह गया। अपने अंदर मैंने बहुत अंतर महसूस किया। मतलब,मैं करना कुछ चाहती पर दिल कुछ और काम को अंजाम दे देता। हां! जया को देखते ही पता नहीं क्या हो जाता मुझे। उसके प्रति मेरे अंदर इतनी नफरत कहां से आ गई,खुद मैं भी हैरान थी।
इतना कहते हुए सुषमा ने अचानक से चुप्पी साध ली। राजवीर सुषमा की आपबीती सुनकर जैसे नींद से जागा। उसके अंदर यह जानने की प्रबल इच्छा हो रही थी कि कमरे के अंदर तो एक लड़की की प्रेतात्मा थी पर सुषमा के पीछे तो कोई पुरुष का साया था। आखिर उस आदमी का संबंध उस कमरे से कैसे हो गया? अभी भी बहुत सारे सवाल के जवाब चाहिए थे उसे, जो सुषमा के पास भी नहीं था। अब यह जवाब महेंद्र ही दे सकता था।
राजवीर ने सुषमा के साथ एक योजना बनाई। सुषमा अपने ससुराल जाती तो पहचानी जाती। इसलिए राजवीर ने वहां जाने के लिए अपने आपको तैयार किया। सुषमा ने उसे अपने ससुराल का पता दे दिया । ऑटो ठीक उस पते पे जाकर रुका, पर घर की हालत बाहर से देख कर राजवीर भौचक्का रह गया। जर्जर हालत में वह मकान चीख– चीख कर अपनी कहानी बयां करने की कोशिश कर रहा था। राजवीर का माथा ठनका, उसे लगा कि कहीं गलत पते पे तो ना आ गया हो।
उसने फोन करके सुषमा को वही बुलवा लिया। जैसे ही सुषमा ने घर की हालत देखी,उसके पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई। अभी कुछ दिन पहले तो यह घर सजा हुआ था। अचानक से इसकी दशा इतनी खस्ता कैसे हो गई? सच क्या है, अब कैसे पता चलेगा,दोनों ने अपने कदम पीछे कर लिए। तभी मन में ख्याल आया कि चलो, आसपास के लोगों से पूछा जाए। हो सकता है,कोई इस गुत्थी को सुलझा दे।
आसपास नजर दौड़ाई तो घर के ठीक सामने एक ढाबा नजर आया। दोनों के कदम उसी ओर बढ़ गए। जब उन्होंने ढाबे वाले से सामने के घर के बारे में पूछा तो पहले तो वह आदमी चौंका। पर राजवीर ने जब महेंद्र और सुषमा की शादी के बारे में बताया तो उसे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ।
क्या बाबू! बेवकूफ बनाने के लिए एक मैं ही आपको मिला था। अरे जो अब इस दुनिया में है ही नहीं, उसकी शादी कैसे हो सकती है। ढाबे वाले की बात सुनकर सुषमा को बहुत अचरज हुआ। उसे विश्वास दिलाने के लिए उसने अपने मोबाइल में शादी की फोटो दिखाई । पर फोटो देखते ही खुद वहीं पे धम्म से बेंच पर बैठ गई।
सुषमा को ऐसे बैठे देखे राजवीर ने तुरंत उसके हाथ से मोबाइल लिया और देखने लगा। अब उसकी भी हालत वैसी ही थी। फोटो में सुषमा तो थी, पर महेंद्र कहीं ना था। यह क्या माजरा है, आखिर महेंद्र की तस्वीर मोबाइल से गई कहां? क्या ये शादी एक मायाजाल थी ?दोनों को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था।
तब ढाबे वाले ने एक फिरकी ली और दोनों को वहीं बेंच पर बैठने को कहा। साहब ऐसा लगता है मेम साहब को जरूर धोखा हुआ है। काफी साल हो गए हैं इस घर को वीरान हुए। इस घर के मालिक का नाम सुरेंद्र प्रताप सिंह था, जो किसी कॉलेज में काम करते थे। परिवार में पत्नी और एक इकलौता बेटा महेंद्र, जिसका नाम मेम साहब सही बता रही हैं। हंसता– खेलता परिवार था।
सुरेंद्र जी कुछ साल में रिटायर होने वाले थे आते– जाते दुआ सलाम हो जाया करती। मेरे ढाबे की चाय उन्हें बहुत पसंद थी इसलिए लगभग हरेक दिन मुलाकात हो जाती। बेटे की भी नौकरी लग गई थी । उस दिन बड़े ही खुश थे वे। अंतिम बार उन्होंने मेरे ढाबे पर आकर चाय पी और फिर बेटे की नई नौकरी की मिठाई भी खिलाई। उनकी पत्नी घर से बाहर ज्यादा नहीं निकलती थी।
एक दिन अचानक से पता चला कि वे कॉलेज से लापता हो गए हैं। कहां गए, क्या हुआ उनके साथ, कुछ भी पता नहीं चला अब तक। जिंदा भी हैं या नहीं,कुछ मालूम नहीं। सुनकर दुख तो बहुत हुआ, भले मानस थे वे। फिर एक दिन दोनों मां-बेटे ने भी पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली। एक हंसता– खेलता घर वीरान हो गया। कई साल गुजर गए, पर लगता है कि कल की ही बात हो। कोई रिश्तेदार भी यहां झांकने को नहीं आया तो घर तो खंडहर बनेगा ही।
कई लोगों ने तो यह बात भी मोहल्ले में फैला रखी है कि देर रात कोई इधर से ना गुजरे, क्योंकि आधी रात को यहां से अजीब– अजीब तरह की आवाजें आती हैं। यह बात कितनी सच है, मुझे नहीं पता। हां! घर के वीराने से कदम जरूर ठिठक जाते हैं।
साहब मेम साहब जो बोल रही हैं, वह कितना सच है मुझे नहीं पता। पर हां एक बात जरूर पक्का है कि उनकी शादी महेंद्र से हुई थी या भ्रम था पर महेंद्र नाम जरूर था सुरेश जी के लड़के का। कहानी सुनकर राजवीर और सुषमा की आंखें फटी की फटी रह गई। अब कैसे पता चलेगा कि सुरेंद्र जी के साथ क्या हुआ था?
फिर वह सुषमा के पीछे क्यों पड़े हुए हैं। हो ना हो, उनका संबंध उस कॉलेज से जरूर था, तभी तो यह सारा वाकया उस रात से ही शुरू हुआ, जिस रात सुषमा उस कमरे में बंद थी। तभी राजवीर ने ढाबे वाले से उस कॉलेज का नाम पूछा ,जिसमें सुरेंद्र जी काम करते थे तो तपाक से उसने वही कॉलेज का नाम बताया जिसमें सुषमा और राजवीर पढ़ा करते थे। मतलब सारा खेल इसी कॉलेज से ही शुरू हुआ था और इस रहस्य की गुत्थी भी वहीं से सुलझेगी। ढाबे वाले को राजवीर ने धन्यवाद कहा और सुषमा के साथ आगे कदम बढ़ाया। अब इस रहस्य पर से पर्दा उठाना जरूरी था।
राजवीर ने सुषमा की तरफ देखा, बहुत ही मायूस और परेशान दिख रही थी वह। कहीं उसकी दिमागी हालत और खराब ना हो जाए, इस बात को वहीं पर रोकते हुए सबसे पहले उसने ऑटो रुकवाया और सुषमा के घर की तरफ मोड़ने को कहा। सुषमा को आराम की सख्त जरूरत थी। किस मानसिक अवस्था से वह गुजर रही थी राजवीर इसे बखूबी समझ रहा था। जया की बदले की आग ने सुषमा की जिंदगी को ऐसे चौराहे पर ला दिया, जहां से उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह जाए तो कहां जाए।
राजवीर ने पहले सुषमा को घर छोड़ा। उसके माता-पिता तो उसे देखते ही आवाक रह गए, पर राजवीर ने इशारे से बता दिया कि वह सुषमा से अभी कुछ ना पूछें। बाद में आपको सारी बातें बता दूंगा,कहकर वहां से निकला और ऑटो लेकर अपने घर की तरफ मुड़ गया।
अब इस गुत्थी को सुलझाना जरूरी था और इस रहस्य को जानने के लिए मुझे कॉलेज के इतिहास को जानना होगा ,यही सब राजवीर सोचे जा रहा था। आखिर सालों पहले उस कॉलेज में क्या हुआ था, जिस का रहस्य अभी तक दबा हुआ है। सुरेंद्र जी का अचानक से लापता हो जाना, फिर सुषमा के पीछे पड़ने का रहस्य क्या है? सुषमा ने उस रात जिस लड़की को देखा था आखिर वह कौन थी? सुषमा ने जिसे देखा वह उसके पीछे नहीं पड़ी, बल्कि उसके पीछे लगे सुरेंद्र जी, आखिर क्यों?इन सब बातों का क्या रहस्य है,ये जानने के लिए पढ़ें मेरी कहानी का अगला भाग………
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Very very nice…suspense se parda kab tak uthega…
Eagerly waiting for the next part.. Please post it ASAP..
Very exciting story…waiting for the next part…pls. upload AFAP
Ab jald hi next part ko post kijiye….bahut maja aa raha hai padhne me ….👏🏼👏🏼