मनाली की वो रातें😳😱😳😱(Part –6)
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अक्ल का दुश्मन
🤪😜मंगूलाल अपने आप में ही एक अनोखी शख्सियत था🤠। सौ निठल्लों ने आत्महत्या की होगी,तब जाकर एक मंगूलाल जैसे आदमी ने जीवन में दर्शन दिया🤡। मां-बाप कहते–कहते थक गए कि बेटा कुछ काम कर ले। पर इन्होंने अपने कानों में जूं तक को रेंगने ना दिया। इनका एक ही सिद्धांत था–भगवान ने इस शरीर को बहुत तवज्जों देकर पृथ्वी पर भेजा है। इसलिए इसका खास ख्याल रखना चाहिए। कामों में व्यर्थ लगाकर इसका अपमान ना करें।👉🚶🏃🏋️🤸👈 ये सब मोह माया है। इससे शरीर का अपमान होता है। 🛌🛌 ऐसी स्थिति ही शरीर की हमेशा होनी चाहिए। पिता जी अपने ज्ञानी बेटे की बातों को सुनकर नतमस्तक हो गए😱🤬
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इस ज्ञानरुपी बातों का इन्होंने खूब प्रचार– प्रसार किया। काम का ना काज का, दुश्मन अनाज का, वाली कहावत को अपना आधार मानकर सुबह से शाम तक गली– चौराहे पर घूमते रहना या घर में खाट तोड़ना,ये इनके मनपसंद काम थे,ओह🙊🤫 काम तो गलती से निकल गया,शौक जरूर कह सकते हैं।
मंगूलाल को एक काम सबसे अच्छा लगता था और वह था चाहे कोई काम आए चाहे ना आए, बस उसमें अपनी नाक घुसेड़ना🥳🥳। बातें ऐसी बड़ी-बड़ी करता, मानों अगला आइंस्टाइन वही हो💯🤠।
एक दिन मां ने मंगूलाल को कुछ पैसे यह कहकर दिए कि बेटा! मेरी स्किन बहुत चिपचिप लग रहीएल है, जरा दुकान वाले से पूछ कर कोई क्रीम ला दे,बस अपना दिमाग मत लगाना। 🕺सीटी बजाते हुए मंगूलाल चल पड़े बाजार की ओर। पर अपने ज्ञान के साथ परचून की दुकान पे गए और आकर मां के हाथ पर विम बार रख दिया। मां कभी बेटे की तरफ देखती तो कभी विम बार की तरफ।
मंगू लाल ने सोचा कि उसने तारीफ का काम किया है🤑🤓। बस अपनी कॉलर को उठाया और खुद ही अपनी पीठ पे थपकी मारी, पर जब मां के गुस्से😡 भरी आंखों से सामना हुआ तो पता है🥵 उसने क्या जवाब दिया– मां! इसमें 100 नींबुओं की शक्ति है, जो बड़ी से बड़ी चिपचिपाहट दूर कर देती है। अपनी अक्ल का बेइंतहा उपयोग करते बेटे के ज्ञान पर मां बस रो ही पड़ी😭😭
मंगूलाल को कोई काम तो था नहीं, खाना–पचाना और पड़े रहना। पर आज सुबह से ही उसकी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी। इधर कुछ दिनों से उसे बहुत कमजोरी का एहसास हो रहा था। साहब गए डॉक्टर के पास, डॉक्टर ने जांचा–परखा और फिर शर्ट से झांकती तोंद को देखकर बोला कि जरा! शरीर को घसकाया करो। निरंतर प्रगतिशील इस देह को जोर– आजमाइश की बहुत जरूरत है। डॉक्टर भी मंगूलाल की ही भाषा में समझा रहा था।
तली– भुनी चीज़ों से परहेज़ और मौसम के हिसाब से फल भी खाया करो और वह भी छिलके सहित। अभी डॉक्टर कुछ और बोलते, इससे पहले ही मंगूलाल वहां से निकल पड़े,यह कहते हुए कि मैं तो खुद ज्ञानी हूं,और लोग मुझे ही ज्ञान बांट रहे हैं😏😏।
अगले दिन उनके पेट में असहनीय दर्द हो रहा था। मां परेशान हो उठी। तुरंत डॉक्टर को बुलाया गया। जब डॉक्टर ने खानपान का इतिहास पूछा तो पता चला कि साहब ने सुबह– सुबह नारियल खाया था और वह भी छिलके सहित। ये रही मंगूलाल की थोथी ज्ञान की बातें।
डॉक्टर साहब तो सुनकर सन्न्न रह गए। ऐसे– ऐसे कारनामों की झड़ी इनके नाम पर है, जो बरबस होंठों पे मुस्कान ला ही देती है। दिवाली आने वाली थी, मोहल्ले में साफ– सफाई का काम जोरों पर था। मां में इतनी ताकत नहीं थी कि वह पूरे घर को साफ करें। बहुत सोचने– विचारने के बाद आखिर बंदूक की नाल मंगूलाल के तरफ घूम ही गई।
पहले तो थोड़ा आनाकानी की, फिर सोचा सफाई कर ही लेता हूं। मां भी क्या याद रखेगी कि बेटे ने काम किया है। पड़ोस से सीढ़ी मंगाई गई,फिर ताम– झाम के साथ मंगूलाल चढ़े सीढ़ी पे। मां भी खुश,बेटा मदद करने के लिए आगे तो आया।
थोड़ी निश्चिंत होकर बैठी ही थी कि तभी कमरे से आवाज आई, मां ! जरा झाड़ू देना। 5 मिनट के बाद फिर आवाज़ आई,मां! कपड़ा देना। मंगूलाल जिस स्थिति में सीढ़ी पे चढ़कर मचान पे बैठे थे, वही स्थिति उनकी पूरे दिन बनी रही।
हर 5 मिनट के बाद आवाज आती, मां! यह देना, मां! वह देना। चाय और पकौड़े का मेला लगा, सो अलग ही। मां ने अपना सर ठोंक लिया । मेरी ही मति मारी गई थी, जो मैंने इसे काम पे लगा दिया।
उस दिन मां का गुस्सा देखने लायक था। मंगूलाल ने सोचा कि चलो मां को खुश करते हैं। काम ना करने की वजह से उनका वजन बढ़ता ही जा रहा था। एक दिन उनके दिमाग में यह बात आई कि जिम में entry कर ही लेता हूं। बस अगले दिन से ही उनकी कसरतबाजी शुरू हो गई🤸🏃🚶।
चार-पांच महीने हो गए उन्हें कसरत करते हुए पर उनका वजन जस का तस था🏋️🏋️। पिताजी गए कसरत घर पता करने को, आखिर बेटा जस का तस क्यों है? वहां जाकर देखा तो बेटा 7–8 लोगों के बीच में अपने ज्ञान बांट रहा था।
जिम के मैनेजर ने बताया कि यह साहब हर दिन यहां आते हैं और थक के बैठ जाते हैं। कोई कसरत नहीं,बल्कि जो कसरत कर रहे होते हैं,उन्हें भी अपने ध्यान से हटाकर अपने आसपास लोगों की भीड़ जुटा लेते हैं। फिर ज्ञान चर्चा होती रहती है।😡😡🧔🤦👈 अब जाकर पिताजी को समझ में आया कि आखिर बेटे का वजन कम क्यों नहीं हो रहा है ?
जिम वाले ने यह भी कहा कि ये कभी-कभी तो एक–एक घंटा ट्रेडमिल से हटते ही नहीं हैं। जब हटने के लिए बोलता हूं,तो जवाब मिलता है– डॉक्टर ने बोला है, कम से कम एक घंटा ट्रेडमिल पर समय जरूर बिताएं। ट्रेडमिल को इन्होंने अपना आरामगाह बना दिया है। आप ही बताइए साहब, इनका मैं क्या करूं?🤔😑 इनके बकबक से कितने कस्टमर भाग चुके हैं। पिताजी को समझ ही नहीं आ रहा था कि वो हंसे या रोए।
घर आए तो दिमाग में यह बात घूमने लगी कि बेटे को कुछ काम में लगाता हूं, वरना अपने निठल्लेपन से ये सबकी नाक में दम कर देगा। बहुत सोच– समझ कर परचून की दुकान खोली गई और उसमें मंगूलाल को बैठाया गया। दिमाग में ये बात घुसेड़ी गई कि अपने काम से लोगों का दिल जीत। इन्हें भी लगा कि जीवन में कुछ करने का मौका मिला है तो इसे बखूबी आजमाऊंगा।
अगले दिन से वे दुकान पर बैठने लगे। इस तरह से दुकान चलते हुए एक हफ्ता हो गया। पिताजी ने सोचा कि जरा आसपास से दुकान का मुआयना कर लेता हूं। फिर जो बात पता चली तो उन्होंने अपना माथा ठोक लिया।मंगूलाल कपड़े धोने का साबुन मुफ्त में बांट रहे थे,क्योंकि उसपे लिखा था कि पहले इस्तेमाल करें,फिर विश्वास करें।
हद तो तब हो गई जब घर में दूध खत्म हो गया और इन्हें चाय की तलब हो रही थी। मां ने कहा कि बेटा, जा जरा बाज़ार से दूध ले आ। पता है मंगूलाल ने क्या लाया,dove साबुन,क्योंकि इसमें दूध भी होता है। जब से दुकान खुली थी,मंगू जी एडवरटाइजमेंट का चलता– फिरता नमूना बन गए। घर में नमक नहीं होता तो कोलगेट साल्ट उपयोग करने को कहते।
अपने ज्ञान का इस कदर उपयोग उन्होंने किया,जिसे सुनकर घरवालों को सर पीटने का मन करता था। पिताजी की हड्डी चटकी तो फेविकोल ले आए हड्डी जोड़ने,ये कहकर कि फेविकोल का मजबूत जोड़ है,टूटेगा नहीं।
अब पानी सर से ऊपर जा रहा था। मंगूलाल के बढ़ते दिमाग को फ्यूज करना जरूरी था। मां–
बाप ने सोचा कि शादी कर देते हैं,शायद पत्नी के आने से अक्ल ठिकाने आ जाए। बहुत देखा तो एक लड़की नज़र में आई। मंगूलाल को सुबह से ही दिमाग़ में ये बात बैठाई जा रही थी कि ऐसा कोई कार्य लड़की वालों के यहां ना करें,जो मुसीबत का कारण बने। जो बोला जाए,उसी का जवाब दें।
बहुत सारी हिदायतों को दिमाग में रखते हुए सज– धज के मंगूलाल चले लड़की देखने। सब कुछ ठीक था,बस शर्ट तोंद पे अटक गई थी। थोड़े समय के बाद मंगूलाल लड़की वालों के सामने बैठे थे,पर सांस अंदर खींचकर,ताकि तोंद झलके नहीं।
सामने लड़की की मां और पिताजी बैठे हुए थे।मंगूलाल चुप्पी साधे रहे। अचानक से लड़की के पिता ने जब उनसे कुछ पूछा तो सांस बाहर आई और तोंद पे अटकी शर्ट की बटन हर बाधाओं को चीरते हुए सीधे लड़की की मां के खुले मुंह के अंदर घुस गई।
हो– हल्ला मच गया,तभी मंगूलाल चिल्लाए,कोई नींबू– सोडा ले आओ। सबने सोचा कि शायद ये इस समस्या का हल होगा। तुरंत बाज़ार से नींबू सोडा आया,पर मंगूलाल इसे खुद गटक गए ,ये कहते हुए कि मुझसे ऐसे हादसे देखे नहीं जाते🤑🤓🥵🤣😂।
उनकी इस हरकत पे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि लड़की वालों ने उनके साथ क्या किया होगा।आज के समय में मंगूलाल अपने प्यारे काम को अंजाम दे रहे हैं,मतलब निठल्लापन को इन्होंने अपना सबकुछ मान लिया है। अब मां– बाप भी इनसे पंगा नहीं लेते🤣🤣😂😂।
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