🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Last Part)🌶️🌶️🥵
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अंधा सिपाही कानी घोड़ी, विधि ने खूब मिलाई जोड़ी
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🤯🤯सारा शहर गर्मी से परेशान त्राहि माम,त्राहि माम🔥🔥 करके उबल रहा था🌞🌞। आसपास कहीं भी पेड़ों की श्रृंखला दिख नहीं रही थी🌳🌴🌲🌴। मालूम होता है कि सभी ने इन ऊंची– ऊंची आसमान छूती मंजिलों🏰🏢🏬🏭 के लिए अपना बलिदान दे दिया होगा। ये🌞 सूरज दादा भी ना कितने हंसते– मुस्कुराते अपनी प्रखर किरणों💥💥 को धरती पर मुफ्त में भेज रहे हैं। कहीं भी अड़चन नहीं है,इन किरणों के रास्ते में।
पर शायद उन्हें धरतीवासियों की स्वभाव से अवगत नहीं कराया गया है कि यहां हर चीज की कीमत होती है। मुफ्त की चीजों का कोई अर्थ नहीं होता। अपना दोष दिखाई ना देकर दूसरे पे उंगली उठाना इन धरतीवासियों से बेहतर कोई नहीं जानता👉👈👉👈।
🌞👈 सूरज दादा पे उंगली उठ रही है,पर ये तो अपने में ही मस्त हैं। दुनिया जले तो जले। पर एक शख्स ऐसा भी था जिसे इस प्रचंड गर्मी में भी ठंडक का एहसास हो रहा था और वो थे MLA की कुर्सी हथियाने वाले काशीनाथ। अपनी जीत पे शायद गर्मी को भी मुंह चिढ़ा रहे थे। और हो भी क्यों ना, इतनी कड़ी धूप में भी उन्होंने कम जतन नहीं किए। रोडयात्रा को अंजाम दिया,लोगों से मिले।
AC वाली गाड़ी से उतरकर गरीबों के झोपड़े में गए। उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए हवाई पुल बांधे। अपनी ऊर्जा की खपत उन्होंने जनता को उल्लू बनाने में की👻👻। काशीनाथ के साहस की बलिहारी देनी होगी जिन्होंने इस गर्मी में भी गरीबी के उस दृश्य में👮👼🤶👩🔬 सेंधमारी की, जिनके सर पर छत भी नहीं थी। ऐसी– ऐसी जगह जाकर गरीबों के साथ अपना बहुमूल्य वार्तालाप जारी रखा। अपने माथे से छलकते पसीने को मोती समझा, तभी तो ये खुशी मिली।🤓😓
भाई कुछ भी कर लो, पर यह तो मानना ही पड़ेगा कि नेतागिरी भी एक बिजनेस ही है जिसमें अपना जमीर और अपना ईमान दोनों बेचना होता है। पर एक बात समझ नहीं आती कि जो गरीबों के हक के लिए लड़ते हैं, वह लड़ते-लड़ते अमीर कैसे हो जाते हैं।🤷👳
अपने काशीनाथ की कहानी भी बड़ी ही अजीबोगरीब है। यहां तक आने के लिए उन्होंने बड़े ही पापड़ बेले हैं। एक आम आदमी के रूप में दुनिया में आए। पर पैसे और ताकत का मोह दिल से निकाल नहीं पाए। अपने सपनों को पूरा करने की अफरातफरी में ही उनकी मुलाकात गुरु बवंडर नाथ से हुई।
गुरु ने भांति– भांति के ज्ञान📝📝 चेले को दिए। उन्होंने अपने ज्ञान– चक्षु को खोला। इनकी शिक्षा लेने से पहले काशीनाथ एक आम आदमी ही थे। हां,महत्वकांक्षा बड़ी जरूर थी। ऐसे में ही उनकी मुलाकात गुरु बवंडर नाथ से हुई और अपने सपनों के बारे में बताया।
गुरु की एक बात सबसे महत्वपूर्ण लगी– काशी! अवसरवादी बनो और कुर्सी से बढ़कर ऐसी कोई जगह तुम्हें नहीं मिलेगी, जहां इस ज्ञान का उपयोग ना होता हो😳😳🤤।
गुरु🙏🙏 ने ज्ञान देते हुए कहा कि जनता से पहले आम🍋 शब्द लगने का कारण भी यही है कि उसे चूसा जा सके और काम निकल जाने पर गुठली की तरह फेंका जा सके। एक बार सत्ता का सुख प्राप्त हो गया तो समझो तुम्हारी सात पुश्ते बैठकर खाएगी 🍋🍋।
अपनी सारी पूंजी बेचकर काशीनाथ ने चुनाव लड़ा। चालू पुर्जा तो उनके खून में दबा हुआ था, बस समुद्र में ज्वार– भाटा आने की जरूरत थी। गुरु का ज्ञान– जनता के बारे में मत सोचो, सोचो कि विपक्षी पार्टियों का तोड़ कैसे निकालना है। ये तुम्हारे भविष्य के हथियार बनेंगे। महंगाई जैसे उछल रही है,हंगामा,धरना,हड़ताल को अपना साथी बनाओ और उसे जनता के बीच उछालो।
काशीनाथ ने गुरु की बातों को अपने सर आंखों पर रखा, तभी तो बाहर 45-50 डिग्री सेंटीग्रेड की झुलसती गर्मी में गरीब आदमी के घाव पर मरहम लगाने की कोशिश कर रहे हैं, ना ना दिखावा कर रहे हैं। वरना अपने घर के भीतर बह रही एयरकंडीशनर की हवा के साथ झूम रहे होते। तभी तो मेहनत रंग लाई वरना आम आदमी तो इसी मेहनत और किस्मत के बीच में ताउम्र झूलता रहता है।
नेता बनते ही काशीनाथ के सपने भी हवा में तैरने लगे हैं। मानसून की जैसे ही शुरुआत हुई, देश के कोने-कोने से नदियों ने अपनी सीमाओं को तोड़ना शुरू कर दिया। अपनी पैठ बनाने के लिए दौरा जरूरी था,सो निकल पड़े बाढ़ग्रस्त इलाकों में। हेलीकॉप्टर से इलाकों का मुआयना किया, दो चार जगह सेमिनार आयोजित किए, बस हो गई खानापूर्ति इनकी।
इससे पहले पर्यावरण दिवस पर भी इन्होंने अपने दायित्व को अच्छी तरह से संभाला था। सुबह से ही कुर्ता– पजामा पहन कर बैठे थे, फिर चले सारे शहर में जगह-जगह वृक्षारोपण करने, लेकिन फोटोग्राफरों के साथ, ताकि अखबार के पहले पेज पर उनकी कारगुजारी चीख– चीख कर प्रकृति प्रेमी होने का इशारा करें।
अंगप्रदर्शन को जैसे आज की फिल्मी बालाएं समय की मांग बताती हैं,ठीक वैसे ही नेतागण भी समय पर अपने कार्य थोप देते हैं। एक सवाल यह भी उठता है कि क्या काशीनाथ ने उस दिन के बाद उन पौधों को पानी भी दिया होगा या जाकर मुआयना भी किया होगा,संदेह ही है।
गुरु ने समझाया था कि काशी बॉलीवुड अभिनेत्रियों की तरह बन। जैसे ये अभिनेत्रियां पहले अपने बेबी बंप का खूब प्रचार करती हैं,फिर बच्चे के जन्म के बाद उसके प्राइवेसी का ख्याल रखने को मीडिया से आग्रह करती हैं,मतलब अभी बच्चे का फोटो सामने नहीं लाना है जैसी नौटंकी को अपने अंदर आत्मसात करो।
काशीनाथ जी साक्षरता अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे थे। शिक्षा को घर– घर तक पहुंचाने की चर्चा हो रही थी। इसके लिए सरकारी स्कूलों को आगे बढ़ाना होगा 📖📝📝। प्राइवेट स्कूलों की बढ़ती फीस को रोकना बहुत जरूरी है। शिक्षा आम आदमी तक भी पहुंचे, ऐसे– ऐसे नारों के बीच काशीनाथ की गाड़ियों का काफिला आगे बढ़ रहा था।
जबकि शिक्षा को फैलाने वाले उनके खुद के बच्चे देश में नहीं बल्कि विदेश में किसी प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे और वह भी देश के खर्चे पर। पर सिद्धांत और व्यवहारिकता में बहुत अंतर है। खैर, काशीनाथ अपने कर्तव्यों का पालन करने में लगे हुए थे।
आज सरकारी स्कूलों में दौरे हो रहे थे। एक स्कूल के सामने गाड़ी रुकी। अचानक से नेता जी के आगमन ने हड़कंप मचा दिया । स्कूल की टीचर अपनी– अपनी प्लास्टिक की थैली को संभालने लग गईं। ठंड आ रही थी,स्वेटर बुनना भी जरूरी था। एक पंथ दो काज हो रहे थे,और क्या चाहिए समाज को।
महिला शिक्षक यही तो कर रही थी यहां👩💻👩💻। नेताजी एक क्लास में घुसे,किताब📖 उठाया और वहां बैठे एक लड़के से👼 उन्होंने पूछा कि हाथ कंगन को आरसी क्या, का मतलब बताओ। पता है लड़के ने क्या जवाब दिया– जो लड़कियां हाथ में कंगन पहन कर स्कूटी चलाती है, पुलिस उससे आरसी नहीं मांगती😇😇😜🤪
जवाब सुनकर शिक्षक का चेहरा देखने लायक था🥺🤐😱, पर काशीनाथ को कुछ समझ में नहीं आया। आता कहां से खुद तो आठवीं पास थे ,वो भी किसी तरह से। पर चले थे ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाने। सरकारी दौरा करना था,सो कर लिया । आगे भी ऐसी प्रक्रिया जारी रहेगी। देखते हैं गुरु बवंडर नाथ ने अपने शिष्य को और क्या-क्या गुरु ज्ञान दिया……..🤔🤔🤔
नेता बैठे कुर्सी पे🪑🪑
आंखें लगी चमकने👀👀
मुठ्ठी में पैसे और ताकत✊✊
लगे हैं सपने तैरने💫💫
चलता है उनका भाषण📯📯
पर चिंता नहीं,जनता को मिले कैसे राशन🤷🤷
कर रहे हैं सरकारी दौरा🚗🚗
नारेबाजी ना रह जाए अधूरा📯🖐️
काश!🤔 मैं भी एक नेता होता🤔
पांच सालों के वादे जनता से कर रहा होता🤷🤷।।
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Bilkul hi naye Andaaz mein aapane is latife ko likha hai. vakai kabile tarif hai.
Maja a Gaya padhakar
😀😀👌👌