तलाश(वैंपायर लव–स्टोरी)अंतिम भाग
अब तक आपने पढ़ा––– जयंत जब बस में बैठा था तो बस ठसा– ठस भरी हुई थी,पर अचानक से बस में बैठे लोग पता नहीं कहां चले गए और बस भी अंधेरे को चीरती पता...
अंधेर नगरी,चौपट राजा
न्याय सभा का एक दृश्य…….
एक बड़े– से कमरे में जगह-जगह पर कुर्सियां🪑🪑🪑🪑 बिछी हुई हैं। उन कुर्सियों के बीचो-बीच न्यायाधीश के लिए एक बड़ी सी कुर्सी लगी थी। साथ ही अपराधी🥴🥴 को खड़े होने के लिए भी स्थान नियत किया गया था।
( तभी नेपथ्य में ध्वनि पूरे कमरे में गुंजायमान हो जाती है🔊🔊)
यह सूचना थी न्यायाधीश पनौतीलाल के आगमन की। इनके नाम को सुनकर अचरज भी होती है और हैरानी भी👀👀। असल में ये साहब नेपाल के एक प्राचीन शहर पनौती के रहने वाले थे। वैसे तो बचपन का नाम मां बाप ने ही कुछ और रखा था, पर एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि अगर जन्म स्थान के नाम पर इसका नामकरण किया जाए, तो इसकी किस्मत चमकने से कोई नहीं रोक सकता💫💥✨।
बस तब से ही इनका नाम पनौतीलाल पड़ गया। किस्मत से पढ़ लिख कर जज बने। पर इनकी समझदारी आपलोग इनकी आने वाली न्याय– प्रक्रिया में जरूर देखें।
इनकी एक बड़ी खासियत यह थी कि ये आगे– आगे और इनकी हां में हां मिलाने वाले पीछे– पीछे चलते थे(🎶तू जहां– जहां चलेगा, मेरा साया तेरे संग होगा🎶) ।
पनौतीलाल ने अपने कदम कमरे में बढ़ाए। साथ ही साथ अपने लाडलों को भी कुर्सी पर बैठने का इशारा किया। उनकी कुर्सी के दाएं और बाएं दो बालाएं फानूस हिलाने के लिए तैयार खड़ी थीं। उनके चेहरे ऐसे लीपे–पुते थे,मानों मेकअप की चलती– फिरती दुकान हो।👩🦰👩🦰 उनके पीछे दो दरबारी कर्फ्यू वाली स्थिति में खड़े थे।🚻
नेपथ्य में गाने की धुन बज उठी।
( 🎶🎶अजीब दास्तां है ये, कहां शुरू कहां ख़तम🎶🎶)
इसी गाने की गुनगुनाहट पनौतीलाल के श्रीमुख से भी निकल रही थी। बेअदब के साथ इनके लाडले अपने स्थान पर खड़े हो गए । पनौतीलाल को यह ऐसे देख रहे थे मानो उनके मुख से निकल रहा हो– ( 🎶🎶 इम्तिहा हो गई इंतजार की…🎶🎶.)
लाडलों को बैठने का इशारा किया, फिर बालाओं की तरफ देखकर एक चमकीली हंसी छेड़ी🥰🤩 और दिल से आवाज़ निकली–( 🎶🎶गाता रहे मेरा दिल, तू ही मेरी मंजिल🎶🎶)।
इतने सारे ड्रामों के बीच में आखिर पनौतीलाल ने सभा की कार्यवाही शुरू करने का आदेश दे ही दिया।
(फरियाद करने वाले एक पति–पत्नी 👫थे )
( पति– पत्नी का कमरे में आगमन👫)
कठघरे में पति सबसे पहले खड़ा हुआ।
पति––सरकार! मैं अपनी पत्नी से परेशान हो गया हूं। झगड़े का कोई मौका जाने नहीं देती। शक्की तो इतनी है कि अगर मेरे कपड़े पे कोई बाल दिख गया तो नजरें तो उबलती ही है,ना दिखे तो भी सवाल👀 करने लगती है कि कौन है वो टकली। ना जीते बनता है और ना मरते।
आज जब मैंने पूछा कि क्या तुम मेरी फिल्म में काम करोगी,तो पता नहीं क्या सोचकर हां बोल दिया। फिर मैंने फिल्म का दृश्य समझाया कि तुम्हें धीरे-धीरे पानी में जाना होगा। यह सुनकर बहुत खुश हुई। पर जब मैंने फिल्म का नाम बताया तो आकर झगड़ा करने लगी। पनौतीलाल ने उत्सुकता से जब फिल्म का नाम पूछा तो पति का जवाब था––” गई भैंस पानी में”।
पर आज तो इसने इंतहा कर दी। मुझे अपने वश में करने के लिए मेरी चाय में ताबीज डाल दिया । अब आप ही इस समस्या का हल करें और पत्नी नामक कब्ज से मेरे पेट को हल्का करें।
अब पत्नी की बारी थी।
पत्नी(पति को घूरते हुए👀👀)– सरकार!ये आदमी मेरी बात मानने को तैयार ही नहीं है। मैं चिल्ला चिल्ला कर थक गई कि यह ताबीज नहीं,tea–bag है। पर ये एक ही राग अलाप रहा है। और तो और इसने बिना मेरे से पूछे अपने बाल इतने छोटे करवा लिए कि मेरे हाथों में समा ही नहीं रहे हैं।
शादी से पहले उसने क्या-क्या वादे किए थे,बल्कि घुमाया भी था। कभी होटल तो कभी सिनेमाघर घूम आते थे । जैसे ही शादी हुई, घर के बाहर भी नहीं ले जाते।
पत्नी की बुलेट ट्रेन पे विराम लगाते हुए पति का जवाब– मूर्ख! कभी देखा है चुनाव जीतने के बाद नेता का गरीबों से मिलन ।
पति की इस हाजिरजवाबी पे पनौतीलाल खुश😆😆 हो गए। पर, दोनों पक्षों की बातों को सुनने के बाद पनौतीलाल को औरत की बातों में दम लगा। और उन्होंने मर्द को दोषी करार देते हुए यह आदेश दिया कि चूंकि पति ने अपनी पत्नी को दिए हुए वादों को पूरा नहीं किया। साथ ही साथ झूठा दोषारोपण भी किया। इसलिए एक महीना तक घर की बाई को हटाकर सारे घर का काम करवाया जाए।
साथ ही साथ बिना पत्नी की आज्ञा के बाल कटवाने के एवज में इसे एक महीने तक अपने बाल लंबे करने होंगे, ताकि पत्नी की हाथों में अच्छे से समा सके।
पनौतीलाल की न्याय को सुनकर सभी सभासद वाह– वाह कर उठे। अगली सुनवाई का इंतजार करते हुए पनौतीलाल अपनी मूंछों पे ताव देते🧔🧔 दिलकश अंदाज में इंतजार कर रहे हैं🤓🤓।
एक खाते– पीते घर का आदमी🧑🦱 और एक मडियल–सा आदमी🧑🦲दोनों का सभा में प्रवेश हुआ।
( कठघरे में खाते– पीते आदमी ने सबसे पहले entry मारी।)
मोटे चमड़े वाला आदमी–– सरकार! इस आदमी ने मेरे घर में दो बार चोरी करने का दुस्साहस किया है। पहली बार तो मैंने इसके शरीर और इसके बेचारेपन को देखते हुए छोड़ दिया पर दूसरी बार फिर ये चोरी करने आ गया।
मड़ियल आदमी–– सरकार! पहली बार जब मैंने चोरी की तो एक साड़ी हाथ लगी थी,पर मेरी बीबी को दूसरी साड़ी चाहिए थी। दूसरी बार मैं exchange करने आया था,चोरी करने नहीं😫😫।उसकी बात सुनके पनौतीलाल ने भी हां में हां मिलाया।
बेचारे चोर ने तो बस अपने कर्तव्यों का निर्वाह ही किया है,तो इसमें गलत क्या है🤔🤔।
इस न्याय व्यवस्था पर सभी सभासदों ने ताली ठोंकी। पनौतीलाल की न्याय व्यवस्था सचमुच में अद्भुत थी। न्याय की आस लगाने वालों की बैंड बजा दी।
पर आज वे थोड़ी जल्दी में थे, इसलिए कार्यवाही वहीं स्थगित कर दी गई । एक बात तो बताना रह ही गया कि पनौतीलाल को अंग्रेजी सीखने का नया-नया चस्का लगा था। अंग्रेजी की टांग ऐसे खींचते, मानों तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत वे अंग्रेजी से ही करने वाले हों🫣🙄। यही नहीं अपनी ज़बान से निकली बेशकीमती अंग्रेजी पे वे बहुत खुश होते🤩🤩 और अपनी काबिलियत पर ऐसे फूलते,जैसे बारिश में खिड़की– दरवाजे फूल जाते हैं🪟🚪।
अपनी कुर्सी से उठने ही वाले थे कि एक गरीब आदमी जबरदस्ती अंदर घुस गया और उनके सामने गिड़गिड़ाने और न्याय की भीख मांगने लगा। पर पनौती लाल कहां रुकने वाले थे। मेरे घर में beautiful tragedy (सुंदर काण्ड) होने वाली है, इसलिए तुम्हारी बात मैं कल सुन लूंगा, कहते हुए वहां से चलते बने🤪😜
नेपथ्य में गाने की धुन🫥
( 🎶🎶है परेशान नजर थक गए चारागर, कोई समझा नहीं कोई जाना🎶🎶 नहीं)
अपनी डफली अपना राग
करते हैं सब यहां
किसी की दुख को जो समझे
ऐसी फितरत सब में है कहां
अंधेर नगरी,चौपट राजा
टके सेर भाजी, टके सेर खाजा।।
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