🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Last Part)🌶️🌶️🥵
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न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
🎶🎶पंछी बनूँ उड़ता फिरूँ मस्त गगन में
आज मैं आज़ाद हूँ दुनिया के चमन में।।
🎼🎼ला ला ला…..बादलों🌧️🌧️ के बीच में मैं गुनगुनाते उड़ा🤷🙆 जा रहा था। ठंडी-ठंडी छुअन मुझे सुखद🦚🕊️ एहसास दे रही थी कि तभी कुछ गीला– गीला सा महसूस हुआ, मानो किसी ने मुझे पानी में डाल दिया हो। अचानक से आंखें👁️👁️ खुली तो देखा बादलों की उड़ान सपने में थी और मैं पानी से तरबतर बिस्तर पे🛌 औंधे मुंह पड़ा था।
आंखों👁️👀 ने एक कोने से अपने दरवाजों को खोला तो सामने हिटलर की तरह मेरी मां बाल्टी लेकर खड़ी थी। उनके मुंह से लगातार निकलते तोप के गोले से मुझे पता चला कि कई घंटों से मुझे नींद से जगाने की कोशिश हो रही थी, पर यह मेरी शरबती आंखें👁️👁️ मानो खुलने का नाम ही ना ले रही हो। वो तो भला हो उस पानी का, जिसने अपने आपको मेरे इस नश्वर शरीर पर गिराया 🛌और बाहरी दुनिया से अवगत कराया🙄।
मां से बड़ा दुनिया में कोई अलार्म⏰🔔 नहीं होता। 7:00 बजे उठाने को कहो तो 5:00 बजे उठाकर बोलेगी कि 9:00 बज गए हैं। मैंने घड़ी देखी तो सुबह के 10:00 बज गए थे, पर यह 10 अब बस हो गया🥸🤠। मानस पटल पर कुछ याद करने की कोशिश की तो अचानक से 440 वोल्ट का झटका लगा। अरे आज तो दीदी को देखने के लिए लड़के वाले आ रहे हैं, इसलिए तो मां कमांडर की तरह बैठी हुई थी🧓 मुझे उठाने के लिए।
असल में दीदी की शादी हर बार कट जा रही थी। कारण था, पहले मेरी दीदी 300ml की पेप्सी की बोतल की तरह दिखती थी पर आज के समय में वो 2 लीटर की बोतल🫣 बन गई है। महंगाई की तरह ही मेरी दीदी अपने वजन को भी बढ़ाने में लगी हुई थी🏋️। वो तो भला हो मामा जी का, जिन्होंने बहुत मुश्किल से यह रिश्ता करवाया।
हमारे घर में लव मैरिज का चलन नहीं है,इसलिए दीदी हिम्मत भी नहीं कर सकती👥।जबकि लव मैरिज❣️❣️ के अपने ही फायदे हैं। ये अरेंज्ड मैरिज भी कमाल की होती है। इसमें बिका हुआ माल वापस नहीं होता,जबकि लव मैरिज में निरमा साबुन के एड की तरह,पहले इस्तेमाल करें,फिर विश्वास करें वाली बात होती है🙋🤷
पर हमारा घर इतना मॉडर्न तो था नहीं,इसलिए तो शादी के लिए जगह– जगह भोंपू बजाए जा रहे थे। भगवान के नाम पे लड़का बता दे,वरना मेरी लड़की क्वांरी रह जाएगी। तभी इन महान विचारों के बीच में मां की गगनभेदी आवाज सुनाई दी। बिस्तर पर ही पड़ा रहेगा या बाजार से सामान भी लाएगा। लड़के वाले बस 2 घंटे में पहुंचने ही वाले हैं🏃🏃।
मैं आनन-फानन में उठा और फिर बाथरूम में घुस गया। जल्दी– जल्दी तैयार होकर बाइक की चाबी ली और घर से निकलने ही वाला था की मम्मी ने पीछे से टोका,रुक! आज से प्लास्टिक बैन है। इसलिए प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना, वरना चालान कट जाएगी।
चेहरे पे हज़ार गम लेकर मजबूरन में मुझे 1980 के दशक का झोला अपने हाथों में डालना पड़ा। पहले तो मैंने टालमटोल की थी, पर समय की नजाकत को समझते हुए मान गया। मुंह पे 12 बजाते हुए झोले पे सरसरी निगाह डाली और घर से निकल पड़ा।
गाड़ी सड़क पर फुल स्पीड में दौड़ी जा रही थी कि तभी एक ट्रैफिक पुलिस ने रुकने का संकेत दिया🧑✈️। मैंने अपने आप को ऊपर से नीचे तक देखा। हेलमेट से लैस, प्लास्टिक विहीन मेरे हाथ,तो फिर डर कैसा?
सीना 16इंच का करके बाइक रोकी और डटकर एक फौजी की तरह खड़ा हो गया। गाड़ी का पेपर दिखाओ। मैंने एक विजयी मुस्कान के साथ पेपर निकालें। थोड़ी चेक करने के बाद उन्होंने ₹1000 का चालान काट दिया। मेरी सवालियां नजरों का समाधान उन्होंने कुछ यूं किया–– गाड़ी के सारे डॉक्यूमेंट हैं, पर यह सारे डॉक्यूमेंट पॉलिथीन में हैं, जो ban है।
आसमान से गिरा और खजूर पे अटका वाली हालत इस समय मेरी हो गई थी। इन लोगों को तो बस चालान काटने का बहाना होना चाहिए। ये तो वही बात हो गई थी कि मिश्रा जी प्लास्टिक बैन होने के बाद दूध लोटा लेकर निकले तो बाहर स्वच्छता अभियान वालों ने पकड़ लिया। ना जीने देंगे,ना मरने देंगे वाली हालत हो जाती है,जब बंदिशों में नागरिक बंध जाता है।
पैसे देने के बाद मेरी सिट्टी– पिट्टी गुम थी। 2000 में से हजार रुपया तो पुलिस वालों ने ले लिया, अब मैं इसमें से कितना सामान लूं, कितना छोडूं। आंखों के सामने मम्मी मुझे बेलन से हिसाब –किताब समझा रही थीं।
विचारों को झटका दिया, मायूस होकर बाइक खड़ी की और कुछ सोचने लगा, तभी सामने से रामशरण काका आते नजर आए। वह हमारे पड़ोसी थे और हाल फिलहाल में ही स्कूटर खरीदा था। मेरी दिमाग की फ्यूज बत्ती अचानक से जल उठी। उन्होंने मुझे रोड के किनारे खड़े देखा तो स्कूटर रोक दिया।
पर मैंने जब उनके ऊपर अपनी गिद्ध दृष्टि डाली तो उनका हेलमेट का शीशा लाल था। मुझे लगा कि उन्हें चोट लग गई है और खून माथे से रिस रहा है। पर यहां तो बात ही दूसरी थी। साहब ने नियम का इतना अनुसरण किया कि पान थूकते समय हेलमेट ही नहीं उतारा, जिसका ताजा उदाहरण मेरे सामने था।
खैर अभी नियम– कानून मेरे पल्ले नहीं पड़ रहे थे। मुझे अपने 1000/की भरपाई करनी थी। सामने मम्मी मेरे सामने 9 हाथ लेकर खड़ी थी। हर हाथ में मुझे मारने का सामान पकड़ा था। पर मैंने अपनी कल्पना को थोड़ा विराम दिया और काका से 1000/ उधार लिया और जल्दी-जल्दी सामान खरीदा।
घर आया तो लड़के वाले आ चुके थे और मेरी मम्मी सुलगती आग की तरह बार-बार दरवाजे पर नज़र गड़ाई हुई थी,पर जब मैंने अपने होने वाले जीजा जी की तरफ देखा तो होंठो पे बरबस मुस्कान आ गई और कुछ पंक्तियां यूं बन गई…….
चेहरा था सूखा हुआ
हड्डियों पर मांस नहीं
2लीटर की बोतल संग
300ml की बोतल का चढ़ा रंग
एडजस्टमेंट क्या होगा
जो होगा,देखा जाएगा।।
मम्मी ने मेरे हाथों से सामान ले लिया और इशारे से वहां बैठने को कहा। जैसे ही मैंने अपने कदम बढ़ाए, मेहमानों के हाथ में प्लास्टिक देखकर सकपका गया और मेरी आंखों के सामने 1000/ के नोट डांस करते नजर आए ।
उस समय मेरे चेहरे की रौनक मेरे आधार कार्ड पर छपे फोटो जैसी लग रही थी, तभी तो चाहे बला की मुसीबत ही क्यों ना आ जाए, आधार कार्ड वाले फोटो की डीपी मैं नहीं लगाता। भाई!अपनी खूबसूरती पे घमंड हो जाता है🫣🫣
शादी के पहले settlement के पूरे होने (यानि नैनों ने आपस में मिलीभगत किया ) के बाद जब मेहमान चले गए तो अपने 1000/ का सेटलमेंट करवाने के लिए मैंने भी मम्मी को मस्का लगाना शुरू कर दिया।
मुझे उस दिन की याद आने लगी, जब परीक्षा में पेपर आते थे तो उसी से पता चलता था कि परीक्षा कक्ष में कितने जाले लगे हैं,कहां– कहां प्लास्टिक उखड़ गया है, दीवारों में दरारें कितनी हैं? कुछ ऐसा ही ज्ञान मैं अपनी मम्मी के सामने भी पेश कर रहा था।
तभी मोहल्ले के शोर-शराबे के कारण मुझे अपनी चिरौरी स्थगित करनी पड़ी,क्योंकि मेरी मम्मी का सारा ध्यान उधर चला गया। अपने घर से ज्यादा मम्मी को समाज की खबरें रखने में ज्यादा मजा आता था। भेड़– चाल की तरह मैं भी उनके पीछे-पीछे चला गया।
पता चला कि बगल के रमेश अंकल एक दुकानदार से झगड़ा कर रहे थे । वे झोला लेकर निकले नहीं और दुकानदार प्लास्टिक में सामान देने को राजी नहीं हो रहा था। बस शुरू हो गई तकरार।
मुद्दा जानते ही मैं वहां से सिटपिटाकर भागा। ये प्लास्टिक की खबर मेरा पीछा ही नहीं छोड़ रही है। अपने देश में ऐसे कठोर नियम कब से बनने लगे। तभी मचमच की आवाज़ कानों में गूंजी। आंखों को इधर– उधर घुमाया ,तभी दृष्टि पड़ी पैरों के नीचे। जूते के नीचे दबे प्लास्टिक ने मुझे आंख मारी। ऐसा लगा मानो यह गाना गुनगुना रहा हो ………..🥳🥳
देश में भड़की है आग
प्लास्टिक बैन पे अलाप रहे हैं राग
सबकी जरूरत बन गया है प्लास्टिक
अमरता का वरदान पाया है प्लास्टिक
रंग बिरंगी थैलियां मेरी
मेरी जगह क्या लेगी झोली तेरी
रोजमर्रा की हरेक चीजों में मैं समाया
मुझको नष्ट करने का कोई तरकीब ना आया
सालों साल चलता हूं
सबके काम को आसान बनाता हूं।
पर,सौ टके की एक बात
जहरीला है मेरा रंग
धरती को कर रहा हूं बदरंग ।।
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😂😂👌👌
Thank u😊
Jabardust.. 😀😀