🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Last Part)🌶️🌶️🥵
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अब तक आपने पढ़ा–––
निधि और जयंत इत्तेफाक से ही मिले थे, पर दोनों के बीच एक अनजाना रिश्ता बन गया । निधि अपने जमीन को लेकर बहुत परेशान रहती थी। एक रात उसने जयंत को घबड़ाई अवस्था में फोन किया। अब आगे…….
तलाश (वैंपायर लव–स्टोरी)Part –1
निधि की फोन पर आवाज बहुत घबराई– सी लग रही थी। जयंत ने सहानुभूति जताते हुए उससे पूछा तो वह हकलाने लगी। फिर,थोड़ा संभलकर उसने बोला कि जयंत! मेरे साथ इधर कुछ दिनों से बड़ी अजीब सी घटना घट रही है। कल रात जब मैं सोई थी तो अचानक से मुझे लगा कि कोई मेरे पास बैठा हुआ है और मुझे किसी के छुअन की भी अनुभूति हुई।
मैंने घबराकर आंखें खोली तो आसपास कोई नहीं था। अक्टूबर के महीने में ऐसे ठंड लगने लगी ,मानो तापमान शून्य डिग्री हो गया हो। ताज़्जुब की बात तो यह भी थी कि इतने सर्द मौसम में भी मेरा गला ऐसे सूख रहा था,जैसे तपती गर्मी का मौसम हो।
पानी पीने के लिए जब मैं किचन में आई ,तो फिसलते– फिसलते बची। मेरा पैर कुछ चिपचिपे चीज पे पड़ गया था। अंधेरा था तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। इसी आवेश में लाइट जलाई तो देखा जमीन पर चारों तरफ खून गिरा हुआ था। मैं चीखने लगी, मानो भूचाल आ गया हो।
दूसरे कमरे से चाचा– चाची निकल कर आए। मैं उन्हीं के घर में ही रह रही हूं। मेरा घर तो बंद पड़ा है। गांव सोच कर आई थी कि अपने ही घर में रहूंगी, पर चाचा– चाची के दिखाए गए सब्जबाग में फंस के रह गई।
जब उन्होंने मुझे चिल्लाते देखा,तो उल्टे मुझे ही डांटने लगे कि इतना चिल्ला क्यों रही हो। मेरी हलक से आवाज ही नहीं निकल रही थी। मैंने इशारे से उन्हें नीचे देखने को कहा। पर उनके हाव– भाव से ऐसा लगा कि वहां कुछ भी नहीं हो। चाची ने जब चारों तरफ देखा तो कुछ नहीं था। क्या हुआ, कुछ तो नहीं है, फिर क्यों इतना डर रही हो।
फिर जब मैंने भी नीचे देखा तो मेरी आंखें फटी की फटी ही रह गईं। अभी कुछ देर पहले जहां खून ही खून फैला था, वहां की ज़मीन एकदम साफ थी। हाथ कंगन को आरसी क्या, मैं क्या जवाब देती। चाची को तो अवसर मिल गया मुझे डांटने को ।
उन्होंने मुझपे आरोप लगाया कि मैं अनर्गल बातों से उन्हें डराने की कोशिश कर रही हूं । उस दिन तो बात आई– गई हो गई। पर अगले दिन से मुझे हर रात को अजीब– अजीब सपने आने लगे। आंखें खुलती और समय देखती तो रात के 2:00 बज रहे होते।
डर के कारण मेरा सोना कम हो गया। एक रात यूंही खिड़की के पास खड़ी होकर आसमान में तारे निहार रही थी कि अचानक से झपकी आ गई। तभी लगा कि किसी ने झिंझोड़कर उठाया हो। आंखें खुली तो मेरे हाथ में असहनीय पीड़ा हो रही थी, साथ में कमजोरी का एहसास भी हो रहा था।
हर रात सपने आना, मेरी नींद टूटना और मेरे हाथ में दर्द होना यह संजोग नहीं हो सकता। चाचा– चाची को तो मेरे पर विश्वास था नहीं, गांव के लोगों को भी उन्होंने अपने पक्ष में कर लिया ।
जयंत! मैं तुमसे मिलना चाहती हूं। एक तुम ही हो, जिससे मैं अपने मन की बात कह सकती हूं। उसकी बातों ने मुझे अंदर तक हिला दिया। उसके दर्द में मैं अपने दर्द को ढूंढ रहा था। पता नहीं,क्या रिश्ता बंध गया हमारा। निधि का अक्स मेरे दिलों– दिमाग पे हावी रहता। किसी ना किसी बहाने से उससे मिलना हो ही जाता।
अगले दिन मैंने उसे अपने दोस्त के यहां मिलने को बुलाया। उस दिन जब मैंने निधि को देखा तो उसका चेहरा बहुत थका– थका सा लग रहा था। चेहरे पे वो हंसी नहीं थी, जो मैंने उसे पहले दिन देखा था। उससे बातें करने के क्रम में मैंने देखा कि उस के हाथों में दो निशान हैं, मानो कुछ नुकीली चीज गड़ी हो और उससे खून भी निकला हो, क्योंकि उस निशान के आसपास खून के छीटें सूखे हुए थे।
मैंने निधि से इस बारे में पूछा तो उसके चेहरे पे मिश्रित भाव आ गए। कभी– कभी उसकी गतिविधियां मेरी समझ से बाहर हो जाती। अपना दुखड़ा सुनाना,पर फिर किसी बात पे पर्दा डालना ये बातें बड़ी अजीब लगतीं उसकी।
हम दोनों बातें कर रहे थे, तभी एक बच्चा खेलते हुए बाहर से अंदर आया। उसकी बॉल अंदर आ गई थी पर दौड़ने के क्रम में उसका पैर किसी नुकीली चीज पे पड़ गया और खून तेजी से निकलने लगा ।
उस समय मैं निधि से ही बातें कर रहा था पर बातें करते– करते निधि अचानक से उस बच्चे की तरफ देखने लगी। मैंने स्पष्ट देखा कि उसकी आंखें चमक रही थीं और वह बेचैन भी होने लगी। पर मेरी नज़र पड़ते ही उसने अपने आप को नियंत्रण में किया।
इसी बीच मेरे फोन की घंटी घन– घना उठी और मैं उठकर कमरे से बाहर बात करने के लिए चला गया । जब लौटा तो देखा निधि वॉशरूम से बाहर निकल रही थी। मुझे देखकर यह हैरत हो रही थी कि कुछ समय पहले तक उसके चेहरे पर रौनक नहीं दिख रही थी पर अभी तो चेहरा खिला-खिला सा लग रहा था।
मुझे देखते ही सकपका गई और जल्दी– जल्दी आगे बढ़ने लगी। मेरी नज़र उसपे ही टिकी हुई थी। मैंने देखा कि उसके दस्ताने पे खून लगा हुआ है। पूछने पे उसने बातें बनाते हुए कहा कि बच्चे के घाव को पोंछ रही थी,वही गलती से चिपक गया हो, पर उसके हाव-भाव से मुझे कुछ संदेह होने लगा।
उस दिन मैं कहते रह गया कि तुम्हें घर छोड़ देता हूं,पर तेज– तेज कदमों से पता नहीं कहां गायब हो गई। एक गौर करने वाली बात यह भी थी कि वो कब आ जाती और कहां चली जाती,पता ही नहीं चलता। मैंने उसे देखा ही नहीं अब तक आते–जाते हुए।
मुझे उसपे बहुत संदेह होने लगे थे,फिर भी मेरे दिमाग से उसका आकर्षण निकल नहीं रहा था। वह भी मुझसे किसी ना किसी बहाने से मिलने का बहाना खोज ही लेती।
एक रात मैं अपने दोस्त के यहां से लौट रहा था। रात का समय और गांव का माहौल,सायं– सांय की आवाज़ कानों में बींध रही थी। गांव में तो ऐसे भी लोग जल्दी ही सो जाते हैं। मैं जल्दी– जल्दी आगे बढ़ने लगा,पर पता नहीं क्यों मुझे लग रहा था कि कोई मेरे पीछे– पीछे आ रहा हो। पीछे मुड़के देखता तो कोई नज़र नहीं आता। तभी एक अजीब तरह की गंध नाक में घुसी,जो जानी– पहचानी सी लगी।
इधर– उधर देखा तो कोई नहीं था। दोस्त के घर से मेरे घर की दूरी ज्यादा थी नहीं,पर ऐसा लगा कि मैं गोल– गोल चक्कर काट रहा हूं। बहुत देर तक ये घटना मेरे साथ घटते रही। फिर अचानक से अपने घर के पास पहुंच गया।
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि आखिर मेरे साथ हो क्या रहा है? मां को कुछ भी बताना मुनासिब नहीं लगा मुझे।
आखिर निधि क्यों बार– बार जयंत के इर्द– गिर्द आ रही थी? उसकी रहस्यमय बातों का राज़ क्या था? इस अजीब गंध का रहस्य क्या है? ये जानने के लिए पढ़ें मेरी कहानी का अगला भाग……..
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Kya story hai…👹👹