मनाली की वो रातें😳😱😳😱(Part –3)
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अब तक आपने पढ़ा––
निधि का एकाएक जयंत की जिंदगी में आना आश्चर्यजनक प्रतीत हो रहा था। कभी कुछ तो कभी कुछ संदेहास्पद घटनाएं उसकी जिंदगी में घटित होती ही रहती।
जयंत इन सब बातों से बेखबर एक चक्रव्यूह में उलझता जा रहा था। उधर निधि की निकटता ने उसके आकर्षण को और बढ़ा दिया। अब आगे–––
जयंत ने निधि के हाथ से छीन कर उस कपड़े को दूर फेंक दिया । क्या हुआ जयंत, तुम ठीक तो हो ना। इतने डरे हुए क्यों हो,कहते हुए निधि उसके समीप आ गई। उसका सानिध्य पाकर जयंत एक छोटे बच्चे की तरह निधि से लिपट गया। मौके को देखते हुए निधि ने भी उसे कसकर पकड़ लिया।
थोड़ी देर के बाद जब जयंत सामान्य हुआ तो दोनों एक– दूसरे से अलग हुए। अगले दिन जयंत ने ऑफिस में निधि के काम के लिए बात की,साथ ही साथ लौटते समय घर का भी पता कर लिया। जब वह अपने घर की गली की ओर बढ़ रहा था, तभी एकाएक पिछले शाम की वो घटना याद आ गई, जब उसने निधि को बूचड़खाने वाली गली में घुसते देखा था। अपने मन के समाधान के लिए उसने पूछताछ करना जरूरी समझा।
वह उस गली में घुसा और उसमें से किसी एक से कल वाली बात पूछी कि कल कोई लड़की यहां कुछ खरीदने के लिए आई थी। जयंत को पूछताछ करते देख एक आदमी आगे आया और बोला कि हां साहब! कल शाम को एक लड़की यहां आई तो थी पर हमने उसका चेहरा नहीं देखा, क्योंकि वह ऐसी जगह पे खड़ी थी, जहां उसके चेहरे पे प्रकाश ही नहीं पड़ रहा था।
उसने हमसे एक जिंदा मुर्गा मांगा, फिर पता नहीं कहा अंधेरे में गायब हो गई। अब तो जयंत का विश्वास पुख्ता हो गया। पर निधि जिंदा मुर्गा का क्या करेगी? निधि की एक चीज़ आज भी नहीं बदली थी और वह था, उसके दस्ताने, जो अभी भी वह अपने हाथों में पहने ही रहती ।
उसके दिमाग की उलझन बढ़ती ही जा रही थी। चलते-चलते कब घर आ गया, पता ही नहीं चला। निधि घर पर उसका इंतजार कर रही होगी, थोड़ी देर के लिए उसने इन सब बातों से किनारा कर लिया। ऐसे भी निधि के सामने जाकर कल शाम वाली बात नहीं पूछ सकता था। अगर उसे बताना होता तो कल ही बता चुकी होती।
दरवाजे की घंटी बजी तो निधि हंसते हुए खड़ी थी। अंदर जैसे ही जयंत घुसा, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि यह उसका ही घर है। हर चीज व्यवस्थित, पूरे दिन की सफाई सामने नजर आ रही थी। जब जयंत हाथ धोकर आया तो सामने चाय और नाश्ता रखा हुआ था।
अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था, निधि की उपस्थिति घर में कितनी अच्छी लग रही है, उसको देखकर एक अजीब सी खुशी दिल में होने लगी। निधि तो पहली नजर में ही पसंद आ गई थी जिस तरह से उसने अपनी स्मार्टनेस दिखाई थी, वह तो कायल हो गया। फिर हर समय किसी ना किसी कारण से मिलना होता रहा, यहां तक कि तकदीर ने भी साथ दिया और निधि को यहां भेज दिया।
अपने ही विचारों में मग्न जयंत को यह भान ही नहीं रहा कि निधि कब से उसे आवाज़ दिए जा रही थी। क्या सोच रहे हो, खाओ! कहते हुए निधि ने उसके सपनों पे विराम लगाया।
फिर दोनों ने एक– दूसरे से दिन भर का हालचाल पूछा। जयंत ने बताया कि अपने ऑफिस में उसके काम के लिए बात की है, थोड़े दिनों के बाद पता चल जाएगा। साथ ही साथ घर का भी पता कर लिया है। निधि उसकी आंखों में प्यार से देखने लगी। इसका मतलब दोनों के बीच में कुछ तो रिश्ता बन ही गया था, पर पहल किसी ने नहीं की।
उस रात दोनों खा– पीकर अपने बिस्तर पर सोने चले गए। आधी रात को खटपट की आवाज ने जयंत को नींद से जगा दिया। दूसरे कमरे में देखा तो निधि वहां नहीं थी। शायद! बाथरूम गई हो, सोचते हुए वापस अपने बिस्तर पर सोने ही जा रहा था कि सामने खिड़की से हवा में लटकती हुई कोई चीज नजर आई।
ध्यान से देखा तो वही लाल कपड़ा हवा में लटक रहा था। फिर अचानक से गायब हो गया। जयंत को अंधेरे में लगा कि सामने कोई बैठा हुआ है। थोड़ा डर तो जरूर लगा पर मन का वहम समझकर डर को किनारा कर लिया।
निधि अभी तक बाथरुम से आई नहीं थी। उसे ढूंढते हुए जब बाथरूम की तरफ मुड़ा तो वहां पे थी ही नहीं। उसने इधर– उधर देखा, तो वह कहीं नजर नहीं आई। पता नहीं कहां गायब हो जाती है, तभी सामने से निधि आती दिखी। जयंत कुछ पूछता, इससे पहले ही उसने सफाई दी कि कोई आवाज आ रही थी, उसी का पता करने बाहर चली गई।
जयंत को बहुत नींद आ रही थी,सो अभी कुछ पूछताछ करने के बजाय सोना उसको बेहतर लगा। थोड़ी देर के बाद उस को लगा कि कोई उसके बालों को सहला रहा है, गुदगुदी– सी आने लगी उसे। अचानक पैरों में कुछ चुभा और वह अपना होश खो बैठा। सुबह जब आंखें खुली तो रात की बातें जेहन में आ गईं।
रात को पता नहीं क्या हो जाता है उसके साथ। एक बात गौर करने वाली यह भी है कि ठीक उस समय निधि भी पता नहीं कहां गायब हो जाती है। फिर एकाएक वापस आना कुछ ठीक नहीं लग रहा है। जल्दी से घर का पता करता हूं, ताकि वह अपने घर चली जाए।
जयंत को निधि के दस्ताने पहनने वाली बात भी गले से नहीं उतर रही थी। माना कि सूर्य की रोशनी से एलर्जी है, पर रात में भी तो वह पहने रहती है। सीधे से पूछना जयंत को ठीक नहीं लगा।
ऑफिस के लिए भी लेट हो रही थी, जल्दी-जल्दी भागा वो। आज ऑफिस में उसका मन ही नहीं लग रहा था। इतना शक होने के बावजूद निधि के प्रति उसका लगाव पता नहीं क्यों कम नहीं हो रहा था। उसके दिलो– दिमाग में हमेशा वह छाई रहती।
इन परिस्थितियों के बावजूद वह निधि की तरफ आकर्षित हो रहा था । आज वह अपने दिल की बात कह ही देगा। शाम को जब वह घर लौटा तो निधि उसकी राह तक रही थी। इधर कुछ दिनों से जयंत को हर चीज व्यवस्थित मिल रही थी, पर निधि तो हमेशा के लिए यहां तो नहीं रहती। यही सोच रहा था वो, तभी उसकी नथुनों में वही अजीब सी गंध घुसी और वह परेशान हो उठा।
निधि को आज दो– दो खुशी मिलने वाली थी। एक तो जयंत के ऑफिस में ही निधि को काम मिल गया और दूसरा घर का भी इंतजाम हो गया। निधि को जब यह बात पता चली तो हंसी और दुख दोनों के ही भाव उसके चेहरे पर नजर आए। इसका मतलब निधि के भी दिल में वही भावना तैर रही थी,जो जयंत महसूस करता था।
दोनों बातें कर रहे थे, तभी किसी साए को जयंत ने वहां से गुजरते देखा। दौड़कर वह कमरे में भागा देखा तो कोई नहीं था, पर उस कमरे में इतनी ठंड थी मानो जम ही जाएगा, तभी एक काली बिल्ली उसके ऊपर गिरी और वह डर गया।
जयंत पीछे मुड़ने वाला ही था कि किसी ने उसे पीछे से पकड़ लिया। कुछ नुकीली चीज उसके गर्दन में घुसी और वह वहीं गिर पड़ा। जब होश आया तो निधि सामने खड़ी थी। जब भी मेरे साथ घटना घटती है तो निधि आसपास क्यों नहीं रहती है, जयंत मन ही मन सोचने लगा।
निधि ने जयंत को सहारा देकर बिस्तर पर बैठाया। बहुत ही नजदीक आ गई थी वो, जिसे जयंत ने भी महसूस किया। दोनों बहुत देर तक एक दूसरे में खोए रहे। तंद्रा टूटी घर की बेल बजने से, इतनी रात को कौन दरवाजा खटखटा रहा है देखता हूं, कहते हुए जयंत उठा।
सब कुछ जानते हुए भी जयंत निधि की तरफ बढ़ रहा था या किसी का मायाजाल था ,इन सबसे बेखबर था। कौन है, कहां से आई है कुछ भी पता नहीं, फिर भी प्यार हो गया। अपने आसपास रहस्यमय स्थितियां बन रही थी, दिल में भय भी था,पर निधि का एहसास उसके लिए अनोखा था।
इतनी रात को कौन दरवाजा खटखटा रहा है,कहते हुए उसने उठने की कोशिश की। पर हैरानी इस बात की थी कि निधि मग्न होकर बैठी रही,मानों उसे पता हो कि कौन है दरवाजे पे।
उसके घर में यह दूसरा साया आखिर किसका था। सब कुछ जानते हुए भी जयंत निधि की तरफ बढ़ रहा था। कौन है, कहां से आई है, कुछ भी पता नहीं फिर भी प्यार हो गया। इतनी रात को कौन दरवाजा खटखटा रहा है। क्या जयंत निधि के लिए तुरुप का पत्ता था या सचमुच का प्यार, यह जानने के लिए पढ़ें मेरी कहानी का अगला भाग……..
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Really the ultimate horror story 😢😢. Padhne ki curiosity badhti hi jaa rahi hai
👌👌👌