मनाली की वो रातें😳😱😳😱(Part –3)
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अब तक आपने पढ़ा……
हर दिन घटने वाली नई-नई घटनाऐं अब जयंत को परेशान करने लगी थी। सभी की कड़ियां जोड़ने पे एक बात तो खुलकर सामने आ रही थी कि निधि की अनुपस्थिति में ही घटनाएं क्यूं घटती हैं? कुछ तो है निधि में जो उसे दूसरे इंसानों से अलग करता है। पर क्या,कैसे पता करूं? हमेशा आती वो अजीब गंध या उसके हाथ में पहने हुए दस्ताने, पर फिर भी वह निधि से प्यार करता था। अब आगे……..
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इतनी रात को सन्नाटे में दरवाजे पर थपकी की आवाज बहुत जोर की लग रही थी। आ रहा हूं! कहते हुए दरवाजे की तरफ बढ़ा और कुंडी खोली, पर वहां कोई नहीं था। आगे बढ़ कर देखा तो कोई नजर नहीं आया। कुछ सोचते हुए दरवाजा बंद करके जैसे ही पीछे मुड़ा, फिर से दरवाजे पर थपकी की आवाज आई।
इस बार जयंत ने की– होल से देखा तो वही लाल कपड़ा हवा में लहरा रहा था । जल्दी से दरवाजा खोला तो वहां कोई कपड़ा नहीं था, हां! एक आदमी वहां जरूर खड़ा था। सामान्य कद– काठी का वो आदमी जयंत की तरफ मदद की दृष्टि से देख रहा था तो दूसरी ओर जयंत ने उसकी तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा।
उसने बोला कि मेरी गाड़ी खराब हो गई है। इतनी रात को कोई मैकेनिक नहीं मिल सकता। सामने आपका घर था तो मदद के लिए यहां चला आया। क्या आपके यहां रात भर का सहारा मिल सकता है। पहले तो जयंत सोच में पड़ गया, पर उसकी हालत देखकर तरस खा कर अंदर आने की इजाजत दे दी।
अंदर निधि बिल्कुल सामान्य अवस्था में बैठी हुई थी, मानो किसी के आने– जाने का उस पर कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा हो। वह आदमी जैसे ही अंदर गया,उसके तेवर ही बदल गए। अंदर ऐसे बैठा मानो यह उसी का घर हो। जयंत को गुस्सा तो बहुत आ रहा था, पर खून का घूंट पीकर रह गया।
एक अनजान आदमी को उसने अपने घर में घुसा लिया था, जो कुछ भी बुरा कर सकता था। खाने की टेबल पर तीनों बैठे हुए थे। इससे पहले निधि ने कभी उसके साथ खाना नहीं खाया। कुछ ना कुछ बहाने से खाने के समय वह कमरे में चली जाती, पर आज वह बैठी थी।
जयंत ने सोचा कि आज तो वह खाने के समय अपने दस्ताने जरूर उतारेगी,सो उसी की तरफ टकटकी लगा कर देखता रहा,तभी किचन में कुछ गिरने की आवाज आई और वह अभी आया, कह कर भागा। पर उसके लौट कर आने तक उस आदमी और निधि दोनों का खाना खत्म हो चुका था। कोई भी साधारण आदमी इतने कम समय में खाना कैसे खत्म कर सकता है? जयंत को यह बात पच नहीं रही थी ।
लेकिन उसने कुछ बोला नहीं। रात को सब सोने चले गए। आधी रात को कुत्ते की रोने की आवाज ने जयंत को जगा दिया। दूसरे कमरे में निधि सो रही थी और वह आदमी उसके पास ही सोया हुआ था। कमरे की मध्यम लाइट में जयंत को लगा कि उसका बिस्तर तो खाली है ।अंधेरे में हाथ बढ़ाया तो लाल कपड़े का वही टुकड़ा हाथ में आ गया ।
डर के कारण उसने उसे दूर फेंक दिया ।जल्दी से लाइट जलाई तो वह आदमी पास ही सोया हुआ था। क्या यह उसका भ्रम था या कोई सपना? आसपास देखा तो कोई कपड़ा नजर नहीं आया। मन का वहम समझकर लाइट बुझाई और सोने के लिए आ गया।
नींद आंखों से गायब हो गई थी। करवट बदलते– बदलते उसे लगा कि निधि पास खड़ी है, पर था कोई नहीं। अब उसे डर सताने लगा । जल्दी से रात बीत जाए, पता नहीं मेरे साथ क्या हो रहा है? अगले दिन जयंत की आंखें खुली,तो वह आदमी कहीं नहीं था।
निधि ने बताया कि वह सुबह– सुबह ही चला गया। रात वाली बातें जयंत को डराने लगीं। थक चुका था अपने साथ घटने वाली घटनाओं को देखकर। निधि से दूर जाना चाहता था। उसने निधि को बोला कि जब भी तुम्हारा शिफ्ट होने का मन हो, मुझे बोल देना। निधि कुछ बोली नहीं।
इसी तरह से तीन-चार दिन बीत गए पर निधि जाने का नाम ही नहीं ले रही थी और ना ही ऑफिस आती। कितनी मुश्किल से जयंत ने नई नौकरी दिलवाई थी,पर ऑफिस वाले भी कब तक इंतजार करते । दूसरे को काम पर लगा दिया।
एक रात जब जयंत सो रहा था तो उसे कुछ चपर– चपर की आवाज आई। आवाज की दिशा में गया तो अंधेरे में ज्यादा कुछ नज़र तो नहीं आया,पर ध्यान से देखा तो निधि एक कोने में भूखे शेर की तरह उकरूं बैठकर कच्चा मांस खाए जा रही थी। उसके मुंह के चारों तरफ खून लगा हुआ था। जयंत यह देखकर अवाक रह गया ।
आज उसे निधि का असली चेहरा दिख रहा था। जयंत बहुत डर गया। जल्दी से अपने कमरे में सोने चला गया। कांप रहा था वो। यह मैं कहां फंस गया, यह निधि कौन है? मुझसे क्या चाहती है? मेरे पीछे क्यों पड़ी है सोचने लगा। अगले दिन निधि बिल्कुल सामान्य थी पर जयंत की तो दुनिया ही बदल गई। उसने उस का काला सच देख लिया था।
बस मेरा घर छोड़ दे,सोचते हुए आगे बढ़कर खुद पूछा कि तुम अपने घर कब जाओगी? छुट्टी लेकर मैं तुम्हारी मदद कर दूंगा। जयंत की बात सुनकर निधि उसके एकदम करीब आ गई । फिर उसके गले में अपना हाथ डालकर उसकी आंखों में देखकर बोला कि जयंत मैं तुमसे प्यार करती हूं, तुम्हें छोड़कर जाना नहीं चाहती।
पर जयंत तो दूसरी दुनिया में था। अब निधि की नजदीकियां उसे काटने को दौड़ती। उसकी बातों को अनसुना करके ऑफिस के लिए तैयार होने चला गया। कल रात वाली घटना से उसे डर लग रहा था।
सोचा मां को बता दूं,पर नाहक ही परेशान हो जाएगी। उसे बस निधि से पीछा छुड़ाना था। ऑफिस में ही उसका एक दोस्त था, मनीष जिससे वह अपने दिल की हर बात शेयर करता । जब मनीष को उसने यह बात बताई तो वह भी हतप्रभ रह गया।
मनीष–– जयंत! तुम्हें ये पता करना होगा कि आखिर ये लड़की कौन है और तेरे पीछे ही क्यों पड़ी है? तुझसे चाहती क्या है? अब तुम्हें सावधानी बरतनी होगी।
जयंत बहुत परेशान दिख रहा था। शाम को उसे घर लौटने का मन ही नहीं कर रहा था । निधि की पहली मुलाकात से लेकर अब तक के हर बात को मिलाने लगा। ऑटो में बैठकर वो यही सब सोच रहा था, तभी अचानक उसकी नजर गुजरते हुए एक आदमी पे गई। अरे!यह तो वही रात वाला आदमी है जो मेरे घर में रुका था। उसके साथ एक लड़की भी थी। जैसे ही उस लड़की ने अपना चेहरा घुमाया उसकी तो बोलती बंद हो गई। वो आदमी निधि के साथ कहीं जा रहा था।
जयंत पता करने लिए ऑटो से उतरा भी,पर भीड़ में जैसे वो दोनों गायब हो गए। तो क्या ,निधि उस आदमी को जानती थी,पर फिर भी अनजान बन रही थी।और कितने राज़ खुलेंगे इसके?जयंत निधि से कैसे पीछा छुड़ाता है?जानने के लिए पढ़े मेरी कहानी का अगला भाग………
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Bhooooottttt😢😢🧛
Bhooooottttt 😢🧛🧛
Interesting story…..😱😱👌👌