मनाली की वो रातें😳😱😳😱(Part –3)
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अब तक आपने पढ़ा……
जयंत के सामने हर दिन नई– नई सच्चाई सामने आ रही थी। वह निधि से पीछा छुड़ाना चाहता था जबकि निधि उसका साथ ही नहीं छोड़ रही थी । उसके घर में ऐसे रहने लगी,मानों उसी का घर हो। आम इंसान से अलग निधि की वास्तविकता विस्मय में डाल दी जयंत को। बहुत कुछ जानते हुए कम से कम प्यार तो नहीं ही कर सकता था वो। पर क्या निधि को इस बात का भान भी था कि जयंत उससे दूर जा रहा है।अब आगे…..
उस आदमी के साथ निधि को देखकर जयंत आश्चर्यचकित हो रहा था पर उससे भी बड़ी बात यह थी कि उस दिन निधि ने एहसास भी नहीं होने दिया कि वह उस शख्स को जानती है। भीड़ में कैसे ढूंढता उन दोनों को,सो ऑटो को आगे बढ़ाने का इशारा किया।
चलो घर में अभी उसकी अनुपस्थिति होगी,सोच के जयंत ने राहत की सांस ली। उसका खुद का घर ही अनजाना बनते जा रहा था। घर पहुंचा तो आंखें फटी की फटी रह गई। वहां आराम से सोफे पर बैठी हुई निधि उसका इंतज़ार कर रही थी। यह यहां है तो फिर रास्ते में निधि के वेश में वह लड़की कौन थी?🤔😱
क्या सच है क्या झूठ, जयंत तो सिर पकड़ कर बैठ गया पर अपने चेहरे से यह जाहिर नहीं होने दिया कि वह बहुत कुछ जानता है, वरना निधि सतर्क हो जाएगी। इसके लिए उसे शुरुआत करनी होगी अपने गांव से, जहां वह पहली बार मिली थी।
पर क्या कहकर जाएगा,क्योंकि बातचीत के क्रम में उसने बतलाया था कि दीवाली में ही गांव जाया करता है। वरना निधि को उस पर शक हो जाएगा। जयंत को सोचते हुए देखकर निधि उसके पास आकर बैठ गई थी और उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर बोला कि जयंत मैं तुमसे अलग होने के खयाल से ही डर जाती हूं।
क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करते हो। परंतु जयंत को तो अब उसके सानिध्य से ही डर लगने लगा था। उसने कुछ जवाब नहीं दिया। अमावस्या की काली रात में जयंत को बहुत डर लगने लगा। एक ऐसी लड़की के साथ एक ही छत के नीचे जो कच्चा मांस खाती है।
अचानक से हवा तेज चलने लगी। वह जल्दी से खिड़की बंद करने गया तो सामने पेड़ पर उसने किसी को बैठे हुए देखा। अंधेरी रात में उसे पता तो नहीं चला। अचानक से वह चीज़ जयंत पर कूद गई और दोनों वहीं जमीन पर गिर पड़े। प्रकाश में जब जयंत की नजर उस पर पड़ी तो उसकी चीख ही निकल गई।
दांत बाहर की ओर निकले हुए और अपने लंबे नाखून से जयंत को दबोचे हुए था। फिर उसने जयंत की गर्दन में अपने दांत गड़ा दिए। जयंत चीख रहा था पर निधि ने तो जैसे सुना ही नहीं। जबकि वह उसी कमरे में थी। फिर क्या हुआ उसे कुछ पता नहीं। जब आंखें खोली तो बिस्तर पर लेटा हुआ था और निधि वहीं पास में ही बैठी उसी की ओर देख रही थी । बहुत कमजोरी लग रही थी।
उसे निधि पे बहुत तेज गुस्सा आने लगा।कितना झूठा अपनापन दिखाती है? मैं किस चीज में फंस गया हूं, पता नहीं कैसे निकलूं। सोच– सोच कर परेशान रहने लगा। रात वाली सारी बातें जेहन में दहशत पैदा करने लगी। काश! वह शुरू से ही इन घटनाओं को हल्के में ना लेता तो आज ये नौबत ही ना आती।
पर अब भी देर नहीं हुई है, अब वह मामले की तह तक जाएगा। पहले तो उसने अगले दिन निधि की निगरानी करने की सूची। ऑफिस के लिए निकला तो जरूर,पर घर के आस-पास ही घूम रहा था। सुबह से शाम हो गई, पर ना कोई घर के आस-पास दिखा और ना ही निधि बाहर आई। अभी यह सब सोच ही रहा था कि शाम के धुंधलके में निधि को घर से बाहर निकलते देखा।
इतनी शाम को ये कहां जा रही है🤔, सोचते हुए उसके पीछे भागा🏃🏃। निधि जहां खड़ी थी,बिना उसके रुकवाए एक ऑटो उसके पास आकर रूकी और वह उसमें बैठ गई। जयंत आज पूरे मूड में था उसकी खोज– खबर लेने। आगे निधि और पीछे जयंत,एक पैथ लैब के आगे निधि का ऑटो रुका।
जयंत बाहर ही इंतजार करने लगा। यहां पे ये क्या करने आई है? जब बाहर निकली तो एक थैली उसके साथ थी। फिर उसने अपने ऑटो को आगे बढ़ाया। एक सुनसान रास्ते पे दोनो ऑटो आगे बढ़ने लगे। एक गेट के पास निधि का ऑटो रुका।
जयंत का ऑटो वाला पहले ही मना कर रहा था आगे बढ़ने के लिए, पर ज्यादा पैसे के लालच ने उसे मजबूर कर दिया। दोनों की बातचीत में निधि कब उतर गई,पता ही नहीं चला। दौड़कर उसके ऑटो के पास गया,पर ना ऑटो वाला था और ना ही निधि। हां! ड्राइवर की जगह पर वही लाल चौकोर वाला कपड़ा पड़ा हुआ था।
आसपास देखा तो सामने एक गेट नजर आई।जरूर यहीं गई होगी,सोचकर ऊपर लिखे बोर्ड पे पढ़ने लगा। पढ़ते ही उसके चेहरे पे शिकन आने लगी और वह 2 फुट ऊपर उछल पड़ा। यह तो शमशान भूमि है तो क्या निधि अंदर गई है? ऑटो वाला पीछे से चिल्लाए जा रहा था कि वह छोड़ कर चला जाएगा पर जयंत ने तो कुछ सुना ही नहीं।
वह आगे बढ़ने लगा, चारों तरफ अंधेरा था। कभी हवा से तो कभी किसी जानवर के रोने की आवाज से वातावरण में दहशत पैदा हो रही थी। चारों तरफ कब्रे खुदी हुई थी, तभी उसे एक लड़की सामने बैठी दिखाई दी। जयंत उसी ओर आगे बढ़ने लगा। सायं– सायं की आवाज़ से डर लगने लगा। वहां से लौटना चाह ही रहा था कि तभी पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा।
पीछे मुड़ा तो कोई नहीं था। डर के कारण भागने की कोशिश की तो वहीं खुदी हुई कब्र में गिर पड़ा। फिर तो जब– जब उठने की कोशिश की,ऐसा लगा बहुत सारे हाथों ने उसे जकड़ रखा हो। अब उसकी हिम्मत जवाब दे गई और वह वहीं पे गिर पड़ा।
जब आंख खुली तो अपने घर में बिस्तर पर लेटा हुआ था और सामने निधि बैठी हुई चिंतातुर होकर देख रही थी। रात वाली सारी बातें याद थी उसे,पर निधि ने बताया कि वह सड़क पर गिरा हुआ था। किसी जान– पहचान वाले ने उसे घर तक पहुंचाया।
ये बात सुनकर उसे बहुत गुस्सा आया। निधि उसे कितना भटका रही है। ऑफिस पहुंचकर मां को सारी बात बताऊंगा, शायद वह कोई रास्ता बताएं। अब मुझे गांव जाना ही होगा। कहीं निधि को मेरे पर शक ना हो जाए,सोचकर अपने चेहरे का हाव– भाव सामान्य कर लिया।
निधि ने जयंत के चेहरे को अपने दोनों हाथों के बीच में रखकर करीब आकर बोली कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। तुम्हारे रक्त की एक– एक बूंद मेरे लिए कीमती है। मुझे छोड़कर कभी मत जाना,कहकर और करीब आने लगी।
जयंत उठने की कोशिश करने लगा,क्यूंकि यह प्यार एक इंसान का इंसान के साथ नहीं था, यह बात वह भली-भांति जानता था।
आखिर निधि पैथ लैब से क्या लेकर निकली थी और वह शमशान भूमि गई क्यों? फिर अचानक से गायब होना, जयंत का गड्ढे में गिरना, आख़िर इन सब का रहस्य क्या है? जयंत की मां इन सब बातों को जानने के बाद क्या प्रतिक्रिया देती हैं, जानने के लिए पढ़े मेरी कहानी का अगला भाग……….
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Kya story hai,ispr to movie banane chahiye😢😱😱