मनाली की वो रातें😳😱😳😱(Part –5)
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गतांक से आगे….✍️✍️
तेजस अभी भी सोचनीय अवस्था में वहां खड़ा रह गया। थोड़ी देर के बाद अपने दिमाग को झटका देते हुए वह भी सीढ़ियां चढ़ने लगा। तीन कमरे उन्होंने बुक किए थे। हर कमरे में दो–दो लोग, दोनों लड़कियां एक ही कमरे में थी। तेजस और समीर ने एक ही साथ कमरा शेयर किया।
जब तीसरे कमरे में जाने की बारी आई तो वहां जाने का रास्ता बंद था,मतलब रवि और विजय का कमरा ऊपर की मंजिल पर ही उनके दोनों कमरों के सामने था । परेशानी इस बात की थी कि ऊपर की मंजिल पर ही तीनों कमरे तो थे पर रवि और विजय का कमरा उनके कमरे के ठीक सामने था।
और जिस भाग में वो कमरे थे, वहां के लिए सीढ़ियां भी अलग थी। मतलब उसी फ्लोर के सामने वाले भाग में जाने के लिए पहले नीचे उतरो, फिर उधर की सीढ़ियां चढ़ो। यह बस एक संजोग समझ कर सभी ने इग्नोर कर दिया।
दिन भर के थके हुए सभी अपने-अपने कमरों में जाते ही फ्रेश होकर घोड़ा बेचकर सो गए। ना कोई वेटर,ना कोई सर्विस देने वाला,पर उस समय थकान इतनी हावी थी सब पर कि किसी को ना कुछ सोचने का और ना ही खाने की सुध ही रही।
आधी रात को अचानक से एक आवाज ने रवि को नींद से जगा दिया। बड़ी अजीब आवाज थी, दिल को हिलाने वाली। एकबारगी तो वह भी डर गया। पास में विजय गहरी नींद में सोया हुआ था, उसे उठाना रवि को अच्छा नहीं लगा। आवाज़ की दिशा में उसके कदम कमरे से बाहर की ओर बढ़ गए।
पर जैसे ही बाहर निकला आवाज आनी बंद हो गई। वह फ्लोर पर ही चहलकदमी करने लगा,शायद कुछ पता लग जाए। अपने दोस्तों के कमरे पर दृष्टि डाली तो सभी बंद थे। अचानक कुछ आवाजों ने उसे चौंका दिया। इधर– उधर नज़र दौड़ाई तो नीचे हॉल की तरफ ध्यान गया। अरे! ये क्या, हॉल तो लोगों से ठसा– ठस भरी हुई थी।
रवि के आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही। रात के 9:00 बजे एक भी आदमी नहीं और इस समय 2:30 बज रहे थे और लोग ठसा– ठस भरे हुए थे। आखिर माजरा क्या है🤔 यह सोचते हुए विजय को उठाने के लिए वापस कमरे में गया तो विजय अपनी जगह पर नहीं था। इधर– उधर नजर दौड़ाई😳😳 तो देखा कि विजय खिड़की के पास खड़ा होकर पता नहीं किससे बातें कर रहा था।
सामने कोई नहीं था और विजय के ओंठ हिल रहे थे,पर कुछ सुनाई नहीं दे रहा था।अब रवि को हल्का भय सताने लगा। ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ🤔। उसने विजय को आवाज दी तो मानो नींद से जागा हो, ऐसा चौंका।
अरे ! मैं यहां क्या कर रहा हूं,कहते हुए विजय उल्टे उसी से पूछने लगा।
रवि–– विजय! तू किससे बातें कर रहा था। अभी तो इतनी गहरी नींद में था कि मैंने तुझे उठाया नहीं।
विजय –पता नहीं यार ! सोते हुए अचानक से मुझे लगा कि किसी ने मुझे झिंझोड़कर उठाया हो। मैं तो तुझपे ही चिल्लाने वाला था, पर उठते साथ ही मैं अपनी सुध– बुध खो कर यहां खिड़की के पास आ गया । कुछ स्पष्ट तस्वीरें मेरी आंखो के सामने खड़ी हो गई और मैं उनसे बातें करने लगा।
जरूर तुझे वहम हो गया होगा। अब ये सब छोड़ ,चल! मैं तुझे कुछ दिखाता हूं , कहते हुए दोनों कमरे से बाहर निकले। रवि ने विजय को नीचे दिखाते हुए कहा कि देख! आधी रात को हॉल कैसे लोगों से भरी हुई है।
विजय कभी नीचे की ओर देखता तो कभी रवि की ओर। इस तरह से विजय को असमंजस में देख रवि ने नीचे हॉल की तरफ नज़र डाली तो चिहुंक उठा वह। अरे! ये क्या, हॉल में तो सन्नाटा पसरा हुआ था। इतने सारे लोग गए तो गए कहां😳😳। अब चुटकी लेने की बारी विजय की थी।
विजय–– जरूर ! तुझे कोई गलतफहमी हो गई होगी। नींद से उठ कर आया होगा और उसी खुमारी में कुछ का कुछ बोल रहा है, कहते हुए हंसने लगा वह। कहीं ये तेरा वहम तो नहीं है।
दोनों एक-दूसरे की ओर देखकर मुस्कुरा उठे,शायद ऐसा ही हुआ होगा। पर बात तो सोचने वाली थी कि दोनों ने कुछ अलग तरह की चीजें देखी, जो वास्तविक नहीं थी। आखिर इन सब का क्या मतलब है। क्या इन सब बातों का वास्तविकता से कुछ लेना-देना भी था या बस एक सोच थी या कोरी कल्पना, यह जानने के लिए पढ़ें मेरी कहानी का अगला भाग………
क्रमश….✍️✍️
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गतांक से आगे….✍️✍️ मानसी को असमंजस🙍 की अवस्था में खड़ी देख वह लड़की दरवाजे की ओर बढ़ने लगी...
गतांक से आगे....✍️✍️अगली सुबह सब फ्रेश होकर उठे। रवि और विजय के साथ जो रात में घटनाएं घटी, उसे उन्होंन...
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