🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Last Part)🌶️🌶️🥵
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गतांक से आगे✍️✍️
सोलंग घाटी के आसपास की जगह भी बहुत खूबसूरत थी। सभी ने पूरा enjoy किया। होटल पहुंचते-पहुंचते रात हो गई। कैब बुक करते समय होटल का नाम इनलोगों ने डाला ही नहीं,सड़क पे ही सभी उतर गए। बेकार में कैब वालों का cancellation झेलना पड़ता और साथ में ज्यादा पैसे भी देने पड़ते।
रात के 8:00 बज रहे थे,जंगली इलाका होने के कारण जानवरों की आवाज़ कभी– कभी दहशत पैदा कर देती। माहौल देखकर ऐसा प्रतीत होता कि कितनी रात हो गई हो। Street light भी नहीं जल रही थी।
मोबाइल की रोशनी में ही सभी होटल की ओर बढ़ रहे थे। यार ! अपनी दिल्ली तो इस समय जागती है , पर यहां कितना अंधेरा छाया हुआ है,अपनी जगह की बात ही निराली होती है कहती हुई प्रिया की आवाज में कंपन हो गई। मानसी ने उसके कंधे पे हाथ रखा और सभी आगे बढ़ते चले गए।
दिन के सुरम्य वातावरण से इतर इस वक्त का माहौल किनारे लगी कंटीली झाड़ियों🌵🌿 में उलझकर डर पैदा कर देता,पर किसी ने मन में यह बात लाने की कोशिश नहीं की कि आखिर होटल के पास गाड़ी क्यों नहीं आती है,क्यों इसके नाम से ही कार– चालक के चेहरे पे हवाइयां उड़ने लगी थी???😳😳
कच्ची रास्ते को पार करते हुए होटल तक पहुंच ही गए सभी । होटल बाहर से एकदम अंधेरा लग रहा था पर जैसे ही उन्होंने अंदर प्रवेश किया, चारों तरफ प्रकाश ही प्रकाश फैल गया। पर अंदर के सन्नाटे को देखकर सभी की आंखें खुली की खुली रह गई।
सुबह में इतनी भीड़ और अभी पूरा हॉल खाली था। पता नहीं रात के अंधेरे में सभी को क्या हो जाता है। तेजस🙇 हेलो! कोई है, कहां हो सब के सब, आवाज़ देते हुए आगे बढ़ने लगा🚶🚶। आज तो उसे काले कपड़ों वाला आदमी भी नजर नहीं आ रहा था।
दिन भर की थकान से सभी के चेहरे उतरे हुए थे इसलिए सभी अपने-अपने कमरों में जाने लगे। ऊपरी मंजिल पे इन तीनों के कमरे के अलावा चार और कमरे में थे। एक कमरा तेजस और प्रिया के कमरे के बगल में और बाकी तीन कमरे रवि और विजय की ओर के कमरे के बगल में थे।
ऊपरी मंजिल को बांटने के लिए एक मोटी दीवार थी,जिसके दूसरी ओर ही रवि और विजय का कमरा था। इस दीवार को देखकर ऐसा लगता कि इसे बाद में बनवाया गया होगा ,क्योंकि यह दीवार यहां पे फिट नहीं बैठ रही थी। सभी अपने– अपने कमरों में फ्रेश होने लगे। तेजस ने रूम– सर्विस के लिए कॉल किया, पर कोई उठाया नहीं। चाय– कॉफी की बहुत आवश्यकता हो रही थी उसे।
अचानक से दरवाजे पे दस्तक हुई, कौन है? कहते हुए तेजस दरवाजा खोलने गया तो उसके आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही। दरवाजे पे वेटर चाय– कॉफी की ट्रॉली लेकर खड़ा था।🤔 मैंने तो किसी को कुछ बोला नहीं ,फिर इनलोगों को कैसे पता चल गया कि हमें क्या चाहिए?
वेटर के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकले। यहां तक कि उसकी आंखें भी हिल नहीं रही थी । तेजस ने उसकी आंखों के सामने अपना हाथ भी लहराया,पर वह आदमी स्थिर ही खड़ा था। अंदर से समीर चिल्लाया कि कौन है तेजस दरवाजे पे? समीर की आवाज़ सुनकर तेजस जैसे ही पीछे देखा, वह आदमी बिना कुछ कहे ट्रॉली रखकर नीचे उतरने लगा।
अपना सिर खुजलाते हुए तेजस् ट्रॉली लेकर अंदर आया। इस होटल में रात में आखिर हो क्या रहा है? फिर तेजस ने कॉल करने से लेकर उस वेटर के अजीब व्यवहार और ट्रॉली लेकर आने तक की सारी कहानी बिना रुके सुना दी।
उसके बोलने की रफ्तार पे पूर्णविराम लगाते हुए समीर ने बोला कि छोड़ो ना यार ! अपन का क्या जाता है? हमें चाय– कॉफी चाहिए थी, जो कि हमारे पास पहुंच गई। चल रवि– विजय और प्रिया –मानसी को भी यहीं बुला लेते हैं। साथ में गप्पे लड़ाएंगे और वो भी चाय की चुस्कियों के साथ।
फिर तेजस ने सबके पास फोन घुमाया। रवि तो तुरंत मान गया , विजय ने थोड़े नखरे दिखाए पर थोड़ी देर में दोनों आ गए। उधर मानसी के सर में दर्द हो रहा था। पूरे दिन– भर की थकान उसपे हावी थी तो उसने तो मना कर दिया । पर प्रिया आ गई। लड़कियों का कमरा तो तेजस के कमरे के बगल में ही था। फिर पांचों दोस्तों ने बातों का जो सिलसिला शुरू किया, वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
क्रमश:…..✍️✍️
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