🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Last Part)🌶️🌶️🥵
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गतांक से आगे:…✍️✍️
कितने दिनों के बाद ऑफिस के टेंशन से फ्री होकर सब गप्पे लड़ा रहे थे। चाय की एक सिप लेते हुए विजय ने कहा कि कितने दिनों से हमलोग मनाली जाने का प्रोग्राम बना तो रहे थे,पर हमारा बजट ही साथ नहीं देता। उस रात मैं अपने कमरे में यूंही कुछ सोचते हुए चहलकदमी कर रहा था,जब तेजस का मेरे पास फोन आया।
फिर विजय ने तेजस को धन्यवाद देते हुए कहा कि यार! तेरे कारण हम सब कम बजट में इतने अच्छे होटल में आ पाए। सोचो! यही होटल दिल्ली में होता तो हमें कितना खर्च पड़ता और वो भी सात दिन का ट्रिप बन गया हमारा। यहां तक कि खाना भी फ्री में🤗🕺।
(वातावरण में झींगुरों की आवाज़ भी साथ–साथ गूंज रही थी)
फिर सबने तेजस के कंधे पे हाथ रखकर शाबाशी दी। उस समय तेजस जरूर अपने आप को शादी– ब्याह में जूता चुराने वाली प्रमुख के रूप में देख रहा होगा,जो जूता चुराने के बाद अपने आप को माहिष्मती से कम नहीं समझती🫣।
तेजस– हां यार! हम मिडिल क्लास वाले इसी तरह से ही तो अपने सपने पूरा करते हैं। उस दिन मैं ऑफिस में अपने डेस्क पे हाथ रखकर यही सोच रहा था कि तभी जगजीत प्रसाद पान चबाते हुए मेरे पास आया और बोला कि तुम जो सोच रहे हो, उसमें मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं।
तुमलोग को याद होगा कि ये वही जगजीत है,जो फाइल ऊपर– नीचे करने के कारण पकड़ा गया था,पर बॉस के तलवे चाट कर बच कर निकल गया। मुझे आश्चर्य हुआ कि मेरे घूमने की बात इसे कैसे पता चली।
जब मैंने उससे यह बात पूछी तो उसने हंसकर टाल दी। चुगलखोर तो था ही ,अपना फायदा भी खूब देखता। मुझे तो उसपे रत्ती भर भी भरोसा नहीं था। उसी ने बताया कि उसके एक खास दोस्त का होटल मनाली में है। होटल का मालिक खुद विदेश में रहता है,पर जगजीत उसका खास आदमी था। इसलिए उसे छूट मिल जाती।
पहले तो मैंने उसकी बातों पे भरोसा नहीं किया और खुद ही net पे 🔍 सर्च करने लगा। लेकिन कहीं बात जम ही नहीं रही थी। फिर मन में खयाल आया कि क्यों ना जगजीत से ही कहूं। मैं अपनी तरफ से भी जांच– पड़ताल कर लूंगा। फिर मैंने जगजीत से बात की और जगजीत ने होटल के मालिक से।
इंटरनेट पर इस होटल की स्थिति और इसके नाम का भी पता कर लिया मैने। इसका लोकेशन मुझे बहुत अच्छा लगा। लेकिन एक बात मुझे थोड़ी अजीब लगी कि इसका गूगल रिव्यू बिल्कुल भी नहीं था,मेरा मतलब है कि एक भी customer ने इस होटल के बारे में अपना मत नहीं डाला था।
पर मैंने ध्यान नहीं दिया और सोचा कि क्या फर्क पड़ता है। हमारे बजट में तो यह बिल्कुल फिट है ना। हम डाल देंगे रिव्यू और मन ही मन मुस्करा उठा।
समीर– सच यार! इस होटल में कितनी शांति है। वैसे तो यह सड़क से थोड़ा हटकर है, पर हम लोगों का क्या ? थोड़ा चलकर गाड़ी पकड़ने से अगर हमारा बजट ठीक-ठाक रहता है तो इसमें कोई गलत नहीं है। और ये बात बुक करते समय थोड़े ना पता थी।
प्रिया– 🤔 पर यार ! पता नहीं क्यों इस होटल में घुसते ही मेरा दिल घबराने लगता है। रात में इतना सन्नाटा आखिर यहां क्यों हो जाता है। एक भी आदमी नज़र नहीं आता।
तेजस ने भी उसकी हां में हां मिलाई,पर किसी ने seriously लेने को नहीं सोचा। बातें करते –करते वक्त का पता ही नहीं चला। घड़ी की तरफ जब नज़र गई तो सब अपनी अपनी जगह से उठ गए। कल घूमना भी है,चलो सब अपने–कमरे में। रवि और विजय को तो नीचे उतरकर अपने कमरे में जाना पड़ता,पर प्रिया का कमरा तो बगल में ही था।
प्रिया जब अपने कमरे के पास पहुंची तो उसे अंदर से किसी के खिलखिलाने की आवाज सुनाई दी। वह सोच ही रही थी कि नीचे से रवि ने आवाज दी कि प्रिया देख! तेरे पीछे कौन खड़ा है?यह बात सुनते ही जब प्रिया ने डरते हुए पीछे देखा तो नीचे से हंसने की आवाज़ उसे सुनाई दी।
रवि उसे बेवकूफ बना रहा था। वह आंखें तरेरते हुए कमरे के अंदर घुसी तो देखा एक सुंदर सी लड़की मानसी के पास बैठकर बातें कर रही थी।
क्रमश:…..✍️✍️
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