🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Part –9)🌶️🌶️🥵
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गतांक से आगे….✍️✍️
हमारे साथ पहले दिन से ही अजीबोगरीब बातें हो रही थीं😳,पर हमने इसे महसूस नहीं किया और मन का वहम समझ लिया। अब जब बात यहां तक आ पहुंची है तो जरूर इस होटल का कुछ ना कुछ राज अवश्य है, तभी कोई कैब वाला अंदर तक नहीं आता और इसका नाम सुनते ही सभी के चेहरे पे हवाइयां उड़ने लगती है।
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तेजस ने सबसे पहले जगजीत प्रसाद से ही संपर्क करने की कोशिश की,क्योंकि वही आगे से इस होटल में ठहरने का जिक्र लेकर आया था। पक्का उसे जरूर पता होगा,कमीशनखोर कहीं का,गुस्से में पता नहीं क्या– क्या बड़बड़ाते जा रहा था वह।
पर उसका फोन ही नहीं मिल रहा था। बार–बार नेटवर्क ही गायब हो जाती। परेशान हो गया तेजस,तभी पीछे से समीर ने उसके कंधे पे हाथ रखते हुए कहा कि यार! मुझे लगता है, हमें यहां से बाहर निकलकर फोन करना चाहिए।
तुझे याद है,जब भी कोई कैब बुक करने की कोशिश की है,यहां से लगा नहीं है। यहां तक कि हमारे घर से भी फोन बाहर ही आते हैं। उस दिन विजय बोल भी रहा था कि उसकी मां शिकायत कर रही थी कि जल्दी तेरा फोन लगता क्यों नहीं है। रात में तो बात ही नहीं हो पाती है।
तेजस– (सोचते हुए) सही कह रहा है यार। सब मेरी ही गलती है। कम बजट के चक्कर में मैंने कैसे उस जगजीत पे भरोसा कर लिया। अब बातचीत करने का क्या फ़ायदा। दिल्ली जाकर उससे बात करता हूं।
अब सभी सोचने लगे कि होटल में ऐसा कोई नहीं है,जो यहां की स्थितियों से अवगत करा सके और हमारे सवालों का जवाब भी दे सके। तभी मानसी ने बोला कि निशा भी तो इसी होटल में रह रही है और उसने अपना फोन नंबर भी दिया है, ठहरो मैं बात करके देखती हूं। फिर मानसी ने निशा के पास फोन लगाया, घंटी तो बज रही है पर कोई उठा नहीं रहा है।
तेजस– अरे मानसी! निशा के फोन की घंटी बजी क्या?
मानसी–हां,क्यों क्या हुआ?
(सोचते हुए) समीर और तेजस एक साथ बोले – तो फिर बाहर से केवल संपर्क नहीं हो रहा है। फिर एक दूसरे के नंबर पे सब call karke देखने लगे।
प्रिया–मानसी! तुम्हें यह कैसे पता है कि वह किस कमरे में रह रही है ।
मानसी– नहीं! मैंने तो यह बात उससे पूछा ही नहीं। दो बार मुलाकात हुई है और वह भी तब जब मैं अकेली होती हूं। पता नहीं अचानक से मेरे सामने आकर खड़ी हो जाती है और वह बोलती रहती है और मैं बस सुनती रहती हूं।
सुबह का समय था, इसलिए होटल में नीचे बहुत शोर हो रही थी। कल रात की घटना का बहुत असर पड़ा सभी पे,इसलिए आज किसी का भी मूड बाहर जाने का नहीं हो रहा था। सब अपने-अपने कमरों में फ्रेश होने के लिए चले गए। फिर सबको नाश्ते के लिए नीचे उतरना था। सबने सोचा कि नीचे और लोगों से बातचीत करके होटल के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।
हो सकता है हमारी तरह ही उनके साथ भी ऐसी कुछ घटना घटी हो। सभी दोस्त नाश्ते का इंतज़ार करने लगे। लोगों की आवाजाही को देख रहे समीर ने कहा कि अभी और रात के वातावरण में कितना अंतर आ जाता है।
ऐसा लगता है कि जमीन फटी और सारे लोग समा गए रात में। इस बात पे विजय ने चुटकी लेते हुए कहा कि शायद ऐसा ही होता हो। उसकी बात सुनकर सभी डर गए। तेजस अपनी जगह से उठा और वहां बैठे और लोगों से बातचीत करने के लिए आगे बढ़ा।
तभी मानसी का फोन अचानक से बजने लगा । देखा निशा का था। उधर से निशा की आवाज आ रही थी।
निशा – मानसी! तुमने फोन किया था, सुबह देर से उठने के कारण मुझे पता नहीं चला। कहो क्या बात है?
मानसी– निशा! मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है। क्या तुम नीचे हॉल में आ सकती हो? तुम किस कमरे में ठहरी हो, पर निशा ने उसकी इस बात का जवाब ना देते हुए कहा कि मैं थोड़ी देर में नीचे आती हूं,कहकर फोन कट कर दिया।
फोन रखते ही सब मानसी का मुंह देखने लगे। निशा आ रही है, हो सकता है कि वह हमारी मदद करे। उधर तेजस को भी उधर जाने से कुछ हासिल नहीं हुआ, क्योंकि किसी ने उससे बात ही नहीं की। सभी आपस में ही बात कर रहे थे।
तेजस मुंह🥺 बनाते हुए वापस अपने टेबल के पास आ गया। चलो! पहले नाश्ता करो फिर देखते हैं, क्या करते हैं। यहां तो कोई बातचीत ही नहीं कर रहा है, तभी उन लोगों के सामने लाल कपड़ों में एक लड़की आकर खड़ी हो जाती है।
उसको देखते ही मानसी मुस्कराई। अरे निशा! तुम कब आई, हमने तुम्हें देखा ही नहीं। वैसे सुर्ख लाल रंग में बहुत प्यारी लग रही हो। फिर मानसी ने निशा का परिचय करवाया। समीर की नजरें तो उस पर से हट ही नहीं रही थी। रवि ने उसे टोका भी।
मानसी– निशा! तुम अचानक हमारे सामने आ जाती हो। एक ही होटल में रहते हुए हम मिल नहीं पाते। वैसे तुम किस कमरे में ठहरी हो और कितने दिन के लिए।
निशा– रुको, रुको मानसी। पहले ये तो बताओ कि तुमने फोन क्यों किया । इस बात का जवाब तेजस ने दिया और होटल की अजीबोगरीब घटनाएं उसके सामने खोल दी। पर सभी को यह देखकर आश्चर्य लगा कि उन घटनाओं को सुनकर ना ही उसके चेहरे पे कोई प्रतिक्रिया आई और ना ही उसके हावभाव से कुछ दिखा। उल्टे वह तो इस बात का खंडन करती दिखी कि होटल में कुछ गड़बड़ी भी हो सकती है ।
प्रिया– निशा! तुम्हारे पति को कभी देखा नहीं तुम्हारे साथ। ऐसे भी इस होटल में कोई दिखाई थोड़ी ही ना देता है। रात सन्नाटों से भर जाती है और दिन में लोगों को आपस में ही बात करने से फुर्सत नहीं होती ।
निशा– तुम लोग जैसा समझ रहे हो, वैसा कुछ नहीं है । आए हो तो आराम से मस्ती करो, क्या पता कल हो ना हो,ये कहकर मुस्कुरा उठी।
उसकी यह बात तेजस को बहुत संदेहात्मक लगी। मानसी– आओ निशा! साथ में बैठकर नाश्ता करते हैं । पर उसने मना कर दिया यह कहकर कि मैं अपने पति के साथ ही नाश्ता करुंगी। वह किस कमरे में ठहरी हुई है,अभी भी उसने इस बात को इधर-उधर घुमा दी। आखिर वो अपना कमरा बताना क्यों नहीं चाहती है? सभी के मन में यह बात चल रही थी।
क्रमश:……✍️✍️
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