🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Last Part)🌶️🌶️🥵
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गतांक से आगे……✍️✍️
नील के गले के निशान के होने के कारण को सभी पचा नहीं पा रहे थे कि उसने द्विअर्थी बात करके हरेक को सोचने पे मजबूर कर दिया।
नील–जो थोड़े से दिन बचे हैं आप लोगों के, उसे अच्छी तरह से जीना चाहिए। नील की इस बात से सभी चौंके।
नील– अरे, अरे! मेरा कहने का मतलब यह है कि जब आए हो तो अपनी छुट्टी को इंजॉय करो। यूं व्यर्थ की बातों से केवल मानसिक परेशानी ही होगी। चलिए मैं आप लोगों को ऐसी जगह ले चलता हूं,जहां आपलोग को बहुत अच्छा लगेगा।वहां जाने के बाद आप सब की जिंदगी में नए मोड़ आ जाएंगे।
सबने एक दूसरे की तरफ देखा और हामी भर दी। उस समय सबने यही सोचा कि कुछ अलग होगा मस्ती करने के लिए,तभी तो नील इतना उत्साहित हो रहा है। हमारा भी fun हो जाएगा। नील– मेरा एक-दो घंटे का काम है, बस मैं उसे फटाफट निपटा कर आप लोग के साथ चलता हूं। इतना कहकर उसने अपने हाथ को जैसे ही हवा में लहराया,रवि ने देखा कि नील के हाथ में एक ब्रेसलेट था, जिसपे A का लोगो बना हुआ था।
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उसे आश्चर्य हुआ कि दोनों पति– पत्नी का नाम तो N से शुरू होता है तो फिर यह A का चक्कर क्या है 🤔।थोड़ी देर के बाद नील वहां से चला गया। दिन ढलने लगी थी,पर अभी तक नील का कोई अता– पता नहीं था। शाम के 6:00 बज गए, पर नील अभी तक नहीं आया।
सभी उसी के इंतजार में रह गए।
प्रिया– आज का दिन ही ठीक नहीं है। तेजस के साथ उधर अजीबोगरीब घटना घटी और इधर किसी अनजान आदमी के इंतजार में हमारा समय यूं ही बर्बाद हो गया। क्या जरूरत थी उसके साथ जाने की हामी भरने की।
रवि– मुझे भी वह आदमी कुछ ठीक नहीं लग रहा था। अचानक से कमरे में आना और बातें ऐसी करना मानों कितने सालों से वह हमें जानता था। एक चीज़ नोटिस की तुमसब ने।
सबने एकसाथ बोला––अब क्या??🤔🤔
रवि–देखा नहीं !उसके हाथ में जो ब्रेसलेट था, उस पे A का logo बना हुआ था। कैसी चिकनी– चुपड़ी बातें कर के हमारा विश्वास बना लिया खुद पे। दोनों पति-पत्नी कभी साथ नहीं होते पता नहीं हमें कहां लेकर जाएगा ।
विजय– हां! सही कह रहे हो तुम।
आज तेजस बिल्कुल शांत बैठा था। ना कोई प्रश्न और ना ही कोई खोज।
समीर उन सब की बातें ध्यान से सुन रहा था और मन ही मन सोच रहा था कि सभी को शक की बीमारी हो गई है। तभी दरवाजे पे एक जोरदार थाप पड़ी। खोला तो देखा नील हंसते हुए खड़ा था।
समीर ने सभी की तरफ तिरछी नजरों से देखा और नील को अंदर आने के लिए कहा। क्यों भाई! मेरे आते ही सब शांत क्यों हो गए? क्यों, मेरे ही बारे में बातें चल रही थी? सभी एक –दूसरे का मुंह देखने लगे।
नील(हंसते हुए) – अरे! भाई मैं तो मज़ाक कर रह था। इतना भी नहीं समझते। खैर चलो सब के सब , मेरे कारण ऐसे भी देर हो गई है। फिर सभी नीचे उतरने लगे। शाम हो गई थी, नील आगे– आगे और सभी पीछे– पीछे चल रहे थे।
समीर–क्या हमलोग पैदल ही जायेंगे।
नील–हां! होटल से ज्यादा दूर नहीं है वो जगह। मुझे तुमसब को किसी से मिलवाना है।
रवि– नील! एक बात बताओ, क्या तुम्हें इस होटल में कुछ अजीब नहीं लगता है। मेरा मतलब है कि रात में लोग अचानक से गायब कहां हो जाते हैं?
नील– हंसते हुए! अरे यार, यहां का मौसम तो देखो। सभी अपने– अपने कमरों में दुबक जाते होंगे। तुम लोग का भी यही हाल होने वाला है। जो भी यहां आता है, फिर वापस जाने का नाम नहीं लेता । मेरा मतलब है यहां के मौसम, यहां की वादियां सभी कुछ उसे इतना भा जाती है कि वह यहीं का होकर रह जाता है।
विजय नील के द्विअर्थी बात को सुनकर कभी– कभी सोचने पे मजबूर हो जाता। बातें करते– करते सभी होटल से काफी दूर निकल आए थे। स्थानीय लोग भी वहां कम ही नजर आते। शाम के धुंधलके में सभी के चेहरे अब धुंधले नजर आने लगे । सभी पैदल ही चल रहे थे।
तेजस–नील! अब हमें कितनी दूर जाना है। इस बात पे कोई जवाब नहीं मिला। तुम बोल क्यों नहीं रहे हो नील? पर कोई जवाब नहीं। समीर ने मोबाइल की रोशनी में देखा कि उन छह के अलावा तो कोई है ही नहीं वहां। ये नील हमलोग को छोड़कर कहां चला गया????
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