🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Part –9)🌶️🌶️🥵
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गतांक से आगे…✍️✍️
सब एक– दूसरे का मुंह देखने लगे। अंधेरे में कुछ पता तो नहीं चल रहा था कि वे लोग कहां हैं? अरे! यह नील कहां चला गया?🥺🤔 सभी उसे ही ढूंढने लगे।
प्रिया– मुझे शुरु से ही उसपे भरोसा नहीं था। शाम तक इंतजार करवाया और फिर अंधेरे में पता नहीं कहां गायब हो गया । हमें होटल वापस लौट जाना चाहिए। आसपास देखा तो झुरमुटों के बीच एक झीनी रोशनी आती दिखाई दी। सभी के पैर उधर ही मुड़ गए। पास जाकर देखा तो एक दो मंजिला मकान खड़ा था।
रोशनी वहीं से आ रही थी। वह मकान काफी पुराना लग रहा था ,क्योंकि उसकी दीवारें कहीं-कहीं उखड़ी हुई थी। पर मकान में ताला लगा हुआ है। हम लोग कहां जाएं, यह कहते हुए सभी वापस होने के लिए मुड़े ही थे कि ऊपरी मंजिल पे मानसी को किसी साए के गुजरने की छाया दिखाई दी। वह चिल्लाई,ये देखो, ऊपर में कौन है? दरवाजा बाहर से बंद है तो फिर अंदर कौन है??
सभी डर गए और वापस ही हो रहे थे कि दरवाजा चरमराकर अपने आप खुल गया। वातावरण में सायं –सायं की आवाज बहुत भयानक स्थिति उत्पन्न कर रही थी। झींगुरों की आवाज़ कानों को छेद रही थीं।
सभी मूर्तिवत बस वही खड़े के खड़े ही रह गए। अंदर से एक आवाज आई– यहां तक पहुंचकर वापस कहां जा रहे हो तुम लोग? अंदर आओ, तुम्हारा ही इंतजार हो रहा है। रवि– विजय आपस में फुसफुसाते हुए बोले कि रात्रि में किसी अनजान घर में जाना क्या ठीक होगा?
नील भी पता नहीं कहां चला गया? तेजस तो घबराया हुआ था ही, ऐसे माहौल में वह स्थिर नहीं रह सका। पर घर के अंदर से आने वाली आवाजों को वे लोग इग्नोर भी नहीं कर सके और सब के सब अंदर घुस गए। जैसे ही सब अंदर गए, दरवाजा अपने आप बंद हो गया। प्रिया और मानसी तो एकदम डर गई थी। अंदर कमरे की हालत देखकर उन लोगों को अपनी आंखों पे भरोसा ही नहीं हुआ क्योंकि कमरा रोशनी से जगमगा रहा था और चारों तरफ सुसज्जित अवस्था में था।
सुनसान जगह पर, जहां चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा हो, वहां पे ऐसी स्थिति का होना ताज्जुब की बात लग रही थी। यह हम लोग के साथ क्या-क्या हो रहा है? हम लोग यहां मस्ती करने आए थे, ना कि अपनी जान जोखिम में डालने। बाहर इतना अंधेरा, अंदर इतनी रोशनी??मकान जर्जर अवस्था में पर अंदर सारी व्यवस्थाएं🤔🤔किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था।
अचानक से कमरे की लाइट चली गई। अब तो अंधेरे में सबके खून जमने लगे। एक– दूसरे का हाथ पकड़कर सब दरवाजे की ओर बाहर निकलने के लिए बढ़े,पर दरवाजा तो बाहर से बंद था । प्रिया तो रोने लगी और चिल्ला चिल्ला कर दरवाजा पीटने लगी। कौन है यहां? हमें जाने दो? क्यों रोका है हमें , हमसे क्या चाहिए तुम्हें? सारे प्रश्न हवा में तैरने लगे।
तभी कमरे जगमगा उठा। क्यों परेशान हो रहे हो तुम सब? इधर देखो, अपने पीछे। सब आवाज़ की दिशा में घूमे और अपनी जगह से उछल पड़े। अंदर एक सोफे पर बैठा हुआ था नील। उसे देखते ही सभी गुस्से से भर गए। तुम तो हम लोग के साथ थे फिर अचानक से गायब कैसे हो गए ? फिर इस घर में तुमने कब प्रवेश किया ?यहां तो ताला जड़ा हुआ था?सबके सवालों को सुनकर वह हंस पड़ा।
उसकी बत्तीसी चिंगारी का काम कर रही थी। नील –अरे,अरे! यह सब सवालों को किनारे करो और मुझे बताओ कि यह सरप्राइज कैसा लगा?
तेजस– तुमने तो हमारी जान ही सुखा दी थी। वैसे हम लोग होटल से कितनी दूर आ चुके हैं।
नील– वहां पहुंचने की चिंता मत करो तुम सब। मैं हूं ना तुम सबको वहां पहुंचाने के लिए, आखिर मंजिल तुम सब की वहीं तो है।
मानसी(चिढ़कर)– तुम हमेशा दो मतलब क्यों निकालते हो किसी भी बात के। सीधे-सीधे नहीं बोल सकते क्या?
नील– अब यह सब छोड़ो, चलो मैं तुम्हें किसी से मिलवाता हूं। अंदर के कमरे से एक 40– 50 साल का आदमी बाहर निकला। उसे देखते ही सब के मुंह से एक साथ निकला–अरे! सर आप और यहां???
क्रमश……✍️✍️
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