🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Part –9)🌶️🌶️🥵
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गतांक से आगे……✍️✍️
सामने दृश्य ही सबके लिए उम्मीद से परे था। जिस बात को दस साल पहले दफना दिया गया था,आज वही सबके सामने आ गया। सबका चिल्लाना तो अपेक्षित था ही।
समीर–सर! आप तो अचानक से गायब ही हो गए । सभी जगह यही बात फैली हुई थी कि आपने अपना सब कुछ त्याग कर अपने छोटे भाई के नाम कर दिया। चूंकि आपके परिवार में आपका अपना कोई नहीं था,इसलिए सभी को विश्वास भी हो गया। कोई भी सुराग किसी को नहीं मिला। सब आपको बहुत याद करते थे। आप यहां मनाली में इस सुनसान जगह पे क्यों रह रहे हैं??
नील – ओ हो! अरे, जरा सब्र भी कर लो। तुमलोग के सारे सवालों के जवाब जल्द ही मिल जायेंगे। मैंने कहा था ना कि मैं तुम सबको जो दिखलाऊंगा, उसे देखकर तुम्हारी जिंदगी में नए मोड़ आ जाएंगे।
असल में बात यह थी कि शहर के जाने-माने बिजनेसमैन रघुवीर सहाय एक बहुत ही जिंदादिल और धनी आदमी थे। कई शहरों में उनकी प्रॉपर्टी थी। रघुवीर सहाय और राजवीर सहाय दो सगे भाई, पर दोनों के स्वभाव में जमीन– आसमान का अंतर था । रघुवीर सहाय की कोई संतान नहीं थी। उनकी पत्नी ने बच्चे के गम में बिस्तर पकड़ लिया और भगवान की प्यारी हो गई।
ये छह लोग इन्हीं की कंपनी में काम करते थे । कंपनी पे दोनों भाइयों का समान अधिकार था, पर राजवीर कंपनी को बेचना चाह रहा था। एक विदेशी कंपनी इनकी कंपनी को takeover करना चाह रही थी, पर रघुवीर सहाय को यह बात बिल्कुल मंजूर नहीं थी। इस बात पे अक्सर दोनों भाइयों के बीच कहासुनी हो जाती। रघुवीर सहाय के नियंत्रण में जब तक ऑफिस रहा, वहां काम करने वाले लोगों को कभी परेशानी नहीं हुई। उनका अपने कर्मचारियों के साथ हमेशा दोस्ताना व्यवहार रहा। इन्ही का नाम सुनकर तो हमलोग वहां काम कर रहे थे।
पर एक दिन अचानक से पता चला कि दोनों भाइयों ने कंपनी बेच दी। रघुवीर सहाय शहर के एक जाने– माने नाम थे। उनकी और उनकी कंपनी की कोई भी बात अखबार की सुर्खी बन जाती। ये बात लोगों को पची नहीं। दबी जबान से जितनी मुंह,उतनी बातें चलती रहतीं। फिर एक दिन इन सब पर पर्दा पड़ गया, जब राजवीर का बयान सबके सामने आया। ना कि चौंकाने वाला,बल्कि विश्वास ना करने वाला भी। रघुवीर सहाय को प्रॉपर्टी से विरक्ति हो गई थी, क्योंकि उनके कोई बच्चे नहीं थे। पत्नी ने भी साथ छोड़ दिया, इसलिए उन्होंने अपनी सारी संपत्ति राजवीर सहाय के नाम कर दी और खुद कहीं चले गए।
यह बात करीब 10 साल पुरानी हो गई है। रघुवीर सहाय कहां गए? उनके साथ क्या हुआ? वे जीवित हैं या नहीं, किसी को नहीं पता। ये बयान देने के करीब तीन महीने बाद ही राजवीर सहाय ने उनके बंगले भी हथिया लिए। रघुवीर सहाय के समय की बहुत सारी पॉलिसियां भी बदल गई थी। यह बात बिल्कुल सही है कि चढ़ते सूरज को सब कोई नमस्कार करता है।
रघुवीर सहाय के साथ भी ऐसा ही हुआ। चूंकि उनके परिवार के नाम पर उनका कोई नहीं था । सब ने इस बात को सही मान लिया और यह किस्सा ही बंद हो गया। इस तरह से रघुवीर सहाय की कहानी यहीं पे खत्म हो गई।
विजय– पर आपने ऐसा क्यों किया सर? अपने पुरखों की जमीन को यूंही मटियामेट होने के छोड़ दिया और खुद यहां अपने आज से भागकर अकेले रह रहे हैं। आपको तो बखूबी पता ही था ना कि आपके भाई के मंसूबे क्या हैं? कंपनी बिकने पर कंपनी के कर्मचारियों की छटनी शुरू हो गई।Man Power को कम करके कंपनी के profit पे बस ध्यान दिया जाना जाने लगा। राजवीर ने तो कंपनी ऐसे भी बेच दी थी। इसलिए कोई सरोकार तो रहा नहीं।
हमें काम की जरूरत थी इसलिए कम पैसों में भी हम काम करते ही रहे। अब तक ना कोई facility और ना ही कोई increament मिला। बीच में लॉकडाउन पड़ गया और काम को छोड़ने का रिस्क हम सब नहीं ले सकते थे। इसी कारण से आज तक हम सब इसी कंपनी में है। कम बजट की ट्रिप के कारण हमने मनाली घूमने का प्लान बनाया और पता नहीं कैसे इस होटल में पहुंच गए।
तेजस– शहर में तो यह बात भी दबी जबान में फैली हुई थी कि रघुवीर सहाय ने फ्रॉड का काम किया था और अपनी बदनामी ना हो, इसलिए सारी प्रॉपर्टी अपने भाई के नाम कर दी।
सर, आप यहां मनाली में क्या कर रहे हैं और वो भी इतने पुराने मकान में। आपके पास तो इतनी प्रॉपर्टी थी। आराम से आपके जीवन के क्षण कट सकते थे तो फिर इस सुनसान और outer area में रहने की क्या जरूरत थी?
विजय– सर! आपकी अच्छाइयों ने बहुतों का भला किया है । आप तो कितनी जगह चैरिटी भी करते रहते थे। फिर भी आपने अपने जीवन के अंतिम क्षण को ऐसे अकेले बियाबान जगह में बिताना क्यों मंजूर किया ? सब के सवाल पूरे कमरे में गूंज रहे थे इंतज़ार में अपने जवाब पाने के लिए।
क्रमश……✍️✍️
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