🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Last Part)🌶️🌶️🥵
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गतांक से आगे……✍️✍️
तेजस–सर! पर आप नील को कैसे जानते हैं??
रघुवीर जी– अभी मेरी कहानी खत्म नहीं हुई है। फिर उन्होंने बोलना शुरू किया। मैंने अपने ही हाथों से अपनी सारी प्रॉपर्टी राजवीर के नाम कर दी थी। अब मेरे पास बस खुद की जमा राशि ही बची रह गई। मैं अगर कहता भी किसी से तो कौन भरोसा करता मुझ पे? मैं अंदर ही अंदर टूटने लगा। राजवीर ने मुझसे मेरी सारी जमीन, मेरे अधिकार, यहां तक कि मैं जिस बंगले में रह रहा था, वह सब मुझसे छीन लिया। मैं एकदम हताश हो गया था। मेरे पास इस शहर में रहने के लिए कुछ नहीं बचा।
एक दिन राजवीर मेरे पास आया और उसने मेरे सामने यह प्रस्ताव रखा कि मैं यह शहर छोड़ कर चला जाऊं, क्योंकि अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा था यहां, इसलिए यहां रहने का कोई मतलब नहीं बनता। सारे कागज उसके नाम पे हो गए। अगर मैं कोई कानूनी कारवाई करता भी तो मैं उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता था।
एक एहसान जरूर कर दिया उसने मुझ पे। कई शहरों में हमारी प्रॉपर्टी थी। उसने सब कुछ छीन लिया, पर यह घर जहां तुम सब खड़े हो वह मुझे दे दिया, यह कह कर कि आप अक्सर यहां आते– जाते रहते थे। भाभी के साथ बहुत सारी यादें बसी हैं आपकी,इसलिए यह दो– मंजिला घर आज से आपका हुआ। उसकी इस बात पे मुझे हंसी भी आई। अब कैसी यादें और कैसा रिश्ता??भावनात्मक रूप से उसने मुझे छला था। मैंने वहां से पलायन करना ही बेहतर समझा।
अपने काम के दौरान मैं अपनी पत्नी के साथ अक्सर मनाली आया– जाया करता था। यहां का मौसम,यहां के वातावरण मुझे बहुत भाते। उसी दौरान मैंने यह मकान खरीदा था। मेरी पत्नी को भी यह जगह बहुत पसंद आई। शहर की भागदौड़ से थोड़ा अलग हटकर यह शांति हमें बहुत भाती थी। ऐसे भी हमारे जीवन में बच्चे की किलकारियां देखने का नसीब नहीं हुआ।
मैंने अपने जीवन से समझौता कर लिया और यहां आ गया। मैंने यह घर शहर से थोड़ा हटकर ही लिया था। इसलिए लोगों की आवाजाही यहां कम ही होती। अब तो मेरा यह स्थाई जगह ही बन गया है। मेरे पास पैसों के नाम पे जो जमा राशि थी,वह कुछ साल तो चली, पर अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत तो होती है ना।
जिंदगी भर सब मेरे नियंत्रण में काम करते आए और अब इस उम्र में मैं काम ढूंढ रहा था। मनाली पर्यटकों को बहुत भाता है। जिस समय मैं यहां रहने आया था, यहां से कुछ दूरी पे ही वह नीलांचल होटल अभी बनकर तैयार ही हुआ था।
मैंने सोचा कि क्यों न वहीं कुछ देख लूं, शायद मेरे लायक कोई काम मिल जाए। वहां मैंने होटल के मालिक से बात की। उस होटल को एक पति– पत्नी देखते थे। अपनी परिस्थितियों, अपनी उम्र का हवाला देकर उनसे यही कहा कि मेरे घर से यह होटल पास में है। अगर मुझे यहां काम मिल जाए तो बहुत आसानी होगी।
पहले तो मेरी उम्र देखकर वह बंदा तैयार नहीं हो रहा था पर मेरी मजबूरी देखकर पिघल गया। बहुत ही नेक बंदा लगा वो मुझे। उसने मुझसे पूछा भी कि मैं इस उम्र में काम क्यों कर रहा हूं? पर मैंने उसे कुछ नहीं बताया,वरना वह मुझसे सहानुभूति जताते रहता, जोकि मुझे कतई पसंद नहीं। अब मैं अपने साथ किसी को खेलने नहीं दे सकता था।
वहां पे गार्ड की नौकरी मिल गई मुझे। करीब 30-35 साल की उम्र रही होगी उस नौजवान की। उसकी पत्नी का स्वभाव भी बहुत अच्छा था। समय के साथ हम दोनों के बीच एक अच्छी ट्यूनिंग बन गई । एक मालिक की तरह नहीं, बल्कि बड़े– बुजुर्ग की तरह वह मेरे साथ व्यवहार करता एवं इज्जत देता। उसकी पत्नी भी मेरी बहुत इज्जत करती।
उस ने अपनी जिंदगी के वैसे पल भी मेरे साथ शेयर किए,मानों मैं उसके घर का सदस्य हूं। एक बार तो वह मेरे साथ मेरे घर भी आ गया । किस्मत ने उसके साथ भी बड़ा अन्याय किया था। बचपन में उसके मां-बाप ने गरीबी के कारण उसे किसी सेठ के यहां बेच दिया। वह बच्चा पूरे दिन भर काम करता और साथ में सेठ के बच्चों को भी संभालता ।
सेठ अक्सर अपने बच्चों और पत्नी के साथ घूमने के लिए जाता तो उस बच्चे को भी लेकर जाता । होटल में वह बच्चा रुकता तो जरूर ,मगर सेठ के बच्चों को संभालने और आगे पीछे उसका काम करने के लिए। सब घूमते और वह सामान और बच्चों को ही देखता रहता ।
उस बच्चे की आंखों में भी कुछ सपने तैरने लगे, जैसे कि जगह– जगह जाने से उसे भी घूमना– फिरना बहुत अच्छा लगने लगा। होटल को देखकर उसकी आंखें चमक जाती। जगह-जगह आने– जाने से वह दुनिया तो देख रहा था, पर बंधुआ मजदूर बनकर।
सपने देखने का काम तो उसकी आंखें करती रहती पर मन तो कुछ और ही चाहता। एक बार उसने गलती से सेठ से अपने सपनों का जिक्र भी किया और बदले में सिवाय दुत्कार के उसे कुछ नहीं मिला। सेठ ने यह कहकर उसके हौसले को तोड़ दिया कि अपनी हद में रह तू, अभी तू मेरे बच्चों को देख रहा है, उसके बाद बच्चों के बच्चों को देखना, यही तेरी किस्मत है पर वह बच्चा तो मन में कुछ ठान लिया था और उसे पूरा करने का संकल्प भी ले लिया, मगर कैसे यह उसे भी नहीं पता ,क्योंकि उसका अपना कहने वाला और सहारा देने वाला तो कोई नहीं था। उसके सपनों को पूरा करने में कौन उसकी सहायता करता??
रवि(बीच में ही)–पर सर ! आपकी कहानी में उस होटल के मालिक की क्या भूमिका रही है?
मानसी–(उतावलेपन से) हां,सर! नील के साथ आपका रिश्ता क्या है,ये तो आपने अभी तक बताया ही नहीं??
क्रमश……✍️✍️
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