🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Part –9)🌶️🌶️🥵
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गतांक से आगे……✍️✍️
रघुवीर जी– तुमलोग के सारे सवाल यहीं मौजूद हैं। तुम लोग जिस होटल में ठहरे हो उसका मालिक वह बच्चा ही तो था। हम दोनों के संबंध इतने प्रगाढ़ हो गए कि धीरे–धीरे एक तरह से समझो, वो मेरे बुढ़ापे का सहारा बनते जा रहा था। फिर रघुवीर सहाय बोलते– बोलते एकाएक चुप हो गए। कमरे में सन्नाटा छा गया उनकी कहानी सुनकर। सभी का मन भर आया।
बहुत विश्वासघात हुआ था उनके साथ। शहर के लोग क्या– क्या सोचने लगे थे? लेकिन यह सही ही कहा गया है कि कानों– सुनी बातों पे कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए। जिसके साथ बीतती है, वही जानता है।
रवि– विजय एक साथ बोल पड़े–सर! अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। बाजी अभी भी पलट सकती है। हम बताएंगे दुनिया को आपका सच। फिर सभी एकमुश्त चिल्ला उठे– हां सर! हम आपके साथ हैं, हम आपको कुछ नहीं होने देंगे। आप हमारे साथ चलिए। कमरे में सभी की आवाजें गूंजने लगी।
रघुवीर जी ( रहस्यमई आवाज़ में)– लेकिन मैं उस बच्चे को छोड़कर कहां जाऊंगा? अब मेरा वहां कोई काम नहीं।
तेजस– सर! वो तो होटल का मालिक है ना। उसे किस चीज की कमी है?
विजय– ये सब तो ठीक है सर, लेकिन एक बात अभी भी समझ में नहीं आई कि नील के साथ आपका क्या रिश्ता है? वह आप को कैसे जानता है ?
रघुवीर जी– तुम लोग जिस होटल में ठहरे हो, उसके मालिक का नाम ही नील है।
क्या,क्या क्या! सबके मुंह से यही आवाज़ निकली।
प्रिया– इसलिए नील हमारे सामने एकाएक आया था। पर उसने अपना असली परिचय हमें क्यों नहीं दिया?
अब बोलने की बारी नील की थी ।
नील–दोस्तों, अगर मैं तुमको अपनी सारी सच्चाई उसी समय बोल देता तो क्या तुम लोग यहां तक आते। अंकल की सच्चाई भी इसी बर्फ में दफन हो जाती।
समीर– तुम सही कह रहे हो नील। सर को हम अपने साथ लेते जाएंगे और इनकी सच्चाई पूरी दुनिया को मालूम होगी। उसकी इस बात पर नील और रघुवीर ने एक-दूसरे की ओर देखा और अचानक से दोनों गायब हो गए ।
तेजस– अरे! ये दोनों कहां गए🤔। चारों तरफ उन दोनों को खोजा जाने लगा। अचानक से दोनों प्रकट हो गए । फिर तो लुका– छुपी का खेल चलने लगा। कभी कमरे में चारों तरफ अंधेरा छा जाता तो कभी कमरे को देखकर ऐसा लगता कि कितना साल पुराना हो।
सर! आप दोनों हमारे साथ यह कैसा खेल खेल रहे हैं। यहां हम आपके साथ होने वाले अन्याय की बात कर रहे हैं और आप हमसे छिप रहे हैं। फिर कमरे में ठहाके की आवाजें गूंजने लगी। सब ने देखा नील और रघुवीर सहाय सामने खड़े हंस रहे थे ।
रघुवीर सहाय –बच्चों! अभी तक तुम लोग समझे नहीं क्या?? मैंने अपनी संपत्ति, अपना शहर सब छोड़ा लेकिन जिंदगी ने मेरा साथ छोड़ दिया। मैं मर चुका हूं और यह जो तुम देख रहे हो, वह मैं नहीं , मेरी भटकती आत्मा है जो इन दीवारों में कैद होकर रह गई है और जिस होटल में रह रहे हो उसका मालिक यानी कि मैं भी जिंदा नहीं हूं। अबकी आवाज़ नील की थी। मेरे सारे सपने, मेरे अरमान यूं ही बीच मंझधार में ही रह गए।
इन दोनों की बातों को सुनकर सब कांपने लगे। क्या आप लोग जीवित नहीं हैं? इसका मतलब है कि होटल में जो भी घटना घटी थी, वह हमारे मन का वहम नहीं बल्कि सच्चाई थी ।
नील –हां !तुम लोग जैसे ही मेरे होटल में आए, तुम लोगों के पास वहां की भटकती आत्माएं हमेशा आसपास होती । तेजस, उस रात सीढ़ियों पे जो अजनबी चढ़ रहा था, वह और कोई नहीं अंकल थे। वह तुम लोग को वार्निंग दे रहे थे होटल से निकलने के लिए, क्योंकि तुम लोग अगर उस रात तक होटल में रुक जाओगे,तो फिर तुम लोग को भी कोई नहीं बचा सकता ।
समीर– किस रात तक?? बोलते हुए कांपने लगा।
रघुवीर जी– हमारा मर्डर हुआ है और वह होटल शापित हो गया है। जाने कितने लोग स्वाहा हो गए। उन दिनों जब मैं होटल मैं काम ढूंढने गया और नील से मेरी दोस्ती हुई थी,उस समय तक सब कुछ ठीक– ठाक था। मैं नील की हमेशा प्रशंसा करता रहता । बिना किसी सपोर्ट के अपने दम पे इतना बड़ा होटल खड़ा करना मामूली बात नहीं थी। इसलिए उसके दुश्मन भी बहुत थे।
क्रमश……✍️✍️
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