🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Last Part)🌶️🌶️🥵
...
गतांक से आगे……✍️✍️
रघुवीर जी– चूंकि मैं काम करता था वहां, इसलिए मेरा आना– जाना हमेशा रहता ही। कुछ दिन से नील बहुत स्ट्रेस में था। वैसे तो वह हर बात मेरे से शेयर करता पर पता नहीं क्यों वह मेरे से खींचा– खींचा सा रहने लगा। मैंने अपनी जिंदगी में बहुत गम खाए थे , बहुत मुश्किल से परिवार के नाम पर नील मिला वह भी मुझसे दूर चला जाए,ये बात मैं अब सहन नहीं कर सकता था।
मैंने सोचा कि उसकी पत्नी से ही पूछ लेता हूं । उसे जरूर पता होगा। पर उस दिन होटल में वह मुझे कहीं दिखाई नहीं दी। मैंने हर जगह ढूंढा,पर उसका पता नहीं चला। जब नील से उसकी पत्नी के बारे में पूछा तो उसके चेहरे पे तनाव जैसी मुद्रा आ गई।
गर्मियों के समय में मनाली में अच्छी– खासी भीड़ हो जाती थी, इसलिए नील उस समय ज्यादा व्यस्त हो जाता। मैं भी अपने काम पर ध्यान देने लगा। होटल का लोकेशन अच्छा होने के कारण लोग ज्यादा से ज्यादा यहां आते। इसलिए नील से मेरी बात नहीं हो पाई। अगले दिन जब मैं होटल गया तो देखा पूरा सन्नाटा पसरा हुआ था। नील को ढूंढा पर वह मुझे दिखाई नहीं दिया।
नील– नील चिल्ला रहा था, तभी मुझे पहली मंजिल पर किसी के चीखने की आवाज आई। मैं जल्दी से भागकर वहां गया तो देखा दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था। उसी में मैंने देखा कि नील को दो लोगों ने पकड़ा हुआ था। फिर एक तीसरा आदमी आया और उसके गला को रेत दिया।
ये सब देखकर मैं चिल्ला उठा। उन तीनों को थोड़ा भी अंदेशा नहीं था कि मैं सब देख चुका हूं। जैसे ही मेरी आवाज आई तीनों पलटे और मेरी ओर बढ़ गए। मैंने देखा कि नील जमीन पर छटपटा रहा था। मैं भागने लगा पर उन तीनों ने मुझे भी पकड़ लिया । वैसे भी मेरी बूढ़ी टांगे कहां तक साथ देती।
उन लोगों ने मुझे भी उसी कमरे में मार दिया। इस तरह से हमने अपनी जिंदगी गंवा दी और आज तक भटक रहे हैं । वे लोग कौन थे और नील से क्या चाहते थे, यह नील के सिवा और कोई नहीं बता सकता। हां,उन तीनों में से एक को मैं अक्सर होटल में देखा करता था।
प्रिया और मानसी आपस में फुसफुसाने लगी कि इसका मतलब हम लोग इतने दिन से मरे लोग को देख रहे थे और बातें कर रहे थे। ये सब जानकर सबकी जान सूखने लगी। पर इनकी कहानी मन को पिघला भी रही थी। नील बिल्कुल शांत था।
समीर ने उसकी तरफ देखते हूए बोला कि नील, जिन लोगों ने तुम्हें मारा, क्या उन लोगों को जानते हो? तुम्हारी पत्नी तो निशा है तो फिर तुमने A letter का ब्रेसलेट क्यों पहना हुआ है? आखिर इस होटल का राज क्या है?
नील– अभी मेरी कहानी खत्म कहां हुई है ?? जैसा कि तुम लोग को पता चल ही गया कि मेरा बचपन कैसा बीता। एक लालसा मन में हमेशा दबी रहती थी कि जो मैं सपना देखा, उसे कैसे पूरा करूं। सेठ ने मेरा बचपन मुझसे छीन लिया और एक बंधुआ मजदूर बना दिया था।
इसमें सेठ को मैं क्या दोष दूं,जबकि मेरे मां– बाप ने ही मेरा किस्मत लिख दिया था। पर मैं हारा नहीं और मौके की ताक में ऐसे ही कई साल बीत गए। मैं राजस्थान में रहता था। एक रात जब घर के सारे लोग सो रहे थे, मैं वहां से भाग गया। उस समय मेरी उम्र करीब 20–22 साल रही होगी । सेठ के कुछ पैसे लेकर मैं भागा था ताकि जाने का बंदोबस्त हो जाए। उसके बाद तो मैं अपना रास्ता खुद बना लेता।
एक टूरिस्ट बस पर चढ़ गया और यहां मनाली पहुंच गया। यहां पहुंच कर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं? किधर जाऊं? लेकिन कहते हैं ना कि जहां चाह होती है वहीं राह होती है। मैं यूं ही काम के लिए यहां-वहां भटकने लगा। पढ़ा लिखा तो था नहीं, जो किसी अच्छी कंपनी में मुझे नौकरी मिल जाती।
मुझे एक रेस्टोरेंट में नौकरी मिल गई। वह रेस्टोरेंट एक होटल से connected था। मेरा मतलब है कि उस रेस्टोरेंट का खाना होटल में जाया करता था। यह वही होटल है, जिसमें तुम लोग अभी ठहरे हुए हो।
होटल की मालकिन एक आंचल नाम की महिला थी। मैं उस होटल में खाना देने अक्सर जाया करता। धीरे– धीरे मेरी उससे दोस्ती हो गई। मैं उसे हर बात बताता और वह मुझे। मेरी कहानी सुनकर आंचल को बहुत दुःख हुआ,अपनी आशा के नहीं टूटने देने के जज्बे के कारण मैं उसकी नजरों में छाने लगा और कब यह दोस्ती प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला। इस तरह से 5 साल बीत गए।
एक गरीब मजबूर लड़के की किस्मत ऐसी पलटेगी किसने सोचा था। आंचल बहुत ही अच्छी लड़की थी । अपनी मेहनत के बल पे उसने यह होटल खड़ा किया था।
एक दिन उसने मेरे सामने शादी का प्रस्ताव रखा। मैं तो जैसे आसमान में ही छाने लगा ये सुनकर। फिर हमने शादी कर ली। अब हम दोनों मिलकर होटल को देखने लगे। हम दोनों के अच्छे सामंजस्य के कारण होटल अच्छा– खासा चलने लगा । अब होटल का नया नामकरण हुआ– नीलांचल।
क्रमश……✍️✍️
आसराउफ़ ! कितनी भयानक रात है, आसमान म...
Outsiderबालकनी में कुर्सी पे बैठ के बारिश के म...
हताशातंग 🙍आ गई हूं मैं रोज-रोज के प्रदर्शन से, झ...
😯😯😦