🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Last Part)🌶️🌶️🥵
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गतांक से आगे……✍️✍️
होटल का नाम और इसके पीछे की कहानी को सुनकर सबको बहुत दुःख हुआ,पर नील के साहस और आंचल के साथ ने उनकी सारी मुसीबतों को दूर कर दिया।
नील तो जीवित नहीं था। पर उसकी पत्नी कहां गई? ये अभी भी पता नहीं था😳🤔
समीर–ये बात अभी भी समझ नहीं आ रही है कि आंचल कहां गई? नील की बात को बीच में ही काटते हुए रवि ने कहा कि अच्छा! तभी तुमने जो ब्रेसलेट पहना हुआ है, उस पे A का logo बना हुआ था।
नील– हां! यह ब्रेसलेट मुझे मेरी पत्नी ने उपहार में दिया था। एक अनजान बेसहारा लड़के को सहारा देकर उस पे भरोसा किया और उसे फर्श से अर्श पर पहुंचाया। वो मेरी जिंदगी थी, मेरी सब कुछ, बिना उसके मैं कुछ कल्पना भी नहीं कर सकता था । पर मेरी जिंदगी(आंचल) ने मेरा साथ मुझसे पहले ही छोड़ दिया।
आंचल ने मुझसे यह कसम ली थी कि मैं किसी को यह बात ना बताऊं कि होटल उसने खड़ा किया था । इसलिए मैंने अंकल को भी यह बात नहीं बताई । उन्हें लगता था कि मैंने होटल को अपने दम पे खड़ा किया है । आंचल ने कभी मुझे अपने से अलग नहीं समझा।
समीर– फिर तुमने हमसे झूठ क्यों बोला कि निशा तुम्हारी पत्नी है। ये बात कहते– कहते उसके मन में एक विचार कौंधा कि इसका मतलब है कि निशा को तुम जानते हो।
नील– हां! तुमने सही पहचाना। निशा को कौन भूल सकता है? सारे फसाद की जड़ तो वही है । इसलिए ऊपर वाले ने भी उसके साथ वैसा ही इंसाफ किया। वह देखने में जितनी सुंदर थी, मन उतना ही काला । और उसका साथी,जिसका मन तो काला था ही,पसंद भी काली थी। हमेशा काला कपड़ा ही पहनता। दोनों ने मिलकर इस होटल को श्मशान बना दिया।
वो रात एक काली भयानक रात बनकर आई और फिर सभी स्वाहा हो गए । सब कुछ देखते हुए भी मैं किसी को बचा नहीं सका,क्योंकि मैं मर चुका था। निशा आंचल की चचेरी बहन थी। शुरू से ही आंचल की किस्मत को लेकर जला करती। एक महत्वाकांक्षी और अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों पे चलाने वाले का यही गत होता है।
माता-पिता के मना करने के बावजूद उसने अपने से उम्र में काफी बड़े एक आदमी से भागकर शादी कर ली। पर शादी के बाद पता चला कि उसने तो निशा को बेवकूफ बनाया है। निशा अब चोट खाई नागिन बन गई थी। उसे तो बस अपनी जिंदगी आगे बढ़ाने थी किसी भी तरह से,चाहे उसे अपने धोखेबाज पति का सहारा ही क्यों ना लेना पड़े।
उसका पति देखने में बिल्कुल बदसूरत था,आगे के दो दांत सड़े हुए। ये हुलिया सुनकर तेजस को तुरंत वही काले कपड़ों वाला आदमी जेहन में आ गया। निशा बहुत सुंदर थी । उसके दिमाग में फितूर की बात बैठी हुई थी कि वह किसी को भी अपने रूप के जाल में फंसा सकती है। उसने अपने पति के साथ मिलकर एक षड्यंत्र रचा। शुरू से ही वह आंचल से जला करती थी। उसके हर अच्छे– बुरे की खबर वह पता करती रहती।
यह बात उसे पता चली कि आंचल का अपना होटल है, बस उसे और उसके पति को आंचल को वहां से निकाल फेंकने का विचार मन में आया। एक दिन उसने आंचल को फोन किया।
निशा – आंचल! मेरे पति की नौकरी छूट गई है। बहुत परेशानी में हूं, क्या तू मेरी मदद करेगी। आंचल बहुत ही सीधी-सादी और सबकी मदद करने वाली लड़की थी। अपनी किस्मत और मेरे पे उसे सबसे ज्यादा भरोसा था।
निशा की बातों में आकर उसने होटल में ही उसके पति को काम दे दिया। नील तेजस की तरफ देखते हूए बोला कि तुम होटल के पीछे जिस कमरे की बात कर रहे थे, उसी कमरे में निशा और उसके पति रहते थे। इसका मतलब है कि जो काले कपड़ों में मुझे जो आदमी दिखता है, वह और कोई नहीं नहीं ,निशा का पति ही था,तेजस ने आंखें फैलाकर बोला।
नील– हां ! दोनों पति-पत्नी ने इस तरह से अपनी परेशानी आंचल के सामने रखी कि उसे थोड़ा भी संदेह नहीं हुआ।
प्रिया– क्या ये दोनों जीवित हैं या नहीं?
नील– नहीं,होटल में दिखने वाला कोई व्यक्ति जीवित नहीं है। यहां कोई नहीं आता है, क्योंकि सबको पता है यहां के बारे में। ये होटल तो खंडहर बन चुका है। जो तुमलोग को दिख रहा है,वो सब तो भ्रम है। यहां तक कि इस होटल का नाम सुनकर ही सभी घबरा जाते हैं।
पता नहीं तुम लोग कैसे आ गए यहां?
तेजस मन ही मन जगजीत को कोस रहा था। उसको जरूर इस होटल के बारे में पता होगा,लेकिन उसने बेवकूफ बनाकर पैसे ऐंठ लिए। दिल्ली जाकर उसको बताता हूं। तभी नील की आवाज़ से वह वर्तमान में लौटा।
निशा धीरे-धीरे आंचल को अपने सांचे में लेने लगी । मीठा-मीठा बोलती। उसने मुझ पे भी डोरे डालने शुरू किए, पर मैं उसकी बातों में नहीं आया । मैंने आंचल को बताने की कोशिश भी की , पर उसको भरोसा ही नहीं हुआ।
होटल में दिन में जो भी तुम लोग को दिखाई देता है, वह सभी यहां की भटकती आत्माएं हैं। उस रात जो घटना घटी, उस समय होटल में रुके सारे लोग अपने– अपने कमरों में दुबके हुए थे और सदा के लिए सो भी गए। इसलिए रात में सन्नाटा छा जाता है और ऊपरी मंजिल पर जो अनावश्यक दीवार दिखती है वह तो बाद में बनी है। वह अंदर से खोखली है। उसके अंदर मेरे और अंकल की लाश को बंद कर के उसे दीवार का शक्ल दे दिया , ताकि किसी को पता नहीं चले।
अब तुम सब सोच रहे होगे कि मैंने होटल में ये सब बात क्यों नहीं बताई तो सुनो। अगर मैं वहां बताता तो वो लोग को पता चल जाता,फिर तुमलोग को नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार हो जाते। चूंकि मैं दिन में बाहर नहीं निकल सकता था,इसलिए काम का बहाना किया और शाम होने का इंतज़ार किया।
नील की इस बात पर प्रिया को ध्यान आया कि वो लोग होटल से शाम को ही बाहर निकले थे और वह नील को देर करने के कारण भला – बुरा भी कह रही थी।
क्रमश……✍️✍️
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Awaiting for what happens at the end…very interesting story👍😢😢