🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Part –9)🌶️🌶️🥵
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गतांक से आगे……✍️✍️
नील की कहानी आगे बढ़ने लगी। मैं दो दिन के लिए किसी काम से बाहर गया हुआ था वापस लौटा तो आंचल मुझे कहीं नजर नहीं आई। वहां से जब निकला था तो मेरी आंचल से बात हुई थी । उस समय उसकी आवाज थोड़ी टेंशन भरी थी। मैंने पूछा भी ,पर वह बात टाल गई और बोला कि आओ तो फिर बात करते हैं ।
पर मैं जब वापस मनाली आया तो आंचल कहीं नजर नहीं आई। मैंने उसे हर जगह ढूंढा पर उसका कहीं पता नहीं चल रहा था। मुझे शुरु से ही निशा पर भरोसा नहीं था । थोड़ा शक तो मुझे था जरूर कि आंचल के गायब होने के पीछे जरूर उसी का हाथ है। जब मैंने उसे सीधे– सीधे पूछ लिया तो उल्टे वो मेरे से ही आकर लड़ने लगी।
मुझे बहुत टेंशन हो रही थी। मेरी बीबी आंचल दो दिन से गायब थी, मैं कहां खोजूं,किससे पूछूं, समझ ही नहीं आ रहा था🤔🤔। होटल के काम पे भी मैं ध्यान नहीं दे पा रहा था। आंचल की जान थी यह होटल। उसके सपने यहां की दीवारों में कैद थे। इसलिए मैं अपना गम भुला कर होटल को देखने लगा । अंकल को भी मैंने नहीं बताया आंचल के बारे में ।
एक दिन मैं अपने केबिन में बैठकर आंचल के बारे में ही सोच रहा था कि कुछ फुसफुसाहट की आवाज आई । मेरा केबिन कॉरिडोर के बगल में ही था। बाहर निकला तो देखा कोई नहीं है। पर मुझे पक्का भरोसा था कि यहां कोई तो था। वापस मुड़ने ही वाला था कि देखा एक ब्रेसलेट नीचे गिरा हुआ है।
उसे देखते ही मेरी चीख निकल गई। अरे! ये तो आंचल का है। हम दोनों ने एक– दूसरे के नाम का ब्रेसलेट पहना हुआ था। होना हो ना हो,आंचल इसी होटल में ही कहीं है। मैं उसे पागलों की तरह ढूंढने लगा । अचानक से मुझे ध्यान आया कि क्यों ना निशा के कमरे की तलाशी ली जाए । उस समय दोनों पति-पत्नी कहीं बाहर गए हुए थे।
अभी तक मैं उन दोनों के कमरे में नहीं गया था। वहां गया तो देखा दरवाजे पे ताला जड़ा हुआ है। मैंने ताला तोड़ दिया। जैसे ही अंदर घुसा एक सड़ी हुई गंध नथुनों में घुसी। लाइट जला कर देखा तो दो– तीन लड़कियां बेहोश पड़ी थी। मैं तो यह देखकर अवाक रह गया। मेरे ही होटल में मेरी नाक के नीचे यहां कौन सा काम चल रहा था? हमें भी नहीं पता।
मैं कमरे में और भी छानबीन करने लगा। वहां पे एक अलमारी रखी हुई थी, जैसे ही उसे खोला मेरे ऊपर आंचल का मृत शरीर गिर गया। उसे देखते ही मेरी आंखें बरस पड़ी। वो बिल्कुल ठंडी थी और ये दुर्गंध उसी के शरीर से आ रही थी। इसका मतलब कि उन लोगों ने उसे पहले ही मार दिया था।
मैंने आव न देखा ताव पलटा ही था कि कुछ लोगों ने मुझे पीछे से पकड़ लिया। बाद में मुझे पता चला कि निशा और उसका पति लड़कियों की खरीद– बिक्री करते थे। मैं जब शहर से बाहर गया हुआ था,तभी यह बात आंचल को पता चली । इसलिए मेरी अनुपस्थिति में ही उसे मौत के घाट उतार दिया। होटल में ये काम हो रहा था,मगर कब और कैसे ?? हम लोगों का भी कभी ध्यान इधर नहीं गया🤔।
मैंने पुलिस में जाने की धमकी दी तो उन लोगों ने मुझे भी मार दिया और बाद में अंकल को भी। हमारी आत्माएं यहां कैद होकर रह गई है। हमारे मरने के बाद उन लोगों ने होटल पे कब्जा कर लिया । हमारे शरीर को तो उसी होटल में ही कैद कर दिया था,इसलिए किसी को पता ही नहीं चल पाया।
लेकिन पाप का घड़ा कभी ना कभी फूटता जरूर है। होटल की आड़ में इन लोगों की लड़कियों की खरीद– बिक्री का काम जारी रहा। मेरी आत्मा उसी होटल में भटक रही थी। एक रात जब सारे लोग अपने कमरों में सो रहे थे, निशा और उसका पति भी, तब होटल में शॉर्ट सर्किट हुआ और आग लग गई। इस अग्नि में सभी स्वाहा हो गए । होटल तो जल गया पर सभी की आत्माएं वहां पे कैद हो गई है।
फिर नील इनलोगों की तरफ देखते हुए बोला कि तुम लोग वहां से जल्दी बाहर निकलो, वरना तुम लोग की भी वही स्थिति होगी जो होटल में रुकने वाले लोगों की हुई थी। इसलिए तो निशा ने मानसी से दोस्ती की थी ताकि उसे अपने जाल में फंसा सके और अपनी दुनिया में ले जा सके। वह होटल तो खंडहर है और जो तुम देख रहे हो,वह सब उन लोगों की माया है।
इसलिए एक पल की भी देरी किए बिना यहां से बाहर निकल जाओ, इतना कहते ही नील और रघुवीर सहाय गायब हो गए। यह सब सुनकर और देख कर सब कांपने लगे और वहीं पे बेहोश हो गए। आंखें खुली तो देखा सब लोग जमीन पे पड़े हुए हैं और सामने एक दोमंजिला खंडहरनुमा घर खड़ा था। इसका मतलब है कि जो हमने देखा वह सब सच है । जान बचाना सबसे ज्यादा जरूरी था ।
वे लोग भागे होटल कि अपना सामान ले जा सके। होटल के अंदर जैसे ही वे लोग घुसे, सबने देखा एक लड़की बैठकर रोए जा रही है। उसका पीठ इन लोगों की तरफ था। सभी को लगा कि यह लड़की हम लोगों की तरह ही फंस गई होगी, इसलिए इसे भी बचा लेते हैं।
प्रिया – मानसी ने उसे पीछे से आवाज दी और होटल से बाहर निकलने को कहा पर उस लड़की ने बिना देखे हुए ही जवाब दिया कि मेरे पति बाहर गए हुए हैं। इसलिए जब तक वो लौट नहीं आयेंगे, मैं यहां से कहीं नहीं जाऊंगी।
एक इंसानियत के नाते तेजस,समीर ने निश्चय किया थोड़ी देर इंतज़ार कर लेते हैं। शाम के 5:00 बज गए ,पर उसका पति अभी तक नहीं आया । वह लड़की उसी तरह से बैठी थी। तभी मानसी के कानों में एक हवा घुसी,मानों कह रही हो– मानसी !कहां जा रही हो मुझे छोड़कर?
हैरत से मानसी इधर-उधर देखने लगी। तभी निशा अचानक प्रकट हुई और मानसी का हाथ पकड़ लिया और उसे घसीटने लगी उसी कॉरिडोर की तरफ। वह चिल्लाने लगी तो तेजस उसे बचाने के लिए दौड़ा। पर उसे काले कपड़े वाले आदमी ने दीवार पर चिपका दिया।
अचानक से सबने देखा कि मानसी के पास पता नहीं कैसी ताकत आ गई। वह निशा से हाथ छुड़ाकर भागी अपने दोस्तों के पास। तेजस भी दीवार से अलग हो गया। फिर सबने देखा कि वही लड़की जो बैठ के रो रही थी , खड़ी हो गई,फिर हॉल में एक आवाज़ गूंजने लगी।
वह आवाज उसी लड़की की थी। तेजस चिल्लाया भी कि तुम भी आ जाओ हमारे साथ। मगर उस लड़की ने हाथ बढ़ाकर मना कर दिया। सब ने देखा कि उसके हाथ में एक ब्रेसलेट झूल रहा था ,जिसपे N लिखा हुआ था और निशा उसे खींचे जा रही थी।
इसका मतलब वह लड़की और कोई नहीं आंचल थी, जो हमें बचाने आई थी । सभी होटल से बाहर निकल गए । बाहर निकलते ही सबने देखा कि होटल में धमाका हुआ और कुछ समय पहले तक जो होटल जगमगाते हुए खड़ा था, अब एक खंडहर में तब्दील हो गया। इतना अंधेरा, इतना डरावना, कितनी सारी कहानियों का कब्रगाह था वह होटल। अच्छी और बुरी कहानियों का संग्रह–होटल नीलांचल का किस्सा खत्म हो गया था।
सब ने एक राहत की सांस ली। जान बची तो लाखों पाए,पर मन में दुःख भी बहुत था,उनके लिए जो बेवजह मारे गए यहां। ठंडी सांस लेते हुए तेजस ने ऊपर देखा तो नीलांचल का बोर्ड अभी भी लगा हुआ था,हां अपने जगह से थोड़ा हिल जरूर गया, पर एक खंडहर पर।
किसी की मेहनत, किसी का प्यार, किसी का अपनापन, किसी का विश्वास, सबपे भारी पड़ गया किसी की नफरत। गलत काम करने का परिणाम बन गई होटल की खंडहरनुमा इमारत ।
समाप्त। स्वरचित✍️✍️
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Very interesting story…👍😢😢