जज़्बात
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चक्रव्यूह
कोर्ट की तारीख
तारीख पे तारीख
मुकदमे आते हैं
आकर फंस जाते हैं
कौन सच्चा ,कौन झूठा
सबूतों के आधार पे होता
आंखों पे पट्टी,हाथ में तराजू
बस न्याय मिल जाए,ये है आरजू
हजारों केस अदालतों में हैं लंबित
कानूनी प्रक्रिया कर देती है भ्रमित
सबूतों का खेल चलता है
वकीलों का दांव पेंच भी खूब होता है
गुनाह करके भी बच के निकल जाना
पैसा खाया है ये समझ लेना
मिडिल क्लास के अपराध जल्द दिख जाते हैं
बड़े आसामियों के कॉलर कहां हाथ आते हैं
तारीख पे तारीख का खेल चलता है
जवानी से बुढ़ापे तक का सफर तय हो जाता है
अदालतों में रामनवमी की छुट्टी होती है
उसी राम के होने का सबूत ये मांगती है
रेप केस के परिणाम आने में कई साल लगते हैं
पर यारों नेता,अभिनेता को तुरंत बेल मिलते हैं
कानूनी दांव पेंच से दो गज की दूरी है बेहतर
न्याय का खेल डालता है जिंदगी पे असर।।
बात कड़वी है,पर सच्चाई के करीब है। एक आम आदमी इसलिए तो इस चक्रव्यूह से भागता है,क्योंकि अगर फंस गया तो समझो इस गलियारे में उलझ गया। तीखी मिर्ची🌶️🌶️के अगले भाग को लेकर मैं फिर आऊंगी✍️✍️ समाज के अनदेखे किस्सो के साथ।।
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Wahhh wahhhh👌👌👇
Kadvi hai pr sachi hai 🥴🥴