🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Last Part)🌶️🌶️🥵
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आज मेरा ब्लॉग एक मूक जानवर को समर्पित है,जिसे कुछ असामाजिक तत्वों ने मौत के मुंह में धकेल दिया।
इंसान किस हद तक नीचे गिर सकता है यह बात एक हथिनी की मौत ने सच साबित कर दी। केरल के मलप्पुरम में एक प्रेग्नेंट हथिनी की मौत ने सबको सकते में डाल दिया है। इंसान को तो छोड़ो जानवर तक भी महफूज नहीं है।सरकारी आंकड़ों के अनुसार केरल शिक्षा के मामले में सबसे आगे है। क्या यहां पर ये सवाल उठाना मुनासिब न समझा जाए कि वैसी शिक्षा किस काम की जो निरीह प्राणियों को भी अपनी ताकत का एहसास कराए या उन्हें अपनी मजाक का केंद्र बनने दे। यहां पर ये बात बिल्कुल खोखली साबित होती है कि शिक्षा और इंसान की मानसिकता का कोई लेना-देना भी है,क्योंकि इसके पहले भी ऐसी घटना केरल में घट चुकी है। शिक्षित राज्य में पहला स्थान पाने के बावजूद ऐसी असंवेदशीलता दिखाना कितना सही है?ये बात गौर करने वाली है।
आखिर उन लोगों को क्या सूझा होगा, जब पटाखों से भरा अनानास उस मासूम को खिला दिया होगा, जिसके परिणाम स्वरुप मुंह में पटाखा फूटा और उसकी मौत हो गई। वो हथिनी खाने की तलाश में गांव में गई थी, जहां यह दिल दहलाने वाली घटना उसके साथ घट गई। पटाखे फूटने से जब उसे असहनीय पीड़ा होने लगी तो वह एक नदी में खड़ी हो गई। 3 दिन तक वह जानवर पानी में खड़ी होकर जिंदगी और मौत से लड़ रही थी। अंत में उसकी मौत हो ही गई।
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लोगों में बहुत आक्रोश है। इसमें संलिप्त लोगों की इंसानियत पर सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं। पूरे देश में इस घटना की चर्चा हो रही है। केरल सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की है।
सोशल मीडिया इस घटना का मुख्य वाहक बना है। चाहे खबर अच्छी हो या बुरी उसे वायरल होने में देर नहीं लगती। सूचना तंत्र की मजबूती के कारण ही तो हम आप इस हृदय विदारक घटना को जान पाते हैं। पूरे देश में इंसानियत पर सवाल उठ रहे हैं चाहे वो बड़े-बड़े सेलिब्रिटी हों या राजनीतिक पार्टियां सभी इस घटना के विरोध में खड़े हो गए हैं।
चलो कम से कम इस बात की तो खुशी होनी चाहिए कि एक मासूम जानवर के support में सक्रिय हो गए हैं और इसकी कड़ी निंदा भी की जा रही है। इस घटना की तह तक जाने के लिए भी आश्वासन दे दिया गया है। देखते हैं आगे भविष्य में कब तक इस घटना का विश्लेषण जारी रहेगा मेरा मतलब यह है कि न्याय की समय- सीमा कहां तक होगी देखते हैं?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि हम मजाक में ऐसे अंधे हो जाते हैं कि किसी की जिंदगी मौत का भी ख्याल नहीं रख सकते। बेचारी वो भूखी- प्यासी हथिनी, जिसके पेट में एक और जिंदगी पल रही थी,थोड़ा – सा भी उन लोगों ने विचार नहीं किया कि उस विस्फोटक फल
के खाने से उस पर क्या गुजरेगी? अपने मनोरंजन के लिए ऐसी घटिया हरकत करना कहां तक सही है? वैसे एक बड़ी और कड़वी सच्चाई यह भी है कि जब इंसान इंसान के जीवन का मोल नहीं रखता तो एक जानवर के बारे में खाक सोचेगा?
कहीं- ना- कहीं हम इंसानों की आधुनिकता की आंधी में ये मूक जानवर बहे जा रहे हैं। हमारी गलतियों की सजा इन जानवरों को मिल रही है। आए दिन जानवरों के मरने की खबरें आती रहती हैं। जंगलों के नष्ट हो जाने से जानवरों के खाने- पीने की उचित व्यवस्था नहीं हो पाती है। नतीजा क्या होता है,वे गांवों – शहरों की तरफ रुख करते हैं,जहां पर इंसानों के बीच फंसकर इनकी बलि दे दी जाती है। सफाई में कहा जाता है कि अमुक जानवर तांडव मचा रहा था इसलिए उसे मार दिया गया। ये हथिनी भी तो भूखी – प्यासी ही गांव की तरफ रुख की थी।
इस घटना में एक सकारात्मक चीज यह उभर कर आई है कि देश के कोने-कोने से हाथी को इंसाफ दिलाने की मांग जोर पकड़ ली है। शायद राजनीतिक प्रक्रिया में तेजी हो और एक मासूम को इंसाफ मिले,ऐसी कवायद लगाई जा रही है। इसके साथ-साथ ये चीज भी होनी चाहिए कि आगे भविष्य में ऐसी घटना ना घटित हो। “जीयो और जीने दो” ये बात जानवरों पर भी लागू हो, ऐसी कोशिश होनी चाहिए।
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Haal me ghati is ghatna ne man ko kafi jhakjhor diya…ye insaan ke rup me chupe jaanwar hai…
यही बात तो हमारे समाज की कड़वी सच्चाई है..जहाँ भगवन गणेश की पूजा होती है वहीँ हाथियों की हत्या भी की जाती है…बेहद दुःख के साथ कहना पड़ रहा है की हम भी इसी समाज का ही एक हिस्सा हैं…
Bahut hi aswendansil ghatna hai..manushya jo iss sansar ka Bhagwan jaisa ho sakta hai pr iss ghatna se yahi pta chalta hai ki manushya me haiwanyaat kaab sawar ho jaye pta nhi..
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