मनाली की वो रातें😳😱😳😱(Part –3)
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वक्त का यह दौर भी थम जाएगा
सहचर का साथ हो तो हर मुश्किलों का हल निकल जाएगा
क्षितिज के गर्भ से निकलती सूरज की किरणें
हौसलों की उड़ान को चुपके से आई है कहने
जीवन की परेशानियों से दिल कुहक उठता है
कैसे आएंगी खुशियां, सोचकर ही दिल जीता- मरता है
रोज सुबह उठकर पति का ऑफिस के लिए भागना
साथ ही साथ पत्नी का भी अलार्म घड़ी से जग जाना
फिर पूरे दिन- भर होती है दोनों की भागमभाग
तभी तो मिडिल- क्लास के माथे पे सजता है संघर्ष का ताज
दुख़- सुख खेलते हैं हर समय आंख- मिचोली
लगता है जैसे ठंड के मौसम में बादलों ने कोहरे की झीनी चादर ओढ़ ली
हर दिन सफेद पृष्ठ के कागज पर उकेरी जाती है महीने की खर्चावली
कब किस समय कटौती करना है यही सोच मन में सिलसिलेवार बैठा ली
वक्त का यह दौर भी थम जाएगा
परीक्षाओं का यह दौर भी गुजर जाएगा
खर्चे कटौती करते- करते रह जाते हैं आधे- अधूरे सपने
अंतर्नाद होते रहते हैं मन के कोने- कोने
तिनका- तिनका जोड़ते जिंदगी बीत जाती है
दूर कहीं ढलती सूरज की लालिमा नजर आती है
दिन भागता है रातें भागती हैं
भागमभाग जिंदगी में एक अदद सुकून की तलाश रहती है
कभी बच्चों की पढ़ाई के खर्चे, तो कभी मकान का किराया
महीने खत्म होने से पहले ही कम पड़ जाते हैं पैसे
अपनी इच्छाओं का गला घोंटते कटती रहती है जिंदगी जैसे- तैसे
मिडिल क्लास पर ही पड़ती है महंगाई की मार
पर हौसले और संघर्ष से ये लोग करते हैं हर मुसीबतों को पार
वक्त का यह दौर भी थम जाएगा
हमारे भी दिन बहुरेंगे,ये आस मन में आता रहेगा
दिनभर ऑफिस में मेहनत करके बच्चों की ख्वाहिश पूरी करते हैं
शायद भविष्य में यह काम पूरा हो जाए,सोच के अपनी जरूरतें कल पे टालते हैं
बड़े – बड़े शॉपिंग मॉल में जाने की नहीं है औकात
रेस्टोरेंट में महीने में एक बार खाना भी हो जाती है बड़ी बात
बड़ी-बड़ी गाड़ियों को हसरत निगाहों से देख कर सेकंड हैंड से चलाते हैं काम
कौन सा खर्चा कहां पे काटें ये है मिडिल क्लास का काम
E M I देता है हम जैसे लोगों को उड़ने के लिए पंख
बंगला ना सही चारदीवारी की छत ही हो अपनी, जाने ऐसी कितनी जरूरतें हैं असंख्य
जाने कितने त्योहार बीत जाते हैं यूंही नए कपड़ों के
ऐसी खस्ता- हालत पर कभी कहीं किसी कोने में दो बूंद आंसू हैं टपके
जब कभी जीवन के झंझावतों से मन थक जाता है
अपनी बेबसी, अपनी खस्ताहाल पर रोना आ जाता है
पर भईया हम हैं मिडिल क्लास के लोग
थकते – थकते फिर संघर्षरत हो जाते हैं यही है हमारे सबसे बड़े रोग
अपनों का साथ ही है हमारी सबसे बड़ी पूंजी
धन दौलत तो है एक तरफ रिश्ते ही हैं हमारी ताकत की कुंजी
वक्त का यह दौर भी थम जाएगा
एक ना एक दिन हमारे सपनों में भी उछाल आएगा।।
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Bahut hi shaandar likha hai aapne….
Ek middle class ke pariwaar ki dil ki saari baatein likh di aapne…
👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👍👍👍👍
Bahut badiyan
Bilkul correct likha hai aapne…👌👌👌
Very strongly wrote about the pain of all the middle class families….superb..👍👍
Middle class.. bahut kam log samjhte hai inka dard or sthiti..thanks for writing
nice .. bahut khub likha hai aapne..