ये कहानी कोई गल्प नहीं है,बल्कि किसी के भी जीवन में ये घटना घट सकती है। नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करें और वास्तविकता को परखें।
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हम – आप तो बस रस्सी से बंधे वैसे जीव हैं,जिसकी डोर किसी और के हाथों में है ।मेरा मतलब है कि मदारी तो कोई और नहीं एक ईश्वर ही है। हमें तो बस इतना ही करना है कि हौसला ना तोड़ें।सुख और दुख दोनों उसी के हाथ में हैं।जब – जब जो होना है,तब – तब वो होकर रहेगा।हमें तो बस उसके इशारे पर चलना है। वास्तविकता और काल्पनिकता में बहुत फर्क होता है। पर काल्पनिकता भी तो हमारे सोच का आईना ही है,जिसमें हमारे दिल से निकले उदगार नजर आते हैं। आप ये कहानी जरूर पढ़ेें और आत्म विश्लेषण करेें जीवन की सच्चाई का।