पवित्र संयोग 

15 . 8 . 19 ——–ठीक एक साल पहले मैंने अपना पहला ब्लॉग लिखा था | मेरे ब्लॉग का पहला आधार रक्षाबंधन था | भाई -बहनों का पर्व ——सबसे पवित्र रिश्ता |
                                                                  आज मैं अपने ब्लॉग की वर्षगांठ मना रही हूँ | विचारों के तूफ़ान मन में उमड़ते – घुमड़ते रहते हैं लेखनी का रूप देने के लिए | मेरे ब्लॉग के लिए इससे अच्छा दिन और क्या हो सकता है ,जब हम आजादी की वर्षगाँठ और रक्षाबंधन साथ -साथ मनाएं
 

                                                              आजादी के बारे में क्या कहा जाए ,उसके  सामने हर शब्द छोटे पड़ जाते हैं | हमारा अस्तित्व ही है आजादी | अपने देश की आजादी ,अपने मन की आजादी ,हमारे अधिकार की आजादी ……. इससे बढ़कर कुछ नहीं | इतने साल तक गुलामी की जंजीरों में जकड़े रहकर जो अपमान हमने सहे हैं ——उसका सुखद परिणाम है आजादी | दासता क्या होती है इस दर्द को बयां नहीं किया जा सकता | अपना सब कुछ किसी और के हवाले होता है | ना अपना कानून और ना अपने अधिकार | दासता का दर्द उन आँखों  से पूछिए जिन्होंने इसे सहा है | क्या औरतें क्या बच्चे सभी पर ऐसे ऐसे जुल्म हुए हैं ,जिसे सुनकर रोम -रोम सिहर उठता है |

                                                                                      पर जिस तरह से हर रात की सुबह होती है ,उस तरह से हमारे देश ने भी अपनी गुलामी की जंजीरों को तोड़ डाला | जाने कितनी जिंदगियाँ इस आजादी को पाने में तबाह हो गयीं | मुसीबतें आती गयीं पर आजादी के मतवाले नहीं रुके | औरते, बूढ़े ,बच्चे सभी देश -प्रेम की आग में कूद पड़े|  हमारा इतिहास तो ऐसे लोगों से भरा पड़ा है ,जिन्होने अपनी जान की बाजी लगा दी |

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                                                          हमारे सामने तो आजादी परोसी गयी है | हमने वैसा  दिन नहीं देखा है ,जैसा हमारे वीरों ने झेला है | हम तो आजादी का रसपान कर रहे हैं |

                                                                             वैसे आजादी की परिभाषा क्या है ——————–     किसी भी प्रकार के दबाव से मुक्त होकर मनुष्यता के उच्च शिखर की ओर बढ़ने के अवसर का नाम है “आजादी “| 

क्या हम आजाद है ? ये प्रश्न जरा अपने आप से पूछिए | 

ये नहीं कि 15 अगस्त के दिन झंडा फहरा लिए ,देशभक्ति गीत गा लिए —-हो गयी हमारी आजादी मनाने की औपचारिकता पूरी | आजादी का एहसास क्या ऊपर से लादा जा सकता  है या कोई इंजेक्शन देकर स्वंत्रता के एहसास को पैदा किया जा सकता है ? ऐसा नहीं है | आजादी तो आत्मानुभव है | 


                                                              समाज का हर वर्ग इस आजादी में शामिल थोड़े ही न होता है | वैसे भी भारत दो हिस्सों में बंटा है…. “अमीरी और गरीबी | आजादी क्या होती है ,इन अमीरों से पूछिए | वे इसका शाब्दिक अर्थ बताएँगे | पर जरा यही सवाल कूड़े वाले से , मजदूरों से पूछिए तो वे लोग बोलेंगे कि हमारे लिए तो हर दिन एक जैसा ही होता है | 15 अगस्त के दिन वे लोग थोड़े ही न अपना काम बंद कर देते हैं | उनकी दिनचर्या तो हर दिन एक जैसी ही होती है | मजा तो तब आये जब समाज का हरेक वर्ग आजादी के जश्न में शामिल हो | उसके अर्थ को समझे | उसका महत्व जाने | 
                                                                         उन लोगों को छोड़िये ,हम आप इस दिन क्या करते हैं | टीवी के सामने बैठ गए ,मिठाई खा लिए ,देशभक्ति की धुन सुन लिए –बस हो गया आजादी का जश्न | 


                                                     
 आजादी तो हमें हर चीज में चाहिए | आज हम अपनों के ही गुलाम बने हुए हैं | इसका एक छोटा सा उदहारण ही ले लीजिये | आज भी ऐसे कितने मंदिर हैं ,जहाँ दलित प्रवेश नहीं कर सकते | छुआछूत ,जात -पात हमारे बंधन बने हुए हैं | औरतें कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं | जब देश के कर्णधार हमारे बच्चे तक सुरक्षित नहीं हैं तो फिर और क्या कहा जा सकता है | लोगों की मानसिक संकीर्णता आजादी का पर्याय बनने तक पहुँच गयी |

क्या स्वतंत्र भारत के इसी भविष्य का सपना देखा था उन हजारों -लाखों लोगों ने ,जो देश पर कुर्बान हो गए | ऐसे बहुत सारे प्रश्न हैं ,जो इस आजादी के बिच कहीं खो से गए हैं | लोगों की संकीर्ण मानसिकता ने आजादी  को ही उलझा दिया है | 

                                                                         अगर हम आजाद भारत का सपना सही तरीके से देखना चाहते हैं ,तो इन जड़तावादी विचारों से ऊपर उठना होगा ,तभी हम कल के नए भारत की परिकल्पना कर पाएंगे | 

कैद में बुलबुल थी ,पंखविहीन जिसकी जिन्दगी,
चारों तरफ हाहाकार मचा था, 
वजूद भी कोई ऐसा होता है, 
गुलामी की बेड़ियों ने मन को झकझोर दिया, 
न कोई अपना था ,न कोई गैर,
क्रांतिकारियों ने लड़ाई का बिगुल बजाया, 
पूरा देश अपने अस्तित्व को जगाने में लग गया, 
क्या छोटे क्या बड़े ये आग सबके अंदर लग गयी, 
आखिर अनगिनत लाशें गिराकर अंत में हमें हमारी आजादी मिल ही गयी, 
आजादी का रूप तो देखो, 
कल अंग्रेजों ने गुलाम बनाया था ,आज अपनों की बेड़ियाँ पैरों में जकड गयी, 
गुलाम कल भी थे ,गुलाम आज भी हैं, 
जात -पात ,ऊँच -नीच ,महिलाओं पर अत्याचार ,गरीबों की बेबसी -क्या इसी नए भारत का सपना देखा गया,
आजाद भारत क्या सच में आजाद हो पाया,
देश को जकड़े हुए है गरीबी और भर्ष्टाचार,
फिर भी हम मनाते है आजादी का त्यौहार | | 

               राखी (रिश्ते का अटूट बंधन और बिश्वास ) 

अब जरा इस शुभ दिन के एक और त्यौहार की बात कर ली जाए | हाँ ,ये बात करना कोई औपचारिकता नहीं बल्कि मेरी भावनाएं हैं ,जो मैं सबके सामने लाना चाहती हूँ | रक्षाबंधन –मतलब बहनें भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं | अगर देखा जाए तो सबसे पवित्र और निश्छल रिश्ता है भाई -बहन का | 

                                                मेरे लिए तो ये रिश्ता इतना महत्वपूर्ण है कि मैंने अपनी लेखनी की शुरुआत भी इसी से की थी | 
                                         ये जरुरी नहीं है कि केवल बहनें ही भाई को राखी बांधे | आप इतिहास उठाकर देखिये तो राजा -महाराजाओं के समय में आक्रमण होता था तो रानियां राखी भेजकर दूसरे राज्यों से रक्षा का वचन लेती थीं | देश की रक्षा,पर्यावरण की रक्षा ,हितों की रक्षा आदि के लिए भी राखी बाँधी जाती है | 


                             मूल रूप से राखी के धागों में परस्पर एक -दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना निहित है | 

                              समय के साथ -साथ राखी ने भी आधुनिक रूप ले लिया है | पहले राखी धागों की होती थी ,तो अब डिजाइनर राखी आने लगी है | बड़ों  के लिए अलग राखी तो बच्चों के लिए अलग | पर जो भी हो इसके मूल में तो भाई -बहन का प्रेम ही होता है | 
                                     जब भाई -बहन छोटे -छोटे होते हैं ,तो राखी का मजा ही कुछ और होता है | लड़ना -झगड़ना ,रूठना -मनाना –ये सब जिंदगी को और खुशनुमा बना देते हैं | 
                                                                               पर शादी के बाद तो बात कुछ और ही हो जाती है | उस समय ये संभव नहीं हो पाता है कि हर रक्षाबंधन पर भाई -बहन आपस में मिले ही | बहन की सूनी आँखों में अपने भाई का इन्तजार कभी ख़तम नहीं हो पाता है | बचपन की वो सब भूली -बिसरी यादें उसकी आँखों के सामने चलचित्र की भांति घूमने लगते हैं | बस ये होता है कि राखी डाक के द्वारा भेज दो या ऑनलाइन | मतलब  सिर्फ भेजने से है ,अपने हाथों से बाँधने का नहीं | 
                                             लेकिन इसके लिए क्या किया जा सकता है ? बहनों के पास जैसी दुविधा होती है भाई भी इससे अछूते नहीं रह पाते हैं | अपनी -अपनी जिम्मेवारियों को पूरा करते करते शायद अपने रिश्ते के आसमान को बादलों की छावं से ढक देते हैं | 
                                          पर इनका प्यार कम नहीं होता है | बहनें जहाँ भी होती हैं ,भाई के सलामती की दुआ हर समय मांगती हैं | 
                                                           और लोगों का तो मैं नहीं जानती ,पर मैं अपने भाइयों को इस दिन इतना याद करती हूँ कि उसे बता नहीं सकती | वैसे कोई एक दिन मेरे भाई की याद को बांध नहीं सकता |                             
लेकिन क्या किया जा सकता है ? मजबूर हम भी हैं ,मजबूर वो भी है | बचपन के दिन सबसे अच्छे होते हैं | हर तरह की चिंताओं से मुक्त | बहनों का अपने भाइयों से लाड लगाना भाइयों का अपनी बहनों को चिढ़ाना | ऐसे खुशनुमा क्षण बड़े होने पर कहाँ आते हैं | बड़े होने पर तो राखी लगता है औपचारिकता ही बनकर रह गयी है | 



                                    नई -नई टेक्नोलॉजी ने इस त्यौहार को और आसान बना दिया है | अब देश क्या बिदेश के किसी भी कोने में रहिये बहन की राखी और बहन के लिए गिफ्ट हर जगह पहुँच जायेगी | वैसे दूर बसे भाई -बहनों के लिए ये आसान बन गया है | हम किसी के मनोभाव को कम करके नहीं देख सकते | इ-कॉमर्स साइट देश -बिदेश में बेस भाई -बहनों के पास राखी पहुंचाती है | पहले डाक से राखी भेजने पर राखी के साथ -साथ बहन की चिठ्ठी होती टी ,जिसे भाई पढ़ने के लिए बेताब रहते थे अब जमाना आधुनिक हो गया है | जो काम सरल रूप से हो जाता है ,उसके लिए क्यों पापड़ बेले | 
                                                                      खैर  राखी डाक से जाए या  ऑनलाइन ,भाई बहनों की feelings को कम नहीं कर सकती | बहनें तो हमेशा अपने भाइयों की सलामती चाहेगी और भाई उन्हें हमेशा रक्षा का वचन देंगे | 
                          आज के इस शुभ दिन पर जब सारे देशवासी आजादी और राखी साथ -साथ मनाएंगे ,इससे बढ़कर कोई ख़ुशी नहीं हो सकती | 
                    मेरी तरफ से सारे देशवासियों को आजादी की शुभकामनायें और सभी भाई -बहनों को राखी मुबारक | 



                   खुशियों के ढेर से कुछ नग्में चुरा लाई 
                आजादी और राखी की लख -लख बधाई | | 

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