🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Last Part)🌶️🌶️🥵
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देश में हलचल मची हुई थी।डॉक्टर साहब तो झल्ला रहे थे,पता नहीं दिन पहले की तरह कब बहुरेंगे।इस छोटे से वायरस ने तो नाक में दम कर दिया है।जिसको देखो वही एक – दूसरे से भाग रहा है।ऐसे अलगाव लोगों के बीच में कम हो रहे थे, जो इस कोरोना के प्रताप ने चहुं ओर फैला दिया है।हर कोई चेहरे पे नकाब लगाकर घूम रहा है।अंग्रेजों की संस्कृति अपनाई थी हाथ मिलाने की ,वो भी भारी पड़ गई।क्या करें भाई! अपने देशी नुस्खों से ही राम – राम करते हैं।कम – से कम इसी बहाने विदेशी अभिवादन से दूरी तो बनेगी।अब देखिए न फिल्मी सितारों के award function में चले जाइए,अपनी हिरोइनों के पहनावे को देखकर लगता नहीं है कि अपने देश की संस्कृति को ओढ़ी हुई हैं।पहनावे से लेकर बोलने के तरीके भी बदल जाते हैं।आपस में मिलेंगी तो गाल से गाल सटाकर अभिवादन करती हैं।अब आज के हालात को देखते हुए कम से कम नमस्कार की मुद्रा तो बनेगी। जय हो कोरोना मईया की।क्या तांडव मचाया है,सबकी जिंदगी ही घूम गई है।
अपने डर से लोगों को घर के अंदर कर दिया है।नाम से ही कंप – कंपी छूट जाती है कि कहीं हमारे अंदर भी कोरोना के लक्षण ना दिखने लगे।ऐसी थरथराहट तो कड़ाके की ठंड में फुटपाथ पर बिना कम्बल ओढ़े उन लोगों को भी नहीं आती होगी। कोरोना तो हंस- हंस कर पागल हो रहा था। अब तो पूरे देश पर मेरा एकछत्र राज्य होगा। जब भ्रष्टाचारी देश को दीमक की तरह चाट रहे हैं तो मैं क्यों पीछे रहूं। इनका तो हमेशा का यही काम है। कम- से- कम मैं अपने नियत चक्र में ही लोगों को परेशान कर रहा हूं। यही सब मंथन चल रहा था कोरोनाजी के दिमाग में। इधर कुछ दिन से कोरोना जी बहुत चिंतित दिखाई दे रहे थे। पता नहीं किस घुसपैठिए ने लोगों के दिमाग में बचाव के बीज डाल दिए कि 24 घंटे से 48 घंटे तक ही मेरी जिंदगी है। जरूर यह काम नेपाल या पाकिस्तान का ही हो सकता है।या अपना विभीषण भी कम थोड़े ही है।लगता है इन सब की चोचलें बाजी से अपना पत्ता कटने वाला है। लोग बाहर से सामान लाकर यूं ही 2 दिन तक छोड़ देते हैं। कोरोना लाल तो सोचकर ही पागल हो रहा है कि आखिर देश में लोग इतने जागरूक कैसे हो गए हैं।अगर इतना ही जागरूक होते तो देश के नेता जनता को उल्लू ना बनाते। चलो कोरोना के डर से ही सही देश में बदलाव तो हो रहा है। यह सब सोचकर वह अट्टहास कर उठा।
पर उसकी हंसी ज्यादा दिन टिकने वाली नहीं थी। एकता भी तो कुछ होती है। भाई अब अंग्रेजों के समय का तो भारत है नहीं की “फूट डालो और राज करो” की नीति शामिल हो।
लोग तो मुझे भगाने पर ही उतावले हो रहे हैं। ऐसे ही एक दिन सीना ठोक के कोरोना सिंह शहर में चहलकदमी कर रहा था कि तभी रिक्शे से निकलते भोंपू की आवाज ने उसके कान खड़े कर दिए🤔🤔। अच्छा तो यह बात है मुझे भगाने की तैयारी की जा रही है। पता चला कि बाबा लंपट लाल ने यह दावा किया है कि वह कोविड-19 की वैक्सीन बना चुके हैं। मेरा मतलब है उनकी जबान में जड़ी – बूटी से बनी देशी गोली। देश में ऐसे भी बाबाओं के दावे की कोई कमी नहीं है। अब बाबा जी हैं तो उनके दावे भी प्राकृतिक ही होंगे। अरे भाई! यह चमत्कार कैसे हो गया? दुनिया भर के डॉक्टर,रिसर्च सेंटर का क्या हुआ? सभी के प्रयास बाबा के नुस्खे के आगे दब गए क्या?
नियत समय पर प्रतियोगिता शुरू होने वाली थी। डॉक्टर, वैज्ञानिक सभी अपनी- अपनी खोजों को दिखाने में लगे हुए थे। पर सब ने माथा हाथ रख लिया। लगता है हमारी खोज चूहों तक ही सीमित रहेगी क्या? एक कोने में खड़ा होकर कोरोना सिंह सबकी गतिविधियों का अवलोकन कर रहा था। मन ही मन उनकी हार से उसे बड़ी खुशी हो रही थी।पर मन में एक अनजाना डर समाया हुआ था। अरे अपने बाबा जी कहां गए? तभी भोपू से आवाज निकली कि बाबा लंपट लाल जंगल गए हुए हैं कुछ जड़ी बूटियां लाने। अब इतनी बड़ी समस्या के समाधान में लगे हुए हैं तो समय तो लगेगा ही। धैर्य तो रखना ही होगा। यही काम तो नहीं होता है सबसे।हर चीज चुटकी में चाहिए।
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लोगों की बेचैन आंखें भी टकटकी लगाए हुए थी। दूर से बाबा जी आते हुए दिखे। अधरों पे विजयी मुस्कान लिए हुए मैदान पे कूद पड़े।सामने कोरोना के एक मरीज को लाया गया। तुरंत ही अपने थैले से जड़ी बूटी का एक डिब्बा निकाला और उसे खिला दिया। सभी सन्नाटे में आ गए।पता नहीं आगे क्या होने वाला है।बाबाजी जीतेंगे या यूं ही फुस्स हो जाएंगे। प्रतियोगिता एक हफ्ते तक चलने वाली थी। शिविर का पूरा इंतजाम किया गया था। कोरोना के मद में सरकार जब इतने पैसे खर्च कर सकती है तो क्या उसकी वैक्सीन को बनाने में मदद नहीं करेगी।
बाबाजी तो आश्वस्त थे मेरा नुस्खा तो काम करेगा ही। डॉक्टर, वैज्ञानिक तो एक तरफ मुंह लटका कर बैठे हुए थे। यह खुशी उन लोगों को नहीं हो रही थी कि चलो किसी ने तो कोरोना को मात दिया। इनकी स्थिति बिल्कुल विपक्षी पार्टियों जैसी हो रही थी, कुछ तो करेंगे नहीं पर सरकार की नीति देश हित में भी होगी तो उंगली जरूर उठाएंगे।वैसे ये इंसानी फितरत होती है कि दूसरे की सफलता हमेशा आंखों में खटकते है।
छोड़ो, टीका- टिप्पणियों का दौर तो चलता ही रहेगा। देखते हैं कोरोनामरीज की क्या स्थिति है। लक्षण तो समाप्त हो रहे हैं। इसका मतलब है बाबा जी की गोली काम कर रही है। चारों तरफ से हो हल्ला होने लगा। बाबाजी छाती चौड़ी करके सबसे ऊंचे पायदान पर खड़े थे। आखिर उनकी गोली काम कर ही गई।उन जड़ी-बूटियों में ऐसा क्या है जो अंग्रेजी दवाओं पर भारी पड़ गया ।
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बाबा जी की जीत को देखकर कोरोना सिंह तो अपने साम्राज्य को समेटने में लग गया। बाबा जी के देशी नुस्खे का नाम रखा गया– हरितवती।शान से बाबाजी प्रतियोगिता जीत के जा रहे थे। पर कहीं ना कहीं कोरोना सिंह के दिमाग में कुछ फितूर की बातें भी चल रही थी कि कुछ तो गड़बड़ है। इतिहास गवाह है कि देश के कितने बाबाओं ने लोगों की विश्वास के साथ खेला है। इतनी बड़ी समस्या का समाधान हो जाए और धांधली ना हो ऐसा कभी हो सकता है क्या? देश की व्यवस्था पर तो शुरु से ही रंज था उसे। आनन-फानन में लिए गए निर्णय उसकी सोच से बाहर हो रहे थे।अगर ऐसी बात नहीं होती तो देश में मेरे नाम को लेकर रोटी नहीं सेंकी जाती या व्यवस्थाओं पर उंगली नहीं उठती।
। 10 दिन के बाद शोर – शराबों के बीच में पता चला कि बाबा लंपतलाल तो शहर छोड़ के भाग गए।साथ में उनकी हरितवटी भी गोलमाल साबित हुई।अब हमारी न्याय व्यवस्था में इतनी तेजी तो है नहीं कि पूरी छानबीन करके तुरंत बता दे कि आखिर कोरोना मरीज ठीक कैसे होने लगा था।तभी तो निर्भया कांड को इतने साल लग गए सजा मिलने में।
अब हंसना नहीं भाई।अपने देश के लोगों की ही बात है।बाहर सुनेंगे तो सब ठीकरा लगाएंगे कि इतने sensible समय में भी इनलोगों को फरेब ही दिमाग में चल रहा है।अपने डॉक्टर साहब हैं ना ,लगे हुए हैं रिसर्च करने में जल्द ही वैक्सीन निकाल ही लेंगे।तब तक कोरोना जी ने चैन की चादर ओढ़ ली मुस्कुराते हुए।बाबाजी की गोली आखिर में फुस्स हो ही गई।
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Wah kya baat hai
Sahi kha aaaapne
Baba Ji ki Goli….HaHAHAHAHAHA…..😂🤣😂🤣😂🤣😂🤣
Bahut badhiya…..😃😃😃😃👌👏
Bahot acha…..
👌👌👌