THE SECOND BIRTH OF MY LIFE———–“MOTHER”

     “माँ “एक ऐसा शब्द है ,जिसमे पूरी दुनिया  समाहित है | कहा जाता है कि  भगवान् हर किसी के साथ हर समय  नहीं रह सकते | इसीलिए उन्होंने “माँ ” को भेजा| ये वो बगिया है ,जिसके गोद में जाने  कितने फूल खिलते हैं |
                                        आज मदर्स डे है | वैसे तो हर साल यह दिन आता है | सबसे मुख्या बात यह  है कि “माँ “किसी दिन की मोहताज नहीं होती | फिर भी चलो अगर किसी एक दिन “माँ” को समर्पित कर दिया जाए तो ,इससे बड़ी खुशी किसी “माँ” के लिए और क्या होगी |

                                                                    2019 का ये मदर्स डे मेरे लिए इतना महत्वपूर्ण है ,जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता | मेरे बरसों की तपस्या का फल मेरी बेटी के रूप में मुझे मिला | इतने साल तक मैंने इस दिन को अपनी माँ  की नजर से देखा और महसूस किया | इतने साल तक किस्मत ने मुझे इस शब्द की अनुभूति से दूर रखा था | पर कोई बात नहीं ,मुझे इस बात का रंज भी नहीं रहा ,क्यूंकि उपहार में मेरी बेटी जो मुझे मिली| नौ महीने के एक -एक पल को मैंने शिद्दत से जिया और महसूस किया|
                                                 

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                                                                           जाने कितनी औरतों को मैं उनके बच्चों के साथ देखा करती | जब वे बच्चे उन्हें “माँ” कहकर बुलाते तो दिल में एक कसक सी उठती थी | कहने को तो बहुत सारे बच्चे आपको प्यार देते होंगे | पर ये जो प्यार है ,उसकी तुलना किसी और प्यार से नहीं की जा सकती है
                                                           जब किसी लड़की की शादी होती है ,तो उसकी सम्पूर्णता उसके माँ बनने में होती है | जाने कितने साल मैंने घुट -घुट कर निकाला | खुद हंसती थी और साथ में परिवार को भी हंसाती  थी | पर जो अंतर्द्वंद मेरे मन में चलता था ,उसे मैं चाहकर भी अपने चेहरे पे नहीं ला पाती थी | मैं नहीं चाहती थी कि कोई मुझसे  सहानुभूति रखकर मुझ पर दया दिखाए | कहीं से लोरी सुन ली या कोई बच्चे का गाना सुन लिया ,तो मेरा मन भी रो पड़ता था | आखिर हूँ तो मैं एक इंसान ही | मुझे भी लगता था कोई मुझे ” माँ” बुलाये | मेरी गोद में खेले | उसके सर पे मैं अपना हाथ रखूं ,सहलाऊँ ,प्यार करूँ | एक माँ के दिल की स्पंदन उसके बच्चा से ही होकर गुजरती है | पर क्या करती ,ये खुशी मेरे लिए अभी तक अनजान थी |

                                                            आखिर कब तक किस्मत मुझे यूँ ही रुलाती | उसने मुझ पर भी अपना रहम बरसा और मुझे सम्पूर्ण किया | मैं भी एक बच्चे की माँ बन गयी | अब मैं भी “माँ” शब्द को महसूस कर  रही हूँ | मेरी किस्मत तो इतनी मेहरबान निकली कि मैं एक बेटी की माँ बनी | कई सालों की प्रतीक्षा का फल मुझे मेरी बेटी के रूप में मुझे मिला |

                                                आज मदर्स डे के अवसर पे लिखने को मैं अपने आप को रोक नहीं पाई |  मैं चाहती हूँ कि  जो  तरंगे मेरे मन में  हिलोरें   ले रही हैं ,वे सभी माएँ ,जो इस सुख से अनजान हैं ,वो अपना भरोसा नहीं खोये और आने वाली ख़ुशी का इंतज़ार करें | मेरे लिखने की मुख्य वजह भी यही है | इतने सालों तक मैंने मदर्स डे को अपनी माँ के लिए समर्पित किया था ,पर आज मैं इसे अपने आप को भी समर्पित करती हूँ | मेरी बेटी के नन्हे स्पर्श जब मुझे छूते हैं तो दिल बाग़ -बाग़ हो उठता है | इस ख़ुशी की कोई कीमत नहीं है | अब तो उसकी आँखों में मेरे सपने तैरते हैं | मेरी बेटी के रूप में मेरा अक्स मुझे मिल गया |

                               एक बार फिर मेरी ओर से सभी माओं को “HAPPY MOTHER’S DAY”

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