“इंतज़ार “– इस शब्द को क्या कहें –शुरुआत या खत्म |

                                         
  अगर इसे सकारात्मक रूप में लेते हैं ,तो “शुरुआत ” और नकारात्मक रूप में लेते हैं तो “कभी न खत्म होने वाली  शुरुआत “
                                                                      इंतज़ार हर इंसान के जीवन में होता है | जीवन के एक -एक पल में यह अन्तर्निहित है | अलग -अलग लोगों का अलग -अलग तरह का इंतज़ार |
                                             

                                                          यहाँ मैं उस इंतज़ार की बात कर रही हूँ ,जो मेरे लिखने की मुख्य वजह है | मेरी कहानी एक ऐसी लड़की के इर्द -गिर्द घूमती है ,जिसका नाम मुस्कान (काल्पनिक )है |

“मुस्कान के इंतज़ार की कहानी “| उसकी शादी एक ऐसे लड़के से हुई ,जो उसे बेहद प्यार करता था | बहुत सारे सपने थे दोनों की आँखों में | पर उस समय थोड़े न पता था कि सपने” इंतज़ार ” में समाये हुए थे | अपनी जिंदगी में मुस्कान को हर चीज़ का” इंतज़ार” करना पड़ा था |
                                           वैसे तो पति ने उसकी इच्छाओं ,उसके सपनों का हमेशा मान रखा | हर परिस्थिति का दोनों ने मिलकर सामना किया | पर जो चीज़ अपने हाथ में ना हो ,उसका कैसे सामना किया जाए |

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शादी के बाद किसी भी दम्पति का यही सपना होता है कि उसका परिवार पूरा हो | उसके घर में भी बच्चों की किलकारियां गूँजें |
                                          बस यही इंतज़ार तो उस लड़की की आँखों में समाया हुआ था | ये नहीं की वो गर्भवती (pregnant )नहीं हुई थी | हुई थी पर दो महीने के बाद ही गर्भपात (miscarriage )हो गया |
                                            फिर तो सिलसिला चल पड़ा डॉक्टरों  के पास चक्कर लगाने में | साल -दर -साल गुजरते चले गए और बढ़ता गया ——“ना ख़त्म होने वाला इंतज़ार “| पति ने हर परिस्थिति में उसका साथ दिया ,क्यूंकि” इंतज़ार “का दर्द तो दोनों सह रहे थे |

अब दोनों ने मिलकर बच्चा गोद (adoption )लेने का फैसला किया | इतना सब होने के बावजूद मुस्कान की आँखों में इंतज़ार तोड़ने के सपने तैर रहे थे | निराशा की एक भी किरण उस पे हावी नहीं हो पायी थी | पर “इंतज़ार” यहीं पे खत्म  नहीं हुआ था ,क्यूंकि बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया बहुत लम्बी चलने वाली थी |

                                              waiting list में एक -एक नम्बर घटने का “इंतज़ार ” | आँखें इसी में लगायी रहती थी कि कब “इंतज़ार ” की घड़ियां ख़त्म होंगी | कहते हैं कि जो चीज़ अपने हाथ में ना हो ,उसे भगवान के ऊपर छोड़ देना चाहिए |
                                                       लेकिन मुस्कान थी तो एक इंसान ही | उसका दिल  भी कभी -कभी रोने को करता था | उसके इंतज़ार की तो इंतहां हो गयी थी | शादी से लेकर बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया तक उसका “इंतज़ार “समाया हुआ था |
               
अगर सरकार इस प्रक्रिया में तेजी लाये तो मुस्कान और उसके पति जैसे हजारों माँ -बाप को बच्चे गोद लेने का” इंतज़ार” ना करना पड़े |
                                    “मेरे दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो ,
                                  इंतज़ार उसका है जिसे मेरा एहसास तक नहीं | “

                                       पर मुस्कान मायूस नहीं हुई थी| तभी तो आने वाला बच्चा उसके दिल के कोने -कोने में समाया हुआ था | वो अपनी मन की आंखों से उसकी तस्वीर सजाती और दिल में उम्मीद जगाये रहती थी |

                           ये तो वही बात हुई कि——————-  हालात कह रहे हैं मुलाकात नहीं मुमकिन ,
                                                                                उम्मीद कह रही है ——-थोड़ा ” इंतज़ार ” कर  | | 

                                           मेरी कहानी की नायिका की जिंदगी भी तो ऐसी ही थी | कान बच्चे की किलकारियां सुनने को तरस रहे थे पर परिस्थिति कुछ और ही बयां कर रही थी |  इन सबसे ऊपर दिल कहता था कि ——    ” थोड़ा और इंतज़ार कर “|  “शायद कल का सबेरा तेरे इंतज़ार को ख़त्म कर  दे 

जिंदगी जब जख़्म पे जख़्म देती है तो हँसकर हमें आज़माइश की हदों को आजमाना चाहिए |

“दिल जलाओं या दीए ,आँखों के दरवाजे पे वक़्त से पहले तो आते नहीं आने वाले “|

                                                   मुस्कान जैसी कितनी लडकियां हैं जो अपनी “इंतज़ार “को  आँखों में भरकर उम्मीद की दिया जलाये बैठी हैं|  शायद अब ख़त्म हो , ” ना ख़त्म होने वाला इंतज़ार “
एक माँ का अपने बच्चे के लिए इंतज़ार ही मेरी इस कहानी का मुख्य हिस्सा है |
                         मुस्कान का अपने बच्चे के लिए इंतज़ार | कानों में बच्चे की किलकारियां सुनने का इंतज़ार | एक न एक दिन तो ये इंतज़ार खत्म होगा ही ,क्यूंकि हर रात के बाद सुबह आती है ,जो सारे अन्धकार को मिटा देती है | मुस्कान का भी इंतज़ार ख़तम होगा ही ——-

                                                                   
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Comments :

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      विश्वास नहीं होता की आपके शब्दों में ऐसा जादू कहां से आया। मंत्रमुग्ध हूं मैं आपके इस नए शुरूवात से, आपके कहीं ना मीटने वेले होन्सलो से। बस दुआ है मेरी रब से वो आपके हर ख्वायिश को पूरा करें।

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      Keep up the good work Di, you will get whatever you want in your life. It's only a matter of time that someone gets before and someone gets afterwards. Believe and love the process. I am feeling proud to have sister like you whose motivation never go downs and who always remain cheerful in adverse circumstances also. I certainly say that you will achieve something special in life. Love you always.

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      Kya likhu comment me !!! Itne saare beautiful words padhne K baad saamne wala Kya bolega ??? I am really very very proud of you… This is an emotional topic and u have written it very beautifully !!!! These are words of every women who are suffering from this pain.. Hats off 🎩 loved every bit of it..
      Mujhe bhi rahega aapke next blog ka "Intezaar" ….

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      Really…heart touching topic… Wonderfully written by you….
      But this "Intezaar" is not for Mother only… this is for Father also…

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      Very Beautiful lines bhabhi… Proud Of You!!! Ek na Ek din Ye Intezaar Jarur Khatam hoga…!! Good Job *****Star from my End… 👍👍

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      This comment has been removed by the author.

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      Awesome Didi…..kya bole….bahut bahut bahut…………acha aapne likha hai….Your Words are very powerful and feelings behind it is very emotional ……INTEZAAR khatm hoga ….Jarur khatm hoga…Bahut jald khatm hoga……

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