🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Last Part)🌶️🌶️🥵
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थक गया हूं मैं, हाँ! थक गया हूं मैं,
केवल एक सुकून की तलाश में
कहां से चला था और आज कहां हूं मैं,
मुझे तो यह भी पता नहीं कि
जिंदगी मुझे ले जा रही है कहाँ,
थक गया हूं मैं, हाँ! थक गया हूं मैं,
हर गम समेटे अपने में, सभी की खुशी के लिए
जिंदा हूँ मैं केवल अपनों की हंसी के लिए,
हर सुबह निकल पड़ता हूं ये सोचकर
कि शाम तक फिर आऊंगा
एक बार फिर से अपनी शाम अपनों के साथ बिताऊँगा,
थक गया हूं मैं, हाँ! थक गया हूं मैं,
रोज़ सोचता हूँ कि अब अच्छा होगा,
अपने खुश रहेंगे तो सब अच्छा होगा,
पर किस्मत का भी क्या कहना,
इतने ठोकर खाकर भी जिन्दा हूँ,
क्या ख़ाक अच्छा होगा,
थक गया हूं मैं, हाँ! थक गया हूं मैं,
कभी तो मेरे भी दिन सुधरेंगे,
दिन ठीक होगा तो सब ठीक होंगे,
ऐसा समय मेरा भी आएगा,
एक पल में सब ठीक हो जायेगा,
सोचता हूं मैं, हाँ! अब यही सोचता हूं मैं।
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Nicceeeee
sunder rachna hai aapki