मनाली की वो रातें😳😱😳😱(Part –3)
...
मेरी जिन्दगी में थोड़ी- सी ही सही,
मेरी भी है छोटी-सी भूमिका,
फिर ऐसा क्यों लगता है सबको,
कि मैं नहीं हूं किसी काम का,
मैं सांस भी लेता हूँ और मेरा दिल धड़कता भी है,
मैं उदास हो जाता हूं लेकिन मेरा चेहरा हँसता भी है,
ये सच है कि आज मैं बेकार हूँ,
पर ऐसा नहीं कि मैं लाचार हूँ,
एक दिन मैं फिर लौटूंगा ये बताने कि मैं हूँ,
मैं कोई वक्त नहीं कि गुजर जाऊँ क्यूंकि मैं हूँ,
ये काली घनी रात फिर बीत जाएगी,
गम की घटा छितराएगी और नयी सुबह फिर आएगी,
मेरी जिन्दगी में थोड़ी सी ही सही,
मेरी भी है छोटी सी भूमिका ।
निम्मी! अरी! ओ निम्मी, कहां रह गई है रे, आवाज देते हुए मिताली ने बिस्तर से उठने की कोशिश की, पर उसकी बीमार...
अब तक आपने पढ़ा––– जयंत जब बस में बैठा था तो बस ठसा– ठस भरी हुई थी,पर अचानक से बस में बैठे ...
अब तक आपने पढ़ा–– जयंत को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आगे कैसे पता करें निधि के बारे में? हर दिन ...
Nice 👌
Bahut hi Khub likha hai
Bahot bahot saandaar likha hai aapne
Nice one , well done