मनाली की वो रातें😳😱😳😱(Part –5)
...
ट्रिन ट्रिन ट्रिन,📱 रात के 12:00 बज रहे थे, जैसे ही शेफाली ने फोन की घंटी सुनी, ऊपर से नीचे तक कांप गई। पिछले 10 दिन से ये आवाज उसके कानों में शीशे की तरह चुभ रही थी।अपने मां– बाप की बात ना मानने का यही अंजाम होता है,ये पता चल गया था उसे। पता नहीं इस मुसीबत से कैसे छुटकारा मिलेगा मुझे, यही सोचकर उसने फोन को साइलेंट मोड पर रख दिया।कैसे अपनी समस्याओं के बारे में पापा को बताऊं,क्या प्रतिक्रिया होगी,सोच भी नहीं सकती। कितनी शांति से चल रही थी शेफाली की जिंदगी। मां– बाप की इकलौती बेटी, जिसके मुंह से निकली हर मांग पूरी हो जाती थी।इसी से तो वह जिद्दी हो गई थी।
नवाबों के शहर लखनऊ की रहने वाली शेफाली के सपनों की उड़ान बहुत ऊंची थी। मां- बाप चाहते कि बेटी पढ़ – लिखकर कुछ बन जाए पर शेफाली को तो ग्लैमर की दुनिया से प्यार था। बचपन से ही सजने–संवरने में अपने समय को बर्बाद करते आई। भगवान ने उसे रूप भी ऐसा ही दिया था। जो भी देखता, नजरें ठहर ही जाती। इसी बात का तो घमंड था उसे। पढ़ने में कभी मन लगा नहीं।अधिक लाड़– प्यार तथा हर बात मान लेने के कारण पिता ने स्मार्ट फोन भी दिलवा दिया।कभी फेसबुक तो कभी इंस्टाग्राम पे अपने फोटोज़ शेयर करती रहती। किसी तरह से उसने ग्रेजुएशन की नैया पार की।पढ़ने में भले ही मन लगे चाहे ना लगे,पर कॉलेज में मॉडलिंग की जो भी प्रतियोगिताएं होती उसमें शेफाली बढ़– चढ़कर हिस्सा लेती थी।
इस बात को लेकर मां-बाप और उसके बीच हमेशा बहस होती रहती। पिता इस सच्चाई से भलीभांति अवगत थे कि ग्लैमर की दुनिया अंधी दुनिया है। यहां घुसने के रास्ते तो मिल जाते हैं, पर निकलना आसान नहीं होता। जाने कितने लड़के–लड़कियां इस चकाचौंध में खो– से गए।यहां कोई किसी का सगा नहीं होता। उन्हें बड़ी चिंता रहती थी कि शेफाली को कैसे समझाएं।
उधर शेफाली हमेशा इसी कोशिश में लगी रहती कि कैसे उसे फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश मिले।एक मिडिल क्लास से ताल्लुकात रखने वाली लड़की जब अपने सपनों में आसमान की उड़ान भरने लगे तो जमीन का सहारा खुुद– ब– खुद छूट ही जाता है, तब उसे गिरते देर नहीं लगती।
सेल फोन था ही, नेट पर हमेशा सर्च करते रहती कि कैसे उसे फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश मिले। रात– रात भर जागकर मोबाइल देखना, सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना तो उसकी आदत में शामिल था ही। फेसबुक की तो इतनी आदत थी कि हर 5 मिनट में मोबाइल पे हाथ चला जाता। जरा सी भी आवाज हुई नहींं कि आंखें स्क्रीन पर जम गई।
एक रात यूं ही लेट कर मोबाइल देख रही थी और अपने सपनों के बारे में सोच रही थी कि अचानक से फेसबुक पर किसी लड़के का फ्रेंड रिक्वेस्ट आयाा। उसने अपना प्रोफाइल भी इसी तरह से बनाया था कि लड़के आकर्षित हो ही जाते।शेफाली ने झट से request स्वीकार कर लिया। उस लड़के का नाम जतिन था। पहले तो दोनों में परिचय हुआ, फिर कुछ दिनों तक मैसेज के सहारे बातें होती रहीं।जब जतिन को लगा कि शेफाली ज्यादा इंटरेस्ट ले रही है तो उसने उसका फोन नंबर भी मांग लिया।धीरे –धीरे शेफाली खुलने लगी थी।उसने अपने ambitious के बारे में जतिन को बतलाया और साथ में यह भी बोला कि उसके माता-पिता एकदम तैयार नहीं है।
जतिन ने उसे समझाया और बोला कि उसके सपनों को पूरा करने में उसकी जरूर सहायता करेगा। फिर तो अक्सर दोनों में बातचीत होती रहती। शेफाली अपने घर की एक-एक बात जतिन से शेयर करने लगी थी।
इधर कुछ दिनों से शेफाली कॉलेज में होने वाले वार्षिक उत्सव में व्यस्त थी। इसलिए जतिन से बात करने का मौका ही नहीं मिल रहा था। जतिन ने उसे बार-बार फोन किया,पर व्यस्तता के कारण उसका फोन उठा नहीं सकी।कार्यक्रम समाप्त होने पर उसने जतिन को फोन किया और उससे माफी मांगी।तभी दूसरी तरफ से जतिन की खिल– खिलाहट सुनकर शेफाली को बहुत गुस्सा आया। उसने सोचा कि वह फोन नहीं उठा सकने के कारण अपने आप को दोष दे रही है और उधर जतिन है कि हंसे जा रहा है।
उसने फोन रखने की धमकी दी तो जतिन ने बोला कि मैडम!रुको रुको!थोड़ी व्यस्तता ने आपका यह हाल किया है कि आप मेरा फोन नहीं उठा रही है। उस समय आपको कैसा लगेगाा, जब मैं आपको खबर दूंगा कि आपके सपनों को भी पंख लगने वाले हैं। इस बात को सुनकर शेफाली झेंप गई।उसे याद आया कि जतिन ने उससे कहा था कि उसकी कई ऐड कंपनियों से अच्छी– खासी जान पहचान है।हो सकता है बात इसी से संबंधित हो।ऐसे भी शेफाली को जतिन में अपना गॉड फादर नजर आता था।
तब उसने जतिन को यह खबर सुनाने के लिए बोला। जतिन ने कहा कि अपने ऐड के लिए शहर के एक नामी गिरामी कंपनी को एक मॉडर्न लड़की की तलाश है, जो उसके प्रोजेक्ट में फिट बैठे। बस तुम्हें अपना एक पोर्टफोलियो और एक सीडी बनानी होगी जिसमें तुम्हारी बहुत सारी आधुनिक फोटोज हों।यह अवसर तुम्हारे सपनों के बंद दरवाजों को खोलने में महत्वपूर्ण हो सकता है। बस तुम अपना 100% दे दो। शेफाली तो खुशी के मारे फोन पर ही चहकने लगी। जतिन ने यह भी बोला कि लखनऊ में तो ऐसा कोई अच्छा स्टूडियो तो है नहीं जहां तुम अपनी फोटोज शूट कराओ।
ऐसा करो तुम मेरे शहर आ जाओ फिर मैं तुम्हारे साथ मिलकर तुम्हारा फोटो शूट करवा दूंगा। शेफाली तुरंत मान गई। यहां पर यह बात गौर करने वाली है कि शेफाली को पता ही नहीं था कि जतिन किस शहर का रहने वाला है। जब उसने जतिन से पूछा कि मुझे कहां आना होगा तो उसने दिल्ली का नाम लिया।
उस रात शेफाली को खुशी के मारे नींद ही नहीं आ रही थी। फिर कब पलकें झुक गई पता ही नहीं चला। सुबह जब मां ने जगाया और बोला कि कॉलेज नहीं जाना है क्या, तब हड़बड़ा कर उठी।
कॉलेज में थी कि तभी जतिन का फोन आया कि अपनी फोटो शूट के बारे में क्या सोचा है? कब दिल्ली आ रही हो? तब शेफाली ने बोला कि जल्द ही बताती हूं। आने वाले खतरों से अनजान शेफाली को तो बस यह चिंता थी कि अपने माता पिता को कैसे मनाऊं?
दिल्ली भेजने के लिए मॉडलिंग को लेकर ऐसे ही बहस होती ही रहती थी। जब इस सच्चाई का पता चलेगा तो एक सिरे से खारिज कर देंगे। उसने अपनी चिंता जतिन को बताई तो एक चुटकी में ही उसका हल निकालते हुए उसने बताया कि तुम कॉलेज का बहाना लेकर दिल्ली आओ, कहो कि तुम वहां कॉलेज की तरफ से किसी प्रोग्राम में भाग ले रही हो।
जैसे ही शेफाली ने इस आइडिया को सुना,आंखें चमक गई उसकी। उस दिन कॉलेज से जल्दी ही घर लौटी। मां ने पूछा कि क्या बात है, आज क्लास नहीं है क्या? तब वह सिर दर्द का बहाना करके कमरे में जाकर लेट गई और अंदर से कमरा बंद कर लिया, ताकि अपने सामान की पैकिंग कर सके।
बस अब उसे अपने पापा से अनुमति लेनी थी। शाम को जब पापा घर आए तो उसने बात की दिल्ली जाने की और हूबहू वही बात बता दी, जो जतिन ने कहा था कहने को। पढ़ाई के नाम पर पापा तो तैयार हो गए पर मां का दिल इतनी दूर भेजने का नहीं कर रहा था। पर शेफाली मां के गले लगकर मनाने लगी तो मां भी मान गईं। मां– बाप के विश्वास को छलकर अगले दिन ही दिल्ली के लिए रवाना हो गई।
रास्ते में जतिन से बातें करके उसका पता मांगा। जतिन खुद उसे लेने स्टेशन आया। पहली बार दोनों का सामना हुआ था। मध्यम कद काठी का बिल्लौरी आंखों वाला युवक था। उस दिन तो वह उसे अपने घर ले आया, यह कहकर कि आज मेरे घर आराम कर लो, कल तुम्हारा फोटो शूट होगा। अगले दिन जब शेफाली नहा धोकर तैयार हो गई तो उसने उसे एक मॉडर्न ड्रेस पहने को दी, जिसे देखकर शेफाली थोड़ा शंकित हुई पर जतिन ने उसे समझाया कि ग्लैमरस की दुनिया में बहन जी टाइप छोड़ना होगा,तभी आगे बढ़ोगी। फिर दोनों ने ऑटो किया और चल पड़े।
एक बंगले के सामने जाकर जतिन ने ऑटो रुकवाया। शेफाली बंगले को देख कर हैरान हो रही थी। इतना बड़ा स्टूडियो भी हो सकता है क्या🤔। उसका हाथ पकड़ के जतिन अंदर घुस गया। अंदर जाने पर उसने देखा कि वहां बहुत सारे कमरे थे, हर कमरे में कुछ–कुछ लड़कियां थीं,जो मॉडर्न कपड़े में अपनी मादकता दिखा रही थीं। किसी कमरे में कंप्यूटर का काम चल रहा था तो कोई मेकअप रूम था। थोड़ा और आगे बढ़ने पर एक बड़ा सा केबिन दिखा। जतिन शेफाली को लेकर वहां घुस गया। अरे जतिन! आ गए तुम, सामने कुर्सी पर फ्रेंच कट में एक शख्स ने आवाज लगाई। हां सर! जिसकी आपको तलाश थी,उसे मैं ले आया।
फिर शेफाली से उसका परिचय हुआ।उस आदमी ने जतिन को बोला कि बाईं तरफ एक सीढ़ी मिलेगी,उसपे चढ़ जाना ।वहीं सामने एक कमरा मिलेगा,जहां इसका फोटो शूट होगा।कपड़े भी वहीं मिल जाएंगे।
शेफाली तो बहुत खुश हो रही थी।फिर दोनों ऊपर गए।उस कमरे में घुसने के बाद शेफाली को अत्यंत ही एक छोटी ड्रेस मिली,जिसे उसे पहनना था।फिर अलग अलग मुद्राओं में फोटो खींच गए।हर पोज में उसे अपने आप को सेक्सी दिखाना था।
शेफाली बहुत थक गई थी।थोड़ी देर में जूस की एक ट्रे आई,जिसे पीते ही शेफाली की आंखें खुद ब खुद मूंदने लगी।फिर क्या हुआ ,खुद उसे भी पता नहीं चला।
लगभग दो घंटे के बाद शेफाली जैसे नींद से जागी।बदन बहुत टूट रहा था उसका।आसपास देखा ,तो जतिन नहीं था।तभी सीट बजाते हुए जतिन ने अंदर प्रवेश किया।अरे वाह ! क्या फोटो आए हैं तुम्हारे।डायरेक्टर को तो तुरंत पसंद आ जाओगी।कुछ दिन के बाद तो फोन भी आने शुरू हो जाएंगे,आंखें मटकाते हुए उसने बोला।
अगले दिन ही शेफाली घर लौट आई। मां ने उससे कार्यक्रम के बारे में पूछा तो उसने अनमने से जवाब दिया। थकी हुई थी ही,सो अपने कमरे में जाकर सो गई।मां को बहुत ही अचंभा हुआ।अगले दिन नहा –धोकर तैयार हो गई।मां! मैकॉलेज जाने के लिए।कॉलेज जा रही हूं।जैसे ही कॉलेज में घुसी,मोबाइल में देख– देखकर लड़के– लड़कियां उसपे हंसने लगे।बड़ा अचंभा हो रहा था उसे।क्लास में गई तो उसकी सहेली ने उसे हकीक़त दिखाई।
शेफाली ने देखा कि उसके बहुत सारे फोटोज अर्धनग्न अवस्था में इंटरनेट पे अपलोड हुए थे।कुछ ऐसे– ऐसे विडियोज भी थे,जिसके बारे में शेफाली को कोई जानकारी ही नहीं थी। तभी मस्तिष्क में यह बात कौंधी कि जूस पीने के बाद का तो कुछ ध्यान ही नही है मुझे।कॉलेज में ठहरना मुश्किल हो रहा था उसके लिए। हर कोई उसे ऐसे देख रहा था,मानों वह कोई कॉल गर्ल हो।
अपने मां– बाप द्वारा दी हुई आजादी का ऐसा इस्तेमाल करेगी शेफाली,खुद उसे भी इस संकट का भान नहीं रहा।उस दिन कॉलेज से लौटी तो अपने कमरे में जाकर खूब रोई।अपना दुख किसी को बता भी नही सकती थी।जतिन को फोन मिलाने की बहुत कोशिश की,पर उसने फोन नही उठाया।इज्जत की धज्जियां उड़ गई शेफाली की।
उस दिन के बाद से शेफाली के पास अनजाने नंबर से कॉल आने शुरू हो गए,उठाने पे भद्देे– भद्दे बातें सुनने को मिलती थी।उसका जीना दुश्वार हो गया।दिन हो चाहे रात ,घंटी बजती ही रहती।फोन की घंटी से डरने लगी शेफाली।घर से बाहर नही निकलती,पता नही किसकी गंदी नजरें उस पर ठहर जाए।इंटरनेट पर उसके विडियोज तो वायरल हो ही गए थे।ग्लैमरस की दुनिया का दूसरा चेहरा भी उसके सामने था।अगर वह पापा की बात मान कर पढ़ाई पे ध्यान देती और सोशल मीडिया से दूर रहती तो आज उसकी इज्जत यूं सरे आम नीलाम नही होती।
पर कब तक अपने पापा से ये बात छुपाएगी।आखिरकार मन में उसने सोच लिया कि कल उनसे सारी सच्चाई बोल देगी।एक घुटन से होने लगी थी उसके अंदर।परिणाम चाहे जो हो ।
गतांक से आगे….✍️✍️ मानसी को असमंजस🙍 की अवस्था में खड़ी देख वह लड़की दरवाजे की ओर बढ़ने लगी...
गतांक से आगे....✍️✍️अगली सुबह सब फ्रेश होकर उठे। रवि और विजय के साथ जो रात में घटनाएं घटी, उसे उन्होंन...
गतांक से आगे....✍️✍️तेजस अभी भी सोचनीय अवस्था में वहां खड़ा रह गया। थोड़ी देर के बाद अपने दिमाग को झटक...
Dark side of internet….very very nice story…aaj ke bhatakte generation pr bilkul fit hai..
Very interesting and inspirational story for all the young generations specially girls….
Very good…Keep writing like this..👍👍