मनाली की वो रातें😳😱😳😱(Part –5)
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मां! मैं कॉलेज जा रही हूं, कहते हुए अक्षरा ने अपना दुपट्टा उठाया और किताब लेकर जैसे ही आगे बढ़ी, तभी पीछे से मां ने आवाज लगाई,अरे बेटा! थोड़ा तो सब्र कर ले, कॉलेज में आज तेरा पहला दिन है, थोड़ा दही- शक्कर खा ले।उफ़!ये मां ना हर समय शुभ- अशुभ की बातें करती रहती हैं। फिर भी उनकी भावनाओं को ठेस ना पहुंचे, सोचकर अक्षरा ने एक चम्मच दही खा लिया।
बहुत ही होनहार लड़की थी अक्षरा। मां-बाप को बहुत ही अपेक्षा थी उससे। हर समय किताबों में सर खपाना उसके स्वभाव में शुमार था। स्कूल की पढ़ाई खत्म होने के बाद कॉलेज में नया दाखिला हुआ।नई सोच और नई उमंग के साथ उसने कॉलेज में प्रवेश किया। स्कूल की तरह यहां कोई बंधन तो था नहीं। लेकिन अक्षरा की जिंदगी तो बस किताबों तक ही सीमित थी।
पहला दिन तो ऐसे ही परिचय में बीत गया। अगले दिन जब वह कॉलेज गई तो उसके कदम अचानक से रुक गए। देखा लड़के और लड़कियों का कुछ दल उसका रास्ता रोके हुए था। अक्षरा अंदर तक कांप गई। रैगिंग के बारे में तो सुना था पर उसका सामना ऐसे होगा यह नहीं सोचा था। अक्षरा को डरते देख सभी जोर- जोर से हंसने लगे।
उन समूहों में से एक लड़का आगे आया।उसको देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था,मानों वह उन सभी का नेता हो। सीना तान कर उसने कड़क होकर बोला कि क्यों मैडम जी! हम लोगों को बिना परिचय दिए हुए कहां आगे बढ़ रही थी? यह हमारा इलाका है। जितने भी फ्रेशर होते हैं, बिना हमारे परमिशन के कोई क्लास में नहीं बैठ सकता।
अक्षरा ने नजर उठाई तो अपने सामने जींस और टीशर्ट पहने एक गबरु जवान लड़के को अपने सामने पाया। दोनों की नजरें जैसे ही टकराई, अक्षरा ने अपने कदम पीछे कर लिए।वह लड़का भी एकबारगी को ठहर गया।तभी पीछे से आवाज आयी,अरे समर! बुत की तरह क्यूं खड़ा है।आगे बढ़ और इसे भी अपना परिचय दे।बड़े ही शान से जा रही थी,मेरा मतलब है– रैगिंग कर।फिर सबने मिलकर अक्षरा को नाचने के लिए मजबूर किया।उसे अगले दिन रिबन लगाकर दो चोटी करके आने को बोला।इस चक्कर में अक्षरा का एक लेक्चर भी छूट गया। उसके बाल भी उन लड़कियों ने खोल दिए।एकदम रुआंसी – सी हो गई अक्षरा।
उस दिन अनमने ढंग से अक्षरा अपने क्लास में बैठी कुछ सोच रही थी। क्लास की दो- तीन लड़कियों से उसका परिचय हुआ था, जिनसे पता चला कि कॉलेज का सबसे दबंग लड़का था समर। हर कोई इससे भय खाता। यहां तक कि प्रोफेसर भी उसके काम में अड़ंगा नहीं लगाते। पढ़ने- लिखने में जीरो और उपद्रव करने में हीरो। कितने सालों से फेल होकर उसी कॉलेज में अब तक टिका हुआ था। उसका साथ देने वाले उसके चमचे हमेशा उसकी हां में हां मिलाया करते।पैसे और रुतबे के कारण कोई इसकी बात नहीं काट सकता था।
इसी तरह से कॉलेज गए अक्षरा को 10 दिन हो गए। हर दिन उसका सामना समर से होता पर पता नहीं अक्षरा की आंखों में क्या जादू था जो समर को हमेशा बेचैन कर देता। पहली मुलाकात से ही समर के स्वभाव में परिवर्तन आने शुरू हो गए। अब वह कॉलेज के छात्रों से इतनी उग्रता से पेश नहीं आता था।
पर अक्षरा इन सब बातों से अनजान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित रहती। एक दिन वह कॉलेज आ रही थी, तभी सामने से मोटरसाइकिल पर सवार समर ने उसका रास्ता रोक दिया। अक्षरा नजर फेर कर जाने लगी तो उसका दुपट्टा समर के हाथों में आ गया।वह अक्षरा से माफी मांगना चाहता था पर अक्षरा को समर में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसने अपना दुपट्टा छुड़ाया और कॉलेज के लिए आगे बढ़ गई।
अब ये समर का रोज का काम हो गया। हमेशा वह मौके की ताक में रहता अक्षरा से बातचीत करने को,पर अक्षरा थी कि समर को आंख उठाकर भी नहीं देखती थी। पूरे कॉलेज में समर का बदला स्वभाव चर्चा का विषय बन गया। उसके दिल में प्यार के पुष्प खिलने लगे थे, पर उसका प्यार एक तरफा था।
समर एक बड़े बिजनेसमैन का इकलौता बेटा था। जिस चीज पे उंगली रखता,वो चीज उसकी हो जाती। बचपन से लेकर आज तक उसने ना कभी नहीं सुनी। कॉलेज की सारी लड़कियां उस पर फिदा थी पर उसका दिल तो कहीं और लगा था। उसने कई बार अक्षरा से माफी मांगने की, बात करने की कोशिश की पर बात जम ही नहीं रही थी।
दो दिन के बाद वैलेंटाइन डे आने वाला था। समर ने सोचा उस दिन तो मैं अक्षरा से बात करके ही रहूंगा। उस की रातों की नींद उड़ गई थी। हर समय उसके ख्यालों में अक्षरा ही समाई रहती। एक लड़की या यूं कहिए कि प्यार का अंकुर जब फूटता है तो उसे पौधा बनते देर नहीं लगती। समर की सारी जिद, उसका एटीट्यूड प्यार में गोते लगाने लगे थे।
बस उसे वैलेंटाइन डे का इंतजार था। उस दिन बड़े ही अच्छे तरीके से तैयार होकर वह कॉलेज आया। रास्ते में गुलाब की एक बुके खरीद ली थी। सोचा आज तो अक्षरा को मना कर ही रहूंगा। उसकी नजरें आसपास अक्षरा को ढूंढने लगी। तभी सामने लड़कियों के समूह के बीच में अक्षरा नजर आयी। जैसे ही लड़कियों ने समर को देखा, वहां से सभी हट गईं। अक्षरा के सामने जाकर समर ने बुके आगे करके अपने प्रेम का इजहार कर दिया।उसका चेहरा देखने लायक था।
अक्षरा को तो ऐसा लगा मानो उसे बर्फ की सिल्ली पर बैठा दिया गया हो।एकदम मूक बन गई वह।पर एक ही क्षण में वह आग- बबूला हो उठी।एक झन्नाटेदार थप्पड़ ने समर को उसकी औकात दिखा दी।इस अप्रत्याशित बर्ताव से गुलाब का फूल हवा में ऐसे बिखर गया, मानो कभी जुड़ा ही ना हो।गरजते हुए बोली कि अपने आप को समझते क्या हो? मैं कोई बाजार में लटकी हुई कोई चीज नहीं हूं,जिसे मन किया तो खरीद लिया।
मुझे तो उसी दिन से तुमसे चिढ़ हो गई थी,जब तुमने मेरे साथ रैगिंग किया था। मुझे तुममें कोई दिलचस्पी नहीं है। आइंदा से कभी मेरे पास आए तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा, यह बोलते हुए वहां से पैर पटकते हुए वहां से चल दी। समर तो आवाक ही रह गया। पहली नजर में जिन आंखों ने उसे पूरी तरह से बदल दिया, आज उन्हीं आंखों में अपने लिए ऐसी नफरत भी देख ली। प्यार के पुष्प खिलने से पहले ही कुम्हला गए थे।
आज पहली बार उसे एहसास हुआ कि दौलत कुछ काम नहीं आती है प्यार के बीच में।बचपन से जिस चीज पे उंगली रखा,वो सब मिला।पर अब वह धरातल पे आ गया था।उस दिन के बाद से समर एकदम चुप- चुप रहने लगा।इस घटना को देखते-देखते एक महीना बीत गए। दिल को जब ठेस लगी तो अब उसने अपना ध्यान पढ़ाई में लगाना शुरू कर दिया।
एक दिन अनमने ढंग से पार्क में बैठकर वह कुछ सोच रहा था तभी उसका दोस्त पवन घबराते हुए उसके पास आया और एक ही सांस में बोल दिया कि अक्षरा का एक्सीडेंट हो गया है।एक ट्रक वाले ने उसे बुरी तरह कुचल दिया। बहुत ही जख्मी हालत में उसे अस्पताल ले जाया गया। समर को, काटो तो खून नहीं, वाली हालत हो गई। पागलों की तरह वह भागकर हॉस्पिटल पहुंचा। वहां जाकर पता चला कि उसकी हालत बहुत नाज़ुक है। किसी तरह से उसकी जान तो बच गई पर आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई।
10 दिन हॉस्पिटल में अक्षरा रही। पर इन दस दिनों में ऐसा कोई दिन नहीं था जिस दिन समर उसे देखने ना आया हो।अपने आप को ही वह भूल गया। उसके माता-पिता को अपना परिचय देने के बाद एक बेटे की तरह उनकी देखभाल की। रात- रात भर जागकर उसने अक्षरा की सेवा की। नींद तो जैसे उसकी आंखों से गायब ही हो गई थी। कभी डॉक्टर के पास भागता तो कभी दवाई लेने जाता पर उसने अक्षरा को अकेला कभी नहीं छोड़ा। डॉक्टर ने जवाब दे दिया था कि अब उसकी आंखों की रोशनी कभी नहीं आएगी।
होश आने पर जब यह बात अक्षरा को पता चली तो वह अपनी मां के कंधे पर सर रखकर फूट-फूट कर रोई। मां- बाप तो उसके सामने रो भी नहीं सकते थे।अगर वे ही टूट जाते तो फिर अक्षरा की हिम्मत कौन बंधाता। जब उन्होंने अक्षरा से समर के बारे में पूछा तो अचानक ऐसे सवाल से वह सकपका गई।
पर जब उन्होंने बताया कि किस तरह से उसने अक्षरा की देखभाल की तो उसे अपनी गलती पर बहुत पछतावा हुआ। कितनी गलत थी वह।क्या –क्या नहीं उसने समर को बोला था,फिर भी उसने मेरा साथ नहीं छोड़ा। तभी फलों की टोकरी के साथ समर ने वार्ड में प्रवेश किया।अक्षरा की किस्मत तो देखो,जिस प्यार की उसने कद्र नहीं की,आज उसके दीदार भी नहीं हो सकते।भगवान ने उसकी आंखों की रोशनी ही छीन ली।
आओ बेटा बैठो, अब तूम ही समझाओ इस लड़की को। रो-रो कर बुरा हाल बना दिया है इसने। जिंदगी यूं हारने का नाम थोड़े ना है। यह कहते हुए दोनों बाहर निकल गए।
अक्षरा बिस्तर से उठने का प्रयास करने लगी तो समर ने बीच में ही उसका हाथ पकड़ लिया। प्यार की इस छुअन को अक्षरा ने भी महसूस किया। पहली बार उसके दिल के तार झंकृत हो उठे। पर उसने अपने आप पर काबू किया। अपने कारण वह समर की जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकती थी।
लाइफ में प्रैक्टिकल होना ही पड़ता है, यही सोचकर उसने सबसे पहले तो समर से माफी मांगी। फिर धन्यवाद भी बोला, खुद के लिए और माता पिता के लिए भी।जिस तरह से उसने उसकी देखभाल की है,उसके मां बाप को संभाला है,ये कोई अपना भी नहीं कर सकता था। इन 10 दिनों की देखभाल समर के लिए वरदान साबित हुई, उसे उसका प्यार जो मिल गया था।
पर जब अक्षरा ने समर को बोला कि मुझ जैसी अंधी लड़की को पाकर अपनी जिंदगी क्यों खराब करना चाह रहे हो तो समर ने उसके मुंह पे अपना हाथ रख दिया। मैं तुमसे बेइंतहां प्यार करता हूं अक्षरा। मेरा प्यार तुम्हारी कमी का मोहताज नहीं है। मैंने तुमसे प्यार किया था। अगर तुम्हारे अंदर कोई कमी भी है तो भी मेरे प्यार में कोई कमी नहीं होगी। मेरा सच्चा प्यार तुम्हारी विकलांगता का सहारा बनेगा ना कि तुम्हें छोड़ देगा।
अक्षरा तो निरुत्तर हो गई थी। उम्मीद से बढ़कर जीवन में आपको कुछ मिल जाए तो आंसू यूं ही अपने दायरे से बाहर निकल बहने लग जाते हैं। दोनों जोड़े आपस में गले लग कर खूब रोए। पीछे दरवाजे की ओट में खड़े अक्षरा के माता-पिता इस दृश्य को देखकर मन ही मन खुश हो उठे।अपनी बेटी का भविष्य उन्हें सुरक्षित नज़र आ रहा था।
उधर इस बिहंगम दृश्य में प्यार के दोनों जोड़े गोते लगा रहे थे।प्यार का ये मनोरम दृश्य वाकई में अकल्पनीय था।
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Love stories are the best 👌❤
love story with best ending😍🥰♥️♥️♥️
thank u