भाग्य का खेल(Part 3)
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तेरी उंगली पकड़कर
नन्हें पैरों से चलकर
जब दुनिया देखी
पिता की छांव में
अपने को महफूज पाया
खुद की इच्छा को मारकर
खून पसीना बहाकर
पिता ने मंजिल दिखलाया
ऊपर से सख्त पर अंदर से नर्म
पिता शब्द का है असली मर्म
जीवन की हर कठिनाइयों से
लड़ना सिखलाया
मुसीबतों से पहले
पिता का साया पहले पाया
अपने आंसुओं को छिपाकर
दिल को कठोर बनाकर
सही गलत की पहचान करवाया
कोई एक दिन नहीं है पिता का
सर पे हमेशा हाथ रहे उनका
Happy Father’s day
बचपन से लेकर बड़े होने तक अपने पिता को काम करते देखते आई हूं।हमारी जरूरतें कैसे पूरी होती हैं,कहां से होती है,ये पापा से बेहतर कौन जान सकता था।कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी।कुछ चाहा और अगर पापा ने उस समय मना किया था,तो बहुत दुख होता था।पर आज जब हकीक़त को अतीत की तराजू पे तौलने जाती हूं,तो वो सब बातें बेमानी लगती हैं।शायद कभी पापा के ना के पीछे का अर्थ ही ना जान पाएं हों।आज जब जिंदगी के पन्नों को पलटती हूं तो पापा के खून पसीने की मेहनत आंखों में आसूं बनकर झिलमिलाने लगती हैं।
सुबह से घर से बाहर रहना फिर शाम को थके हार कर घर आना ,हर जरूरतों को पूरा करना –मेरे पापा ने हर वो खुशियां हमारे सामने रखीं,जिसकी दरकार हमें थी।
Salute to My Father
मैं तो ये बात हर पिता के लिए कहती हूं,क्योंकि अपने स्तर पे सभी अपनी संतान के लिए ऐसा करते हैं।इसलिए ये dedication सभी पिताओं के नाम
Salute to All Fathers
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Wah….kya likha hai aapne…
Bas Ek baat kehna chahti hun..MY FATHER MY HERO..