🌶️🌶️🥵तीखी मिर्ची(Part–8)🌶️🌶️🥵
चक्रव्यूहकोर्ट की तारीखतारीख पे तारीखमुकदमे आते हैंआकर फंस जाते हैंकौन सच्चा ,कौन झूठासबूतों के आधार पे हो...
गुलामी से आजादी तक का सोपान
जब करती हूं देश का ध्यान
#आज हम स्वतंत्र हैं
पर ये प्रश्न ज्वलंत है
देश के वीरों ने जो सपना देखा
जान की बाज़ी लगा
जिसके महत्व को कर दिया है हमने अनदेखा
अपने ही लोगों से देश हो रहा है आहत
भ्रष्टाचार,खून खराबा,बलात्कार की लगी है जमघट
#आज हम स्वतंत्र हैं
पर ये प्रश्न ज्वलंत है
जिस तिरंगे को पाने में सपूतों ने खुद को झोंक दिया
उसी तिरंगे को आंदोलनकारियों ने स्वाहा किया
सीता,लक्ष्मी की पूजा करने वाली धरतीके
अपने ही बेटी–बहुओं की इज़्ज़त नीलाम होते देखती
फिर भी,
#आज हम स्वतंत्र हैं
पर ये प्रश्न ज्वलंत है
नेताओं को देश का ख्याल नहीं होता
तभी तो संसद हमेशा ठप हो जाता
अपनी डफली,अपना राग
स्वदेश के लिए हमारा यही है अनुराग
आंतरिक कलह से देश हो रहा है परेशान
भारतभूमि की यही बातें कर देती है हैरान
राम,कृष्ण की जन्मभूमि
आंदोलनकारियों की बन गई है कर्मभूमि
मांग पूरी ना हो तो
सड़कों पे निकल आते हैं लोग
मुद्दे उछालने की लग गई है रोग
फिर भी,
#आज हम स्वतंत्र हैं
पर ये प्रश्न ज्वलंत है
सत्ता–विपक्ष की होती रहती है मगजमारी
देश के हित को ये नहीं मानते सर्वोपरि
बेमतलब के मुद्दे उछाले जाते हैं
पर बलात्कारियों की सजा में देर लगाते हैं
जिसके लिए कैंडल मार्च निकालते हैं
उसी अग्नि में बेटियों को स्वाहा करते हैं
फिर भी,
#आज हम स्वतंत्र हैं
पर ये प्रश्न ज्वलंत है?????
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Wow kya kavya hai
Nice poem…
Kya khoob 👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼
Nice one 👌👌