जज़्बात

अनकही बातेंमन में है घुमड़तेमेरे जज़्बातकर रहे थे आपस में बातप्लस– माइनस,नफा– नुकसानरहते हैं जिंदगी भर परेशानजो आज हम हैं करतेकल उसी को तो हैं भरतेआते– जाते कहीं पे अटकीतभी एक बूढ़ी औरत को देख ठिठकीठक– ठक करती लाठी उनकीकमर भी थोड़ी झुकी– झुकीएक कदम चलती, दूसरे कदम बैठतीउम्र की ढलान ऐसी ही है होतीपड़ोस के मकान में थी रहतींआते– […]

सीधा –साधा दिल

सीधा– साधा दिलहो गई है मुश्किलथी जिंदगी उसकी बेपरवाहहर फिक्र को उड़ा रहा था वहपर अचानक क्या हुआएक एहसास दिल के अंदर आयाआते– जाते डगर पेनज़रें पड़ी किसी पेआंखों से आंखें टकराईंदिल की घंटी घनघनाईहर दिन करता था उसका इंतजारदिल ढूंढता था बार– बारना अक्श देखा,ना नाम पूछाबस उसका मुस्कराना लगा अच्छाक्या था,क्या बन गयाख्वाब देखना ही दस्तूर हो गयाउसे […]

Happy New Year

नूतन वर्षसमय का उत्कर्षनई उमंगनई तरंगबढ़ रही है ज़दगी नई तारीख़ के संगनूतन वर्ष अभिनंदनकरते हैं तुहारा नमनआरंभ का अंतया अंत का आरंभनए विचारों का हो रहा है शुभारंभगुजरे साल की यादें मन में समेटेआने वाले साल को चलो खुशियों में लपेटेनूतन वर्ष अभिनंदनकरते हैं तुहारा नमनआने वाला साल गुजरता हैफिर गुजरे साल की शुभ संध्या पे आने वाले साल […]

घूंघट में छिपी मुस्कान

घूंघट में छिपी मुस्कानअधरों में फंसी है सबकी जानवो चंचल चितवनजैसे हिरनी स्वछंद विचरती वन वननैनों की तीक्ष्ण कतारहृदय को भेदे आर पारचरित्र पे ना कोई दागपर उसके दिल में लगी थी आगआखिर कोमलता और भीष्णता का क्या था रहस्य सौम्यता और रुद्रता का मेल था अवश्यसालों पहले की है बातविस्मरण होती नहीं हकीकतगांव की स्वच्छंदता में जी रही थी […]

फटे कपड़े:बदहाली या आधुनिकता

कहीं फैशनपरस्त जिंदगीतो कहीं जिंदगी में बेचारगी की मौजूदगीफटे वस्त्रों में तन दिखता हैतो कहीं तन दिखने के लिए वस्त्र फटता हैआधुनिकता की होड़ तो देखोफटी जींस ऊंचे दामों पे बिकती हैऔर उस गरीब की फटी धोती किसी को नजर नहीं आती हैफटी जींस आधुनिकता की पहचान हैतो इन चिथड़ों से झांकती जिंदगी की भी दास्तां हैकिसी धागे से दूरी […]

जिंदगी मेरे घर आना🦚🐥🐦🦜(Happiness in life)

जिंदगी मेरे घर आनाखुशी की एक थाप लगानाकुछ अधूरा सा लगता हैख्वाब भी जैसे सच सा लगता हैउलझनों का ताना बानाजिंदगी मेरे घर आनागुजरे हुए अतीत मेंभविष्य के स्पंदन की आशासामने बैठा वर्तमान देख रहा है तमाशावक्त है सबसे बड़ाजिसके आगे ना कोई हुआ है खड़ाहर लम्हों को खुलकर जीनाजिंदगी मेरे घर आनाकुछ दूर से कुछ करीब सेअब तक जो […]

Jalta diya(जलता दीया)

एक दीयाजलता– साबुझता– साहवा के रुख सेलड़ रहा थाअपनी लौ को समेट रहा थातभी एक ओट ने पनाह दीफड़फड़ाती लौ को जीने की राह दीअब मैं टिमटिमाता रहता हूंअंधेरों को अपनी रोशनी से चीरता रहता हूं। some more posts 1.स्थानांतरण(Transfer) 2. परछाईं

ज्वलंत प्रश्न

गुलामी से आजादी तक का सोपान जब करती हूं देश का ध्यान #आज हम स्वतंत्र हैं पर ये प्रश्न ज्वलंत है देश के वीरों ने जो सपना देखा जान की बाज़ी लगा जिसके महत्व को कर दिया है हमने अनदेखा अपने ही लोगों से देश हो रहा है आहत भ्रष्टाचार,खून खराबा,बलात्कार की लगी है जमघट #आज हम स्वतंत्र हैं पर […]

गहराइयां(Gahraiyaan)

अपने घर के सामने की बालकनी मेंएक युगल बूढ़े को देखा करती थीकब तक का है साथहर दिन यही सोचा करती थीहँस हंस कर आपस में बातें करनाकांपते हाथों से एक दूसरे के कपड़ों को यूं फैलानारास्ते की आवाजाही को देखकरआपस में यूं मुस्कुरानाउनके उम्र की सिलवटों को देखकरधड़कनें व्याकुल हो जाती थीपता नहीं ये साथ कब तक का होयही […]

दिलों की दूरियांं🛕🕍🕌⛪

नदियाँ गहरी, नाव पुरानी,सुनाता हूं तुमको इक बच्चे की कहानी,जब जन्म लिया उसने,नहीं पता था कि कौन है वो,और सभी की तरह,उंगली पकड़ कर चलना सीखा,किसी भी इन्सान में,उसे दुश्मन नहीं दिखा,बचपन में किसी भी मैदान और मकान में खेल लिया करता था,ये घर ऐसा क्यूँ है, वो कस्बा ऐसा क्यूँ है,ये लोग ऐसे क्यूँ हैं, वो लोग ऐसे क्यूँ […]