परछाईं

  खिड़की की ओट में थी खड़ी  तभी पीछे नज़र पड़ी  थी वो मेरी सहचरी   जो संग थी खड़ी   हां! तू है मेरी परछाई  जो हमेशा मेरे पास नज़र आई   कुछ सवालें मन में उठ रही हैं     क्यूं अपेक्षाओं की कतारें  औरतों के ही जीवन में लगी है  अपने वजूद को भूल हम   सामाजिक ताम झाम को समेटने में […]

ढाई अक्षर प्रेम के❤️❤️

  मां! मैं कॉलेज जा रही हूं, कहते हुए अक्षरा ने अपना दुपट्टा उठाया और किताब लेकर जैसे ही आगे बढ़ी, तभी पीछे से मां ने आवाज लगाई,अरे बेटा! थोड़ा तो सब्र कर ले, कॉलेज में आज तेरा पहला दिन है, थोड़ा दही- शक्कर खा ले।उफ़!ये मां ना हर समय शुभ- अशुभ की बातें करती रहती हैं। फिर भी उनकी […]

मौत है दूजा नाम जिंदगी का

10 दिन हो गए थे मुझे ICU में भर्ती हुए,पर मेरी तबियत दिनों– दिन बिगड़ती ही जा रही थी।शरीर का एक –एक हिस्सा मशीनों से जकड़ा हुआ था।उस वार्ड में सभी लोग जिंदगी और मौत से ही तो खेल रहे थे।मेरी आंखों के सामने तीन लोगों ने अपनी जिंदगी से पनाह मांगी।मौत का नजारा तो यहीं मिलता है।              उस दिन […]

अरण्यावरण 🌲🌳🌴🌵

 बचपन से ही प्रकृति के सानिध्य में रहा हूं।जंगलों के हरे –भरे पेड़ मुझे बड़े ही अच्छे लगते।पिता जी फॉरेस्ट इंस्पेक्टर थे।उनका तबादला हमेशा भारत के बड़े से बड़े और बीहड़ जंगलों में हुआ करता,जिसके कारण मुझे हमेशा इन पेड़ों का सानिध्य मिला करता था।सच कहूं तो पिता जी की तरह ही मेरे भी प्राण इन पेड़ों में बसा करते।  […]