गहराइयां(Gahraiyaan)

अपने घर के सामने की बालकनी मेंएक युगल बूढ़े को देखा करती थीकब तक का है साथहर दिन यही सोचा करती थीहँस हंस कर आपस में बातें करनाकांपते हाथों से एक दूसरे के कपड़ों को यूं फैलानारास्ते की आवाजाही को देखकरआपस में यूं मुस्कुरानाउनके उम्र की सिलवटों को देखकरधड़कनें व्याकुल हो जाती थीपता नहीं ये साथ कब तक का होयही […]

Happy Father’s Day(My words for my Father)

 तेरी उंगली पकड़कर  नन्हें पैरों से चलकर  जब दुनिया देखी  पिता की छांव में  अपने को महफूज पाया  खुद की इच्छा को मारकर  खून पसीना बहाकर  पिता ने मंजिल दिखलाया  ऊपर से सख्त पर अंदर से नर्म  पिता शब्द का है असली मर्म  जीवन की हर कठिनाइयों से   लड़ना सिखलाया  मुसीबतों से पहले  पिता का साया पहले पाया  अपने आंसुओं […]

Blackboard(शिक्षा का प्रथम सोपान)

तीन लोगों ने मिलकर एक छोटे से स्कूल की स्थापना की थी।इन तीनों में से एक थे रवींद्र सर,जो घूम– घूम कर गांव वालों से अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए उनके घर तक चले गए।इस स्कूल का नाम था–सर्वयोदय विद्यालय।अपनी उम्र के 30वें बसंत से ये जिम्मेदारी उठाया। पढ़ाना इनके लिए पूजा से कम नहीं थी।एक स्याह ब्लैकबोर्ड […]

घुंघरू

 तवायफों का वह मुहल्ला, जहां शरीफों के कदम रात के अंधेरों में चहलकदमी करने जरूर आते हैं।भले ही दिन के उजाले में यहां आने से कतराते हों पर दिन ढलते ही जाम से जाम टकराने लगते हैं। कई अट्टालिकाएं थीं, जहां दिनभर मुजरों का आयोजन होता रहता तथा पैरों में बंधी घुंघरुओं की आवाज चारों तरफ गूंजती रहती।तवायफों के नृत्य–संगीत […]