आरक्षण की गुमशुदगी

पूरे देश में महिला आरक्षण की बात फैली हुई थी। अगर देश को आगे बढ़ाना है तो महिलाओं की भी सत्ता में भागीदारी आवश्यक है। देश की आधी आबादी यूं अपने अधिकार से वंचित रह जाए, हमें यह स्वीकार नहीं–इसी तरह के नारों से देश गूंज रहा था। राजनीतिक पटल पर ये मुद्दा विपक्षी पार्टी गेंद की तरह उछाल रहे […]

फटे कपड़े:बदहाली या आधुनिकता

कहीं फैशनपरस्त जिंदगीतो कहीं जिंदगी में बेचारगी की मौजूदगीफटे वस्त्रों में तन दिखता हैतो कहीं तन दिखने के लिए वस्त्र फटता हैआधुनिकता की होड़ तो देखोफटी जींस ऊंचे दामों पे बिकती हैऔर उस गरीब की फटी धोती किसी को नजर नहीं आती हैफटी जींस आधुनिकता की पहचान हैतो इन चिथड़ों से झांकती जिंदगी की भी दास्तां हैकिसी धागे से दूरी […]

कल्पनातीत(unthinkable life)

           गोमती नदी के मुहाने पे एक नवयुवती विक्षिप्त– सी औंधे मुंह पड़ी हुई थी। जाको राखे साइयां मार सके ना कोई– इस बात को चरितार्थ करती गोमती माई की लहरों ने भंसाली गांव के इस तट पे युवती को लाकर पटक दिया था।                 सुबह का समय था, सूरज की निकलती मुखरित किरणें उसके मलिन होते चेहरे पे पड़ रही थी। पर […]